(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
चर्चा में क्यों
हाल ही में, असम की संस्कृति और पहचान के प्रतीक ‘गमछा’ (Gamocha) को भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत असम सरकार के हथकरघा एवं कपड़ा निदेशालय के पक्ष में जी.आई. टैग पंजीकृत किया गया है।
- एक जी.आई. टैग मुख्य रूप से एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पादित होने वाले कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों, हस्तशिल्प एवं औद्योगिक वस्तुओं के लिये दिया जाता है।
असमी गमछा
- गमछा असम के लोगों की सांस्कृतिक, क्षेत्रीय पहचान के साथ-साथ उपयोग की एक महत्त्वपूर्ण वस्तु है। असमी गमछा सामान्यतया सूती कपड़े से बना हुआ एक सफेद आयताकार टुकड़ा होता है।
- परंपरागत रूप से प्राय: इसमें तीन तरफ लाल रंग के किनारे होते हैं, जबकि चौथी तरफ से यह खुला होता है। खुले हुए मुँह की ओर मिश्रित रंगों की विभिन्न स्थानीय व प्राकृतिक कलाकृतियाँ बनी होती हैं। इन कलाकृतियों को बनाने में मुख्यतः लाल रंग का प्रयोग होता है, परंतु कई अन्य रंगों को मिलाकर भी इसे बनाया जा सकता है।
- असमी गमछे को बनाने के लिये कच्चे माल के रूप में अधिकतर सूती धागों का प्रयोग होता है। फिर भी विशेष अवसरों पर इसे ‘पेट सिल्क’ (Pat Silk) से बनाया जाता है।
उका एवं फूलम
- असम में परंपरागत रूप से दो प्रकार के गमछे बुने जाते हैं। इन्हें ‘उका’ (Uka) और ‘फूलम’ (Phulam) कहते हैं। उका सामान्यत: सादे रंग के टुकड़े होते हैं, जिनका प्रयोग प्राय: गर्मियों में और नहाने के बाद किया जाता है।
- फूलम का प्रयोग विशेष अवसरों पर होता है। बिहू (रंगोली बिहू) जैसे त्योहार के समय, स्मृति चिह्न व अन्य भेंट पर फूलम को उपहार स्वरूप प्रदान किया जाता है। इस पर स्थानीय फूल व फसलों की कलाकृतियाँ बने रहने के कारण इसे फूलम कहते हैं, परंतु वर्तमान में इसमें अन्य प्रकार की कलाकृतियाँ भी बनाई जाने लगी हैं।
- फूलम की अपेक्षा उका का प्रयोग अधिक किया जाता है।
जी.आई. टैग प्राप्त असम के अन्य उत्पाद
- जुडिमा- चावल एवं एक खास जड़ी-बूटी से बनी शराब
- असम का मुगा सिल्क
- तेजपुर लीची
- जोहा चावल