हाल ही में आईआईटी मद्रास ने एशिया की सबसे बड़ी शैलो वेव बेसिन अनुसंधान सुविधा की शुरुआत की
प्रमुख बिंदु
आईआईटी मद्रास ने अपने थाईयूर परिसर में एशिया की सबसे बड़ी और अत्याधुनिक शैलो वेव बेसिन अनुसंधान सुविधा की शुरुआत की है।
यह सुविधा भारत की तटीय और समुद्री इंजीनियरिंग से जुड़ी तकनीकी और अनुसंधान आवश्यकताओं को नया आयाम देने के उद्देश्य से विकसित की गई है।
मुख्य विशेषताएं
उद्देश्य और उपयोगिता:
यह सुविधा बंदरगाहों, जलमार्गों और तटीय संरचनाओं से जुड़ी जटिल समस्याओं का समाधान प्रदान करेगी।
भारत की बढ़ती औद्योगिक और अनुसंधान आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होगी।
एनटीसीपीडब्ल्यूसी के तहत विकास:
इस सुविधा को राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तट प्रौद्योगिकी केंद्र (NTCPWC) के तहत डिज़ाइन और निर्मित किया गया है।
तकनीकी क्षमता और अनुसंधान:
संरचनाओं पर 3डी तरंगों के प्रभाव का परीक्षण करने में सक्षम।
तटीय जलवायु परिवर्तन, तरंग प्रभाव लोडिंग और तलछट परिवहन जैसे जटिल पहलुओं पर शोध।
समुद्री और अंतर्देशीय परियोजनाओं में स्थिरता और प्रदर्शन में सुधार।
लाभ:
भारतीय बंदरगाहों, जलमार्ग परियोजनाओं और अंतर्देशीय जलमार्ग को नई तकनीकी क्षमता प्रदान करना।
तटीय और समुद्री इंजीनियरिंग में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा।
अन्य बिंदु
यह अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधा न केवल तटीय और समुद्री इंजीनियरिंग में भारत की प्रगति को सुदृढ़ करेगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और संरचनात्मक स्थिरता के क्षेत्र में वैश्विक अनुसंधान को भी नई दिशा देगी।
प्रश्न - हाल ही में किस संस्थान ने एशिया की सबसे बड़ी शैलो वेव बेसिन अनुसंधान सुविधा की शुरुआत की ?