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एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियाँ (Asset Reconstruction Companies - ARCs)

  • एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियाँ (ARCs) विशेषीकृत वित्तीय संस्थाएँ (Specialized Financial Institutions) होती हैं जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों से गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets - NPAs) या खराब ऋण (Bad Loans) खरीदती हैं।
  • इनका मुख्य उद्देश्य बैंकों की बैलेंस शीट को साफ करना होता है ताकि बैंक अपने मूल कार्य यानी ऋण वितरण (Lending Operations) पर ध्यान केंद्रित कर सकें। 
  • ARCs उन खराब ऋणों की वसूली (Recovery) या पुनर्संरचना (Restructuring) का कार्य करती हैं।

उत्पत्ति (Genesis of ARCs)

  • नरसिंहम समिति-II (Narasimham Committee-II), 1998 ने पहली बार ARCs की अवधारणा का प्रस्ताव दिया।
  • SARFAESI अधिनियम, 2002 (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act) के माध्यम से कानूनी ढांचा (Legal Framework) तैयार हुआ।
  • ARCIL (Asset Reconstruction Company India Limited) भारत की पहली ARC थी।
  • राष्ट्रीय एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) को 2021 में बड़े पैमाने के एनपीए को सुलझाने के लिए शुरू किया गया। इसे "Bad Bank" भी कहा जाता है।

ARCs के प्रमुख कार्य (Main Functions of ARCs)

  • NPA का अधिग्रहण (Acquisition of NPAs): ARCs बैंकों से एनपीए को रियायती दर (Discounted Rate) पर खरीदती हैं।
  • सिक्योरिटी रिसीट्स (Security Receipts - SRs) जारी करना: ये प्रतिभूतियाँ (Securities) योग्य संस्थागत निवेशकों (Qualified Institutional Buyers - QIBs) को जारी की जाती हैं, जिनसे पूंजी जुटाई जाती है।
  • ऋण पुनर्संरचना (Loan Restructuring): उधारकर्ता की स्थिति के अनुसार ऋण की शर्तों को आसान बनाना।
  • वसूली या बिक्री (Asset Recovery or Sale): या तो उधारकर्ता से वसूली की जाती है या संपत्ति किसी तीसरे पक्ष को बेची जाती है।

कार्यप्रणाली (Functioning of ARCs)

  • बैंक अपने खराब ऋणों को ARCs को बेचते हैं।
  • ARCs इन संपत्तियों के बदले Security Receipts (SRs) जारी करती हैं।
  • इन्हें 8 वर्षों के भीतर सुलझाना और SRs का भुगतान (Redemption) करना होता है।

महत्वपूर्ण प्रावधान (Key Provisions under RBI Guidelines)

प्रावधान

विवरण

नेट ओन्ड फंड (Net Owned Fund - NOF):

300 करोड़ न्यूनतम पूंजी होनी चाहिए।

पंजीकरण (Registration):

RBI से Certificate of Registration (CoR) अनिवार्य है।

पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio):

न्यूनतम 15% होना चाहिए।

नेतृत्व संबंधी दिशानिर्देश (Leadership Guidelines):

MD/CEO की अधिकतम उम्र 70 वर्ष, एक बार में 5 वर्ष का कार्यकाल, अधिकतम 15 वर्ष तक लगातार सेवा।

आंतरिक लेखा परीक्षा (Internal Audit):

आवधिक निरीक्षण और जांच प्रणाली अनिवार्य है।

प्रतिबंधित गतिविधियाँ (Prohibited Activities):

ARCs सार्वजनिक जमा (Public Deposits) नहीं ले सकतीं।

भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका (Role of RBI)

  • RBI इन संस्थाओं का नियमन (Regulation) करता है।
  • संचालन में पारदर्शिता (Transparency) और कार्यकुशलता (Efficiency) के लिए दिशा-निर्देश जारी करता है।

ARCs का महत्व (Importance of ARCs)

  • बैंकों को राहत (Bank Relief): खराब ऋणों से मुक्ति मिलती है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होती है।
  • बेहतर कार्यक्षमता (Improved Efficiency): बैंक अपने मुख्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
  • आर्थिक वृद्धि (Economic Growth): पूंजी का पुन:प्रवाह (Capital Flow) और ऋण की पुन:वसूली से अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।
  • वित्तीय स्थिरता (Financial Stability): खराब ऋणों को नियंत्रित ढंग से सुलझाने से बैंकिंग प्रणाली स्थिर रहती है।

चुनौतियाँ (Challenges Faced by ARCs)

  • लंबी वसूली प्रक्रिया (Lengthy Recovery Process): कानूनी और प्रशासकीय बाधाएँ।
  • संपत्ति मूल्यांकन की समस्याएँ (Asset Valuation Issues): तनावग्रस्त परिसंपत्तियों (Stressed Assets) का मूल्यांकन करना कठिन होता है।
  • निवेशकों की रुचि (Investor Interest): पर्याप्त पूंजी और निवेश की आवश्यकता होती है।
  • कम वसूली दर (Low Recovery Rates): कई बार सम्पूर्ण ऋण राशि की वसूली नहीं हो पाती।

हालिया पहल – 

NARCL ("Bad Bank")

  • 2021 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई।
  • इसका उद्देश्य बड़े एनपीए (Large Ticket NPAs) को खरीदना और समयबद्ध तरीके से सुलझाना है।
  • NARCL को IDRCL (India Debt Resolution Company Ltd) के साथ मिलकर कार्य करने के लिए स्थापित किया गया है।
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