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कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भारतीय कार्यबल

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन 3: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय | सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।)

संदर्भ

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भारत में रोजगार बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की क्षमता और जोखिमों पर चर्चा की गई है। इसमें AI  को बढ़ावा देने के लिए उचित कौशल और संस्थागत प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

भारत में AI द्वारा नए रोजगार अवसर

  • नई रोजगार भूमिकाओं का निर्माण : AI पूरी तरह से नए रोज़गार भूमिकाओं जैसे- AI विकास, डाटा विज्ञान, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स और AI नैतिकता आदि का सृजन करता है। 
    • भारत की बड़ी युवा एवं तकनीक का उपयोग करने में अग्रणी आबादी इन उभरती भूमिकाओं का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है।
  • AI-संवर्धित कार्यबल : स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में, AI नियमित कार्यों को संभालने में पेशेवरों की सहायता कर सकता है।
  • नए क्षेत्रों में AI का विस्तार: AI में कृषि, रसद और ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्रों में विस्तार करने की क्षमता है, जिससे नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। 
    • उदाहरण के लिए, AI खेती के तरीकों को अनुकूलित कर उत्पादकता में सुधार कर सकता है।
  • लघु और मध्यम उद्यमों (SME) को बढ़ावा: AI लघु एवं मध्यम उद्यमों के संचालन को अनुकूलित करने के साथ ही ग्राहक सेवा में सुधार करने और लागत कम करने में मदद कर सकता है। 
    • AI टूल अपनाकर, छोटे व्यवसाय विस्तार कर सकते हैं और अधिक रोजगार के अवसर सृजित कर सकते हैं। 
  • उद्यमिता और स्टार्टअप के लिए समर्थन : AI छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप को उन्नत तकनीकों तक पहुँच प्रदान करके उद्यमिता बाधाओं को कम कर सकता है।

भारतीय कार्यबल के लिए AI जनित जोखिम 

  • रोजगार विस्थापन की संवेदनशीलता : अतीत की तकनीकी प्रगति ने रोजगार के अवसर सृजित किए। लेकिन इस प्रगति से कई श्रमिकों का विस्थापन हुआ और कुछ लंबे समय तक  बेरोजगार रह गए। इस प्रकार, पूंजी (प्रौद्योगिकी) और श्रम के बीच असंगतता को "एंगल्स पॉज़" (Engle’s pause) के रूप में जाना जाता है। 
    • भारत को बढ़ते कार्यबल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वर्ष 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियाँ सृजित करनी होंगी। 
  • आर्थिक असमानता में वृद्धि : AI के लाभ उच्च कौशल वाले क्षेत्रों और उन कंपनियों तक सीमित हो सकते हैं जो इस तकनीक को वहन कर सकती हैं। इससे आर्थिक असमानता  में वृद्धि की संभावना है। 
  • कौशल अंतराल और पुर्न-कौशल  चुनौतियाँ : AI अपनाने के लिए एक कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है जो नई तकनीकों को संभालने में सक्षम हो। 
    • रीस्किलिंग और अपस्किलिंग के लिए एक मजबूत प्रणाली के बिना, कई श्रमिकों को उच्च-मूल्य वाली भूमिकाओं में संक्रमण के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।
  • पारंपरिक रोज़गार भूमिकाओं में व्यवधान : AI स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और ग्राहक सेवा सहित विभिन्न उद्योगों में रोज़गार की भूमिका को मौलिक रूप से बदल सकता है। 
    • इन क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारी अगर नई तकनीकों के अनुकूल नहीं हो पाते हैं तो उनका रोजगार बदल सकता है या पूरी तरह से खत्म हो सकता है।
  • सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव : AI ऑटोमेशन के कारण नौकरी छूटने का डर सामाजिक अशांति और मनोवैज्ञानिक तनाव का कारण बन सकता है। 

प्रबंधन निकायों की भूमिका

  • नीति निर्माण और विनियमन : प्रबंधन निकाय (जैसे सरकारी एजेंसियाँ, विनियामक निकाय और उद्योग समूह) AI अपनाने के लिए मार्गदर्शन करने वाली नीतियाँ बनाने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
  • न्यायसंगत AI परिनियोजन सुनिश्चित करना : निकाय यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं कि AI प्रौद्योगिकियों को समान रूप से लागू किया जाए ताकि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को बढ़ने से रोका जा सके।
  • AI नैतिकता और मानक विकास: इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि AI प्रणाली पूर्वाग्रह से मुक्त हों, उनकी निर्णय लेने की प्रक्रिया पारदर्शी हो और वे  सामाजिक मूल्यों और मानवाधिकारों के साथ संरेखित हो।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी और सहयोग : नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र, निजी निगमों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के साथ ही यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि AI लोक कल्याण के लक्ष्यों के साथ संरेखित हो।
  • निगरानी, ​​रिपोर्टिंग और अनुकूलन : रोजगार, आर्थिक क्षेत्रों और समग्र रूप से समाज पर AI के प्रभाव की निरंतर निगरानी करना। 
    • AI से संबंधित नीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने और उभरती चुनौतियों एवं अवसरों के आधार पर उन्हें अनुकूलित करने के लिए फीडबैक तंत्र स्थापित करना। 

