भारतीय खगोलविदों ने एस्ट्रोसैट वेधशाला के माध्यम से ब्लैक होल के आसपास गैस अभिवृद्धि और सापेक्ष जेट निर्माण की भौतिकी पर एक महत्वपूर्ण खोज की है।
इस खोज में एक असामान्य विस्फोट चरण के दौरान ब्लैक होल बाइनरी सिस्टम से उत्सर्जित उच्च-ऊर्जा एक्स-रे फोटॉनों के 'अनियमित मॉड्यूलेशन' का अवलोकन शामिल है।
एस्ट्रोसैटवेधशाला
यह पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे, ऑप्टिकल और यूवी स्पेक्ट्रल बैंड में एक साथ आकाशीय स्रोतों का अध्ययन करना है।
यह भारत की पहली समर्पित बहु-तरंगदैर्ध्य अंतरिक्ष वेधशाला है
इसे वर्ष 2015 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण यान पीएसएलवी द्वारा भूमध्य रेखा से 6 डिग्री के कोण पर झुकी हुई 650 किमी की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था
इसका न्यूनतम उपयोगी जीवन लगभग 5 वर्ष है।
इसके प्रमुख उद्देश्य हैं -
न्यूट्रॉन सितारों और ब्लैक होल वाले बाइनरी स्टार सिस्टम में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं को समझना
न्यूट्रॉन सितारों के चुंबकीय क्षेत्र का अनुमान लगाना
हमारी आकाशगंगा से परे स्थित तारा प्रणालियों में तारा जन्म क्षेत्रों और उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।