प्रारम्भिक परीक्षा: एस्पार्टेम मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र:3- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की कैंसर अनुसंधान शाखा लोकप्रिय चीनी विकल्प एस्पार्टेम को "संभवतः मनुष्यों के लिए कैंसरकारी" के रूप में सूचीबद्ध करने की तैयारी में है।
एस्पार्टेम
- एस्पार्टेम को दुनियाभर में कृत्रिम शुगर के नाम से भी जाना जाता है।
- रासायनिक रूप से, एस्पार्टेम दो प्राकृतिक अमीनो एसिड, एल-एसपारटिक एसिड और एल-फेनिलएलनिन के डाइपेप्टाइड (Di-Peptide) का मिथाइल एस्टर है।
खोज
- इसकी खोज 1965 में अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी जी डी सियरल एंड कंपनी (जो अब फाइजर की सहायक कंपनी है) के एक रसायनज्ञ जेम्स एम श्लैटर ने की थी।
उपयोग
- इसका उपयोग आहार शीतल पेय, शुगर-फ्री च्युइंग गम, शुगर-फ्री आइसक्रीम, शुगर-फ्री नाश्ता अनाज आदि की एक विस्तृत श्रृंखला में किया जाता है।
सामान्य शुगर बनाम कृत्रिम शुगर
- FDA के अनुसार, एस्पार्टेम टेबल चीनी की तुलना में लगभग 200 गुना अधिक मीठा होता है।
- एस्पार्टेम को कैलोरी कम करने या वजन कम करने की कोशिश करने वाले या मधुमेह रोगियों द्वारा पसंद किया जाता है, क्योंकि जहां 2 चम्मच (8 ग्राम) चीनी लगभग 32 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करती है, वहीं 1 ग्राम एस्पार्टेम केवल 4 किलो कैलोरी होती है।
- अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि नियमित कोला की 12 फ़्लूड आउंस (लगभग 350 मिली) कैन में लगभग 10 चम्मच चीनी होती है, जबकि एस्पार्टेम युक्त कोला की समान मात्रा में केवल 7 किलो कैलोरी होती है।
- दरअसल, डाइट फ़िज़ी पेय के डिब्बे/बोतलों पर अक्सर पैकेजिंग पर "शून्य चीनी" या "शून्य कैलोरी" लिखा होता है।
कब से उपयोग में है एस्पार्टेम?
- वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार USFDA ने 1981 में भोजन में एस्पार्टेम के उपयोग की अनुमति दी थी और तब से पांच बार इसकी सुरक्षात्मक समीक्षा की गई है।
- एस्पार्टेम को यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (EFSA), जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय नियामकों और यहां तक कि WHO के द्वारा भी मानव उपभोग के लिए सुरक्षित प्रमाणित किया गया है।
- भारत सहित दुनिया भर के लगभग 100 देश एस्पार्टेम के उपयोग की अनुमति देते हैं।
स्रोत - IE