प्रारंभिक परीक्षा – एटिकोप्पका खिलौने, पद्म पुरस्कार
सन्दर्भ
- गणतंत्र दिवस के अवसर पर एटिकोप्पका खिलौना शिल्प के निर्माण से संबंधित आंध्र प्रदेश के श्री राजू को पद्म श्री पुरस्कार के लिए चुना गया।
एटिकोप्पका खिलौने
- एटिकोप्पका खिलौने, आंध्र प्रदेश के पारंपरिक खिलौने हैं
- पारंपरिक लकड़ी के एटिकोपपाका खिलौने बनाने की कला 400 साल से भी अधिक पुरानी है और यह परंपरागत रूप से उन्हें उनके पूर्वजों द्वारा पीढ़ियों से सौंपी गई है।
- ये खिलौने राज्य के विशाखापट्टनम जिले में वराह नदी के तट पर स्थित एटिकोप्पाका गांव में कारीगरों द्वारा बनाए जाते हैं।
- ये खिलौने आकार और रूप में अद्वितीय होते हैं, इन्हें जीआई टैग भी प्राप्त है।
- इन्हें 'अंकुडी कर्रा' (राइटिया टिंकटोरिया) के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल कर के बनाया जाता है, जो प्रकृति में नरम होती है।
- इन्हें बीज, लाख, छाल, जड़ों और पत्तियों से तैयार प्राकृतिक रंगों से रंगा जाता हैं।
- इन खिलौनों के निर्माण में किसी भारी धातु या विषैली सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- एटिकोप्पका खिलौनों को बनाने की कला को टर्न्ड वुड लैकर क्राफ्ट के नाम से भी जाना जाता है।
पद्म पुरस्कार
- पद्म पुरस्कारों की स्थापना 1954 में की गई थी, इनकी घोषणा 1978 और 1979 और 1993 से 1997 के दौरान संक्षिप्त व्यवधान को छोड़कर प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।
- पहले पद्म विभूषण की तीन श्रेणियां थीं पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग, बाद में 1955 में राष्ट्रपति अधिसूचना के माध्यम से इनका नाम बदलकर पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री कर दिया गया।
- असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म विभूषण’ सम्मान
- उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म भूषण’ सम्मान
- किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्मश्री' सम्मान
- ये पुरस्कार विभिन्न विषयों/क्षेत्रों अर्थात कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान व इंजीनियरिंग, व्यापार एवं उद्योग, चिकित्सा, साहित्य व शिक्षा, खेल, सिविल सेवा, इत्यादि में प्रदान किए जाते हैं।
- पद्म पुरस्कारों के लिए प्राप्त सभी नामांकन पद्म पुरस्कार समिति के समक्ष रखे जाते हैं, जिसका गठन हर साल प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है।
- पद्म पुरस्कार समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं और इसमें गृह सचिव, राष्ट्रपति के सचिव और चार से छह प्रतिष्ठित व्यक्ति सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
- समिति की सिफारिशें अनुमोदन के लिए प्रधान मंत्री और भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाती हैं।
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