AI में कॉर्पोरेट जिम्मेदारी

  • नैतिक AI कार्यान्वयन : निगमों की यह जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके संगठनों में AI का नैतिक रूप से उपयोग किया जाए। 
  • जिम्मेदार AI अपनाना और कार्यकर्ता प्रभाव : कंपनियों को AI को अपनाने और अपने कर्मचारियों पर इसके प्रभाव के प्रति संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाना चाहिए। 
    • AI को ऐसे तरीकों से पेश किया जाना चाहिए जो मानव श्रमिकों को विस्थापित करने के बजाय उनके पूरक बनें।
  • सतत नवाचार में निवेश : निगमों को ऐसे AI समाधान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो टिकाऊ हों और उनके व्यवसाय तथा समाज दोनों पर दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव डालते हों।
  • सामाजिक कल्याण में योगदान : कंपनियों का उद्देश्य विस्थापित श्रमिकों की मदद करना, AI से संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा एवं  प्रशिक्षण का समर्थन करना तथा AI के लाभों को व्यापक रूप से वितरित करने वाली सामाजिक पहलों को वित्तपोषित करना होना चाहिए।

प्रबंधन निकायों और निगमों के मध्य सहयोगात्मक भूमिका 

  • प्रबंधन निकायों और निगमों दोनों को ऐसी नीतियों की वकालत करनी चाहिए जो जिम्मेदार AI तैनाती को प्रोत्साहित करें और आजीवन सीखने की संस्कृति को बढ़ावा दें।
  • दोनों को तेजी से AI अपनाने के दुष्प्रभावों से बचने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
  • मजबूत कौशल उन्नयन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए दोनों के मध्य संयुक्त प्रयास महत्वपूर्ण हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि श्रमिक रोज़गार बाजार में AI-प्रेरित परिवर्तनों के अनुकूल हो सकें।

मानव और AI के मध्य सहयोग की संभावना

  • सहायक के रूप में AI : मनुष्यों के साथ मिलकर काम करके, AI स्वास्थ्य सेवा, वित्त, विपणन और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में निर्णय लेने में सुधार के लिए अंतर्दृष्टि, पूर्वानुमान और सिफारिशें प्रदान कर सकता है।
  • जटिल समस्या-समाधान : विज्ञान एवं अनुसंधान जैसे उद्योगों में, AI जटिल डाटा सेट का विश्लेषण करने और संभावित समाधान सुझाने में मदद कर सकता है, जबकि मनुष्य उन सुझावों को परिष्कृत करने के लिए अपने अंतर्ज्ञान और विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं।
  • दोहराए जाने वाले कार्यों का स्वचालन : इससे मानव श्रमिकों को अपनी नौकरी के अधिक रचनात्मक, रणनीतिक या पारस्परिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
    • विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में, AI-संचालित रोबोट दोहराए जाने वाले उत्पादन कार्यों को संभाल सकते हैं जबकि मनुष्य गुणवत्ता नियंत्रण, डिजाइन और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • ग्राहक सेवा : चैटबॉट या वर्चुअल असिस्टेंट के माध्यम से वास्तविक समय में ग्राहक प्रश्नों को संभालने के लिए AI का उपयोग किया जा सकता है। मनुष्य अधिक जटिल या भावनात्मक ग्राहक आवश्यकताओं से निपटने के लिए आगे आ सकते हैं।
  • एक रचनात्मक उपकरण के रूप में AI : कला, संगीत, डिज़ाइन और लेखन जैसे क्षेत्रों में, AI मानव रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए, AI विचारों को उत्पन्न करने, डिज़ाइन तैयार करने में सहायता कर सकता है या अभिनव संगीत रचनाओं का सुझाव भी दे सकता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल : स्वास्थ्य सेवा में AI, चिकित्सा छवियों का विश्लेषण, बीमारियों की भविष्यवाणी और निदान करने में सहायता कर सकता है। 
    • हालाँकि, डॉक्टर एवं विशेषज्ञ अंतिम निर्णय लेने और रोगी की विशिष्ट स्थिति की अपनी विशेषज्ञता व समझ के आधार पर व्यक्तिगत देखभाल प्रदान कर सकते हैं।
  • प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन : AI कर्मचारियों में कौशल अंतराल की पहचान करने और व्यक्तिगत प्रशिक्षण सिफारिशें प्रदान करने में मदद कर सकता है। 
  • नैतिक निर्णय लेने में AI : AI डाटा के आधार पर निर्णय सुझा सकता है, जबकि मनुष्य भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सहानुभूति और नैतिक तर्क पर अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए, कानूनी या चिकित्सा क्षेत्रों में, AI सिफारिशें दे सकता है, लेकिन इसमें नैतिक विचारों को शामिल करने के लिए मनुष्यों की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष

  • AI के उदय के साथ भारत के कार्यबल को महत्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि AI में उत्पादकता बढ़ाने और नए रोज़गार अवसर सृजित करने की क्षमता है। यह कम कौशल वाले श्रमिकों के लिए जोखिम भी उत्पन्न करता है जिन्हें स्वचालन द्वारा विस्थापित किया जा सकता है। 
  • AI की बढ़ती भूमिका का लाभ उठाने के लिए  भारत को पुर्न-कौशल  में निवेश करने के साथ ही कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा जिम्मेदार AI को अपनाना सुनिश्चित करना चाहिए। 
  • भविष्य के लिए तैयार कार्यबल बनाने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षाविदों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है जो AI के लाभों का दोहन कर सकते हैं और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं।
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