(प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
लाओस जनवादी लोकतांत्रिक गणराज्य (लाओ पी.डी.आर.) के प्रधानमंत्री सोनेक्साय सिपानदोन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी ने 10-11 अक्तूबर, 2024 को लाओस की दो दिवसीय यात्रा की। इस दौरान वह 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ का संक्षिप्त रूप आसियान (ASEAN) है।
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन, 2024 के बारे में
- संस्करण : 21वां
- आयोजन स्थल : वियनतियाने (लाओ पी.डी.आर.)
- आयोजन तिथि : 10 अक्तूबर, 2024
- अध्यक्षता : लाओस द्वारा
- सदस्य : भारत सहित आसियान समूह के सभी 10 देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम)
- उद्देश्य : भारत की एक्ट-ईस्ट नीति के एक दशक पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आसियान नेताओं के साथ मिलकर आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा और सहयोग की भविष्य की दिशा तय करना।
- प्रधानमंत्री मोदी की इस शिखर सम्मेलन में यह 11वीं भागीदारी थी।
- पहला भारत-आसियान शिखर सम्मेलन वर्ष 2002 में कंबोडिया की राजधानी नामपेन्ह में हुआ था।
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख विचार
- प्रधानमंत्री ने आसियान एकता, आसियान केंद्रीयता एवं हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। सात आसियान देशों के साथ सीधी उड़ान संपर्क स्थापित की गई है।
- विगत दस वर्षों में भारत-आसियान व्यापार दोगुना होकर 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। वर्तमान में आसियान भारत के सबसे बड़े व्यापार एवं निवेश भागीदारों में से एक है।
- आसियान क्षेत्र के साथ फिन-टेक सहयोग के साथ आशाजनक शुरुआत हुई है। पांच आसियान देशों में साझा सांस्कृतिक विरासत की बहाली में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। नालंदा विश्वविद्यालय में आसियान युवाओं को छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।
- प्रधानमंत्री ने समयबद्ध तरीके से आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा पूरी करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
आसियान-भारत सम्मेलन, 2024 में ‘कनेक्टिविटी एवं लचीलापन’ थीम पर प्रधानमंत्री मोदी ने 10 सूत्री योजना की घोषणा की है :
- वर्ष 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाना (भारत द्वारा 5 मिलियन डॉलर उपलब्ध कराना)।
- युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्ट-अप महोत्सव, हैकाथॉन, संगीत महोत्सव, आसियान-भारत थिंक टैंक नेटवर्क और दिल्ली डायलॉग सहित कई केंद्रित गतिविधियों के माध्यम से एक्ट-ईस्ट नीति के एक दशक का उत्सव मनाना।
- आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास निधि के तहत आसियान-भारत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन आयोजित करना।
- नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति की संख्या दोगुनी करना और भारत में कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नई छात्रवृत्ति का प्रावधान।
- वर्ष 2025 तक आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा।
- आपदा लचीलापन बढ़ाना (भारत द्वारा 5 मिलियन डॉलर उपलब्ध)।
- स्वास्थ्य की दिशा में स्वास्थ्य मंत्रियों का एक नया ट्रैक शुरू करना।
- डिजिटल एवं साइबर नीति मजबूत करने की दिशा में आसियान-भारत साइबर नीति वार्ता का एक नियमित तंत्र शुरू करना।
- ग्रीन हाइड्रोजन पर कार्यशाला।
- जलवायु पुनरुत्थान की दिशा में ‘एक वृक्ष माँ के नाम’ अभियान में शामिल होने के लिए आसियान नेताओं को आमंत्रित करना।
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नई आसियान-भारत कार्य योजना (2026-2030) पर सहमति
- इस सम्मेलन में सभी नेताओं ने एक नई आसियान-भारत कार्य योजना (2026-2030) बनाने पर सहमति व्यक्त की है, जो आसियान-भारत साझेदारी की पूरी क्षमता को साकार करने में दोनों पक्षों का मार्गदर्शन करेगी।
- इसके लिए दो संयुक्त वक्तव्यों को अपनाया गया :
- भारत की एक्ट ईस्ट नीति के समर्थन से हिंद-प्रशांत पर आसियान आउटलुक के संदर्भ में क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिए आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर संयुक्त वक्तव्य।
- डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने पर आसियान-भारत संयुक्त वक्तव्य।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, 2024 के बारे में
- परिचय : यह सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक वार्ता के लिये एक प्रमुख मंच है।
- वर्तमान संस्करण : 19वां
- आयोजन स्थल : वियनतियाने, लाओ पी.डी.आर.
