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असम-मिज़ोरम सीमा-विवाद

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन)
(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र– 3 : आंतरिक सुरक्षा)

सन्दर्भ

पिछले कुछ समय से जारी असम तथा मिज़ोरम के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों के मध्य सीमा-विवाद ने हिंसक रूप ले लिया है। यह उत्तर-पूर्व में लम्बे समय से चली आ रही अंतरराज्यीय सीमा सम्बंधी मुद्दों को रेखांकित करता है।

विवाद का विषय

  • असम और मिज़ोरम की सरकारों के मध्य हुए एक समझौते के तहत सीमा क्षेत्र को नो-मैन्स लैंड (No Man’s land) के रूप में मान्यता देने के साथ ही यथास्थिति (Status quo) बनाए रखने पर भी सहमती बनी थी। कथित रूप से लायलपुर गाँव (असम) के लोगों द्वारा यथा स्थिति प्रावधान का उल्लंघन करते हुए कुछ अस्थाई झोपड़ियों का निर्माण किया गया तथा मिज़ोरम के लोगों ने उनमे आग लगा दी, जिससे लगातार विवाद बढ़ता चला गया और हिंसक घटनाएँ शुरू हो गईं।
  • असम का पक्ष है कि रिकार्ड्स के अनुसार असम की ज़मीन पर मिज़ोरम के निवासियों द्वारा खेती की जा रही है।
  • मिज़ोरम के नागरिक समाज ने असम की तरफ से अवैध झोपड़ियों को नष्ट करने और पथराव की घटनाओं पर बांग्लादेशियों को यथास्थिति के वास्तविक उल्लंघनकर्ता बताया है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • वर्तमान असम और मिज़ोरम राज्य के मध्य की सीमा औपनिवेशिक काल से भी पहले की है। उस समय मिज़ोरम को असम के एक जिले लुशाई हिल्स के रूप में जाना जाता था।
  • दोनों राज्यों के मध्य यह विवाद वर्ष 1875 की एक अधिसूचना से शुरू हुआ है, जिसके तहत लुशाई हिल्स को कछार के मैदानों से अलग किया गया था। बाद में वर्ष 1933 के एक चार्टर के तहत भी लुशाई हिल्स और मणिपुर की सीमाओं का सीमांकन किया गया था।
  • मिज़ोरम का मानना है कि 1875 की अधिसूचना के आधार पर सीमाओं का निर्धारण किया जाना चाहिये, जिसे बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट 1873 से लिया गया था साथ ही, वर्ष 1933 के चार्टर में मिज़ो समाज से परामर्श नहीं किया गया था, जबकि असम सरकार 1933 के चार्टर का अनुसरण करती है।
  • पूर्वोत्तर के जटिल सीमा विवादों में असम तथा मिज़ोरम के मध्य विवाद, असम और नागालैंड राज्य की तुलना में कम ही है।

उत्तर-पूर्व में अन्य सीमा विवाद mizoram

  • ब्रिटिश शासन के दौरान असम में वर्तमान नागालैंड अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के अलावा मिज़ोरम भी शामिल था, जो वर्तमान में अलग-अलग राज्य बन गए हैं। लेकिन आज भी असम के साथ अलग हुए लगभग सभी राज्यों का सीमा विवाद बरकरार है।
  • इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) के वर्ष 2008 के एक शोध पत्र के अनुसार वर्ष 1965 से असम-नागालैंड सीमा पर हिंसक और सशस्त्र संघर्षों में कई लोग मारे गए हैं।
  • वर्ष 1975 और 1985 में हुई हिंसक घटनाओं में भी 100 से अधिक लोगों की जान गई थी तथा यह सीमा विवाद अब सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है।
  • असम तथा अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर वर्ष 1992 में पहली बार झडपें हुई थीं। तभी से दोनों पक्षों की तरफ से अवैध अतिक्रमण तथा आंतरायिक झड़पें (Intermittent Clashes) जारी हैं। इस सीमा मुद्दे पर भी सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई जारी है।
  • वर्तमान में असम तथा मेघालय के बीच 12 विवादित क्षेत्र हैं। फरवरी, 2020 में दोनों राज्यों के मुख्य मंत्रियों के मध्य यथास्थित और शांति बनाए रखने के सम्बंध में चर्चा हुई।

निष्कर्ष

औपनिवेशिक शासन ने अपनी प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुरूप सीमांकन किया था। लेकिन दुर्भाग्य से स्वंतत्र भारत में भी यह मुद्दा हल नहीं हो सका है। सीमा विवाद से जुड़े सभी राज्यों को यह समझना होगा कि इस मुद्दे को केवल आपसी वार्ताओं, समन्वय और विश्वास निर्माण के माध्यम से ही हल किया जा सकता है क्योंकि यह एक राजनैतिक समस्या है, जिसका समाधान भी राजनैतिक प्रयासों से ही सम्भव है।

प्री फैक्ट्स :

  • असम, मिज़ोरम के साथ 165 किमी, अरुणाचल प्रदेश के साथ 800 किमी, नागालैंड के साथ 500 किमी. तथा मेघालय के साथ 884 किमी. लम्बी सीमा साझा करता है।
  • वर्ष 1972 में मिज़ोरम को असम से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया तथा वर्ष 1987 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था।
  • करीमगंज और कछार ज़िला असम राज्य में तथा कोलासिब और मामित ज़िले मिज़ोरम राज्य में स्थित हैं।
  • मिज़ो ज़िरलाई पावल (MZP) मिज़ोरम का एक शक्तिशाली छात्र संगठन है। यह संगठन असम के रास्ते से मिज़ोरम में घुसपैठ करने वाले अवैध बांग्लादेशियों का पुरज़ोर विरोध करता है।
  • नो मैन्स लैंड : यह दो राज्यों या देशों की सीमाओं पर अवस्थित भूमि या क्षेत्र होता है, जिसपर दोनों में से किसी का अधिकार नहीं होता है। सामान्यतः इसे असैन्य क्षेत्र या मध्यवर्ती भूमि भी कहा जाता है।

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