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राकोका बिल को विधानसभा की मंजूरी

प्रारम्भिक परीक्षा - राकोका बिल
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 2और 3

चर्चा में क्यों ?

राजस्थान में संगठित अपराधों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार नए विधेयक 'राकोका' बिल को विधानसभा में पारित किया ।

प्रमुख बिंदु 

  • माकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) की तर्ज पर राजस्थान सरकार ने राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक यानी राजस्थान कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (राकोका) पारित किया।
  • राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक -2023 (The Rajasthan Control of Organized Crime Bill, 2023) अगर कानून का रूप ले लेता है तो राज्य में संगठित अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हो पाएगी।
  • 18 जुलाई 2023 को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 पारित किया गया।
  • माफियाओं और मल्टीलेवल मार्केटिंग की तरह चिटफंड कंपनियां चलाने वाले आरोपी भी इस कानून के दायरे में आएंगे।
  • ऐसा सख्त कानून बनाने वाला राजस्थान देश का चौथा राज्य होगा। इससे पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ इसी तरह का सख्त कानून है।

विधेयक की आवश्यकता

  • राजस्थान (Rajasthan) में पिछले एक दशक से अपराध के पैटर्न में बदलाव देखा जा रहा है।
  • इसमें लगातार संगठित तरीके से अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है।
  • राजस्थान के कुछ जिलों में सक्रिय संगठित आपराधिक गिरोहों ने शूटर, मुखबिर, गुप्त सूचना देने वाले और हथियारों की सप्लाई करने वालों ने एक संगठित नेटवर्क स्थापित कर लिया है।
  • संगठित गिरोह कई तरह के अपराधों में लिप्त रहते हैं। ऐसे लोग सुधारात्मक कानून प्रक्रिया और पुनर्वास संबंधी मामलों का लाभ उठाते हुए जेल से बाहर आ जाते हैं।
  • ऐसे अपराधियों से सख्त तरीके से निबटने के लिए इस कठोर कानून की आवश्यकता महसूस हुई। इस कानून के बनने से अपराधियों पर लगाम लगेगी।

प्रमुख प्रावधान

  • विधेयक में किए गए प्रावधानों के अनुसार गिरोह बनाकर अपराध करने वालों की संपत्ति को सरकार जब्त कर सकती है।
  • अपराधी के हमले से किसी व्यक्ति की हत्या हो जाती है तो उसे उम्र कैद अथवा फांसी की सजा का प्रावधान है । साथ ही, न्यूनतम एक लाख के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
  • अन्य अपराध में अपराधी को कम से कम पांच साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा मिलेगी। अपराधी को पांच लाख तक का जुर्माना भी देना होगा।
  • विधेयक में संगठित अपराध के मामलों की सुनवाई करने के लिए विशेष अदालत के गठन का प्रावधान है।
  • संगठित अपराधों के मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है।
  • अपराधियों की संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान भी विधेयक में किया गया है।
  • इसके अलावा इस तरह के मामलों की जांच डीएसपी या उससे ऊपर के अधिकारी ही करेंगे।
  • गवाहों की सुरक्षा के लिए उनकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी । गोपनीयता भंग करने वालों के खिलाफ एक साल की सजा और एक हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया जा सकेगा।
  • जिन अपराधियों के खिलाफ पिछले 10 साल में एक से ज्यादा चार्जशीट पेश की गई हो और न्यायालय ने उन पर संज्ञान लिया हो । ऐसे अपराधियों को राकोका के दायरे में लाया गया है।
  • गिरोह के प्रत्येक सदस्य के खिलाफ 'राकोका' के प्रावधानों के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
  • अगर दोया इससे ज्यादा अपराधियों ने मिलकर किसी को फिरौती के लिए धमकाया, पैसा वसूला हो तो इसे 'राकोका' के तहत संगठित क्राइम मानकर कार्रवाई की जाएगी ।ऐसा करने वालों की संपत्ति और पैसा दोनों जब्त किया जायेगा ।
  • संगठित अपराधियों को शरण देने वालों को न्यूनतम पांच साल और अधिकतम आजीवन कारावास का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है।
  • किसी गिरोह के सदस्य की संपति रखने वालों को तीन से दस साल तक की सजा होगी। ऐसे लोगों पर न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही उनकी संपत्ति कुर्क की जा सकेगी।
  • संगठित अपराध गिरोह के सदस्य के रूप में आर्थिक लाभ,अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए हिंसा, धमकी या फिर जबरदस्ती करने को कानून में परिभाषित किया गया है।
  • दो या इससे अधिक लोगो के शामिल होने को संगठित अपराध माना गया है।
  • बिल के मुताबिक कोई संगठित अपराध करने का षंड़यंत्र करता है या करने की कोशिश करता है तो भी पांच साल से आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
  • इतना ही नहीं संगठित अपराधियों को कोई व्यक्ति आश्रय देता है तो भी वो सजा का हकदार होगा। इस प्रकार की सजा पांच साल से आजीवन कारावास तक हो सकती है । सिंडिकेट का सदस्य होने पर भी इतनी ही सजा का प्रवाधान किया गया है।
  • राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधयेक 2023 के अनुसार यदि किसी भी व्यक्ति के पास संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य का ऐसी चल और अचल संपत्ति है और वह उसका संतोषप्रद जवाब नहीं दे पा रहा होतो तीन साल से कम की सजा नहीं होगी। साथ ही ऐसी संपति कुर्क की जा सकेगी।
  • इसके साथ ही, लोक सेवकों के लिए भी दंड का प्रावधान किया गया है। कोई भी लोक सेवक संगठित अपराध किए जाने से पहले या बाद में उसका समर्थन करता है या उनका बचाव करता है तो लोक सेवकों को भी तीन साल के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
  • अपराधियों का सहयोग करने वालों को भी उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
  • सामान्य मामले में कम से कम पांच वर्ष की सजा और आजीवन कारावास के साथ न्यूनतम पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान भी जोड़ा गया है।
  • संगठित अपराध का षड़यंत्र करने वालों को भी पांच वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और न्यूनतम पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • इस विधेयक में अपराधियों कीअर्जित संपत्ति को जब्त करने के साथ विशेष न्यायालयों की स्थापना और विशेषलोक अभियोजकों की नियुक्ति करने के प्रावधान भी जोड़े गए हैं। इससे मुकदमों का शीघ्र निस्तारण हो सकेगा।

संगठित अपराध

कई असामाजिक तत्व जब अपनी आजीविका कमाने के लिए एक जुट होकर अपराध को एक पेशे के रूप में अपनाना लाभदायक समझते हैं तो इसे संगठित अपराध माना जाता है । इससे अपराधियों को खुद को आपराधिक गिरोहों में संगठित करने का अवसर मिलाता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आधुनिक युग में, अपराधियों द्वारा अपराध की नई तकनीकों का उपयोग अपराधों को अंजाम देने के लिए भी किया जाता है।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. राजस्थान संगठित अपराध पर कानून बनाने वाला भारत का चौथा राज्य है ।
2. नवीनतम कानून में लोक सेवकों के लिए भी दंड का प्रावधान किया गया है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल1
(b) केवल2
(c) 1 और 2
(d) कोई भी नहीं

उत्तर(c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: संगठित अपराधों से क्या अभिप्राय है । राजस्थान का नवीनतम कानून इसे रोकने में कहाँ तक सफल होगा ? चर्चा कीजिए ।

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