New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

हरिके आर्द्रभूमि में प्रवासी पक्षियों का आगमन

(प्रारंभिक परीक्षा : जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, पंजाब के हरिके आर्द्रभूमि में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। उत्तरी भारत के सबसे बड़े आर्द्रभूमि में नवंबर माह के अंत तक लगभग 40,000 प्रवासी पक्षी पहुँच चुके हैं।  

प्रमुख बिंदु 

  • इस आर्द्रभूमि में प्रत्येक वर्ष 90 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के 90,000 से अधिक प्रवासी पक्षी साइबेरिया, मंगोलिया, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान सहित विश्व के विभिन्न देशों से इस आर्द्रभूमि में आते हैं।  
  • वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर इंडिया के अनुसार, आर्द्रभूमि में आने वाले विदेशी पक्षियों में  स्पूनबिल, पेंटेड स्टॉर्क, कॉमन पोचर्ड, रूडी शेल्डक, गडवाल, बार हेडेड गीज़, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ग्रेलैग गीज़ और कॉमन टील आदि शामिल हैं।
  • इस आर्द्रभूमि में वर्ष 2021 में 88 विभिन्न प्रजातियों के कुल 74,869 प्रवासी पक्षी, जबकि वर्ष 2020 में 90 विभिन्न प्रजातियों के कुल 91,025 प्रवासी पक्षी पहुँचे थे।
  • इस आर्द्रभूमि के अलावा प्रवासी पक्षी पंजाब के अन्य आर्द्रभूमियों- केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व, नंगल वन्यजीव अभयारण्य, रोपड़ झील, कांजली झील और ब्यास संरक्षण रिज़र्व आर्द्रभूमि में भी पहुँचते हैं। विदित है कि ये सभी आर्द्रभूमियाँ रामसर सूची में शामिल है।

हरिके आर्द्रभूमि के बारे में 

  • यह आर्द्रभूमि पंजाब के तरनतारन, फिरोजपुर और कपूरथला ज़िलों में 86 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है जो शीत ऋतु में प्रवासी पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों के लिये एक प्रमुख आवास का कार्य करता है।
  • यह आर्द्रभूमि सतलुज और ब्यास नदियों के संगम पर स्थित एक झील है। इसे ‘हरि-के-पट्टन’ (Hari Ke Pattan) के रूप में भी जाना जाता है।
  • इस आर्द्रभूमि को वर्ष 1990 में रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया था।

रामसर अभिसमय

  • यह वैश्विक आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। 2 फरवरी, 1971 को कैस्पियन सागर के तट पर स्थित रामसर, ईरान में हुए एक सम्मलेन में आर्द्रभूमियों के संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था।
  • जल से समृद्ध भू-भाग को आर्द्रभूमि की संज्ञा प्रदान की जाती है। रामसर अभिसमय के अनुसार कोई भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र जहाँ वर्ष में लगभग आठ माह जल भराव की स्थिति होती है वह क्षेत्र आर्द्रभूमि कहलाता है।
  • ये क्षेत्र जैव-विविधता से संपन्न होते हैं। इसे भारत में मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल सहित 19 वर्गों में विभाजित किया गया हैं।
  • प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी का दिन ‘विश्व आर्द्रभूमि दिवस’ मनाया जाता है। वर्ष 2022 के लिये इसका विषय- ‘लोगों और प्रकृति के लिये आर्द्रभूमि कार्रवाई’ (Wetlands Action for People and Nature) है।
  • रामसर साइट होने के लिये रामसर कन्वेंशन द्वारा परिभाषित नौ मानदंडों में से कम से कम एक को पूरा करना होता है। वर्तमान में भारत की 75 आर्द्रभूमियाँ इस सूची में शामिल हैं।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR