प्रारंभिक परीक्षा – सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
चर्चा में क्यों
केंद्रीय गृह मंत्री ने हाल ही में कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को रद्द करने पर विचार करेगी।
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम(AFSPA):
- सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) एक कानून है, जिसके तहत सशस्त्र बलों और ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने तथा बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने एवं अभियोजन तथा कानूनी मुकदमों से सुरक्षा का विशेष अधिकार देता है।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए ब्रिटिश-काल के कानून का पुनर्गठन, AFSPA 1947 में चार अध्यादेशों के माध्यम से जारी किया गया था।
- इस कानून को वर्ष 1958 में तत्कालीन गृह मंत्री जीबी पंत द्वारा संसद में पेश किया गया था।
- इसे 11 सितंबर, 1958 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया।
- इसे शुरू में सशस्त्र बल (असम और मणिपुर) विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 के रूप में जाना जाता था।
- नगाओं के विद्रोह से निपटने के लिये यह कानून पहली बार वर्ष 1958 में लागू हुआ था।
- इस अधिनियम को वर्ष 1972 में संशोधित किया गया था और किसी क्षेत्र को ‘अशांत’ घोषित करने की शक्तियाँ राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी प्रदान की गई थीं।
- यह कानून गैर-कमीशन अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों को बल का उपयोग करने और गोली मारने का अधिकार देता है, यदि वे आश्वस्त हैं कि ‘सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने’ के लिये ऐसा करना आवश्यक है।
- इस अधिनियम की धारा 2 के तहत किसी क्षेत्र को ‘अशांत’ घोषित किए जाने के बाद ही लागू किया जा सकता है।
अशांत क्षेत्र:
- किसी क्षेत्र को विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के कारण अशांत माना जा सकता है।
- केंद्र सरकार या राज्य के राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक, पूरे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं।
- इसे उन स्थानों पर लागू किया जा सकता है जहां ‘नागरिक शक्ति की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है’।
AFSPA के तहत सशस्त्र बलों की 'विशेष शक्तियां':
- इसके तहत सशस्त्र बलों को किसी क्षेत्र में पांच या अधिक व्यक्तियों के जमावड़े पर रोक लगाने का अधिकार है, यदि उन्हें लगता है कि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन कर रहा है तो वे उचित चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग कर सकते हैं।
- यदि उचित सूचना प्राप्त हो तो सेना किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, बिना वारंट के किसी परिसर में प्रवेश या तलाशी ले सकती है।
- गिरफ्तार किए गए या हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को उन परिस्थितियों का विवरण देने वाली एक रिपोर्ट के साथ निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को सौंपा जा सकता है जिसके कारण गिरफ्तारी हुई।
- केंद्र सरकार जब तक अभियोजन एजेंसियों को मंजूरी नहीं देती तब तक इन सशस्त्र बलों को अभियोजन से छूट प्राप्त है।
- नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, असम और मणिपुर में AFSPA लागू है।
वारंट
- वारंट अदालतों द्वारा जारी किए गए कानूनी दस्तावेज हैं जो पुलिस या अन्य अनुमत प्राधिकारी को गिरफ्तारी करने, संपत्ति जब्त करने, तलाशी लेने या निर्णय निष्पादित करने के लिए अधिकृत करते हैं।
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प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए ब्रिटिश-काल के कानून का पुनर्गठन, AFSPA 1947 में चार अध्यादेशों के माध्यम से जारी किया गया था।
- इस कानून को वर्ष 1958 में तत्कालीन गृह मंत्री जीबी पंत द्वारा संसद में पेश किया गया था।
- इसके तहत सशस्त्र बलों को किसी क्षेत्र में पांच या अधिक व्यक्तियों के जमावड़े पर रोक लगाने का अधिकार है, यदि उन्हें लगता है कि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन कर रहा है तो वे उचित चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग नहीं कर सकते हैं।
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (b)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम क्या है? इसके प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत: THE HINDU