- आयोजन तिथि : 11 अक्तूबर, 2024
- उद्देश्य : पूर्वी एशिया में शांति, स्थिरता एवं आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना।
- अध्यक्षता : लाओस द्वारा
- सदस्य : कुल 18 सदस्य देश
- 10 आसियान देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड तथा वियतनाम)
- 8 अन्य देश (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस, तथा अमेरिका)
- प्रथम सम्मेलन : इस सम्मेलन का पहली बार आयोजन 14 दिसंबर, 2005 में मलेशिया (क्वालालंपुर) में हुआ था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस शिखर सम्मेलन में अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।
- प्रधानमंत्री मोदी ने वियनतियाने में इस सम्मेलन में भाग लिया और संबोधित किया।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख विचार
- प्रधानमंत्री ने भारत के हिंद-प्रशांत विजन और क्वाड सहयोग में हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय वास्तुकला में आसियान की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया।
- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी इसकी एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
- इस क्षेत्र में शांति एवं विकास के लिए एक स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी, समृद्ध व नियम-आधारित हिंद-प्रशांत के महत्त्व के लिए भारत की ‘हिंद-प्रशांत महासागर पहल’ और ‘हिंद-प्रशांत पर आसियान आउटलुक’ के बीच समानता पर चर्चा की।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र को विस्तारवाद पर आधारित दृष्टिकोण के बजाए विकास आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
- पूर्वी एशिया के देशों को नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले उच्च शिक्षा प्रमुखों के सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है।
- दुनिया में संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मानवीय दृष्टिकोण पर आधारित संवाद एवं कूटनीति का मार्ग अपनाया जाना चाहिए।
- साइबर और समुद्री चुनौतियों के साथ-साथ आतंकवाद वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, जिसके लिए देशों को मिलकर इनका मुकाबला करना होगा।
भारत-लाओस द्विपक्षीय वार्ता
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्साय सिपानदोन ने 11 अक्टूबर को विएंतियान में द्विपक्षीय वार्ता की।
- इसमें दोनों देशों के बीच आर्थिक और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर सार्थक चर्चा की गई।
- इस चर्चा में विरासत संरक्षण एवं पुनरुद्धार, विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, आर्थिक संबंध, रक्षा, संस्कृति व दोनों देशों की जनता के स्तर पर संबंध सहित कई मुद्दे शामिल रहे।
- मोदी ने लाओस के राष्ट्रपति थोंगलाउन सिसोउलिथ से भी मुलाकात की।
- प्रधानमंत्री सिपानदोन ने लाओ पी.डी.आर. में ‘तूफान यागी’ के दौरान भारत की ओर से दी गई सहायता के लिए भारत का धन्यवाद दिया।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ‘वट फू’ में जारी जीर्णोद्धार एवं संरक्षण द्विपक्षीय संबंधों को विशेष आयाम प्रदान करता है।
तीन त्वरित प्रभाव परियोजनाओं के क्षेत्र में समझौता
- दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में रक्षा, प्रसारण, सीमा शुल्क सहयोग एवं मेकांग-गंगा सहयोग के तहत तीन त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (क्यू.आई.पी.) के क्षेत्र में समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।
- क्यू.आई.पी. लाओ रामायण की विरासत का संरक्षण, रामायण से संबंधित भित्तिचित्रों के साथ वाट फ्रा किउ बौद्ध मंदिर के जीर्णोद्धार और चम्पासक प्रांत में रामायण पर आधारित छाया कठपुतली को समर्थन देने से संबंधित है।
- तीनों क्यू.आई.पी. में से प्रत्येक को लगभग 50,000 अमेरिकी डॉलर की भारत सरकार की अनुदान सहायता प्राप्त है।
- लाओस में पोषण सुधार के लिए भारत 10 लाख डॉलर की अनुदान सहायता भी देगा।
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