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वायुमंडलीय नदियाँ

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1: भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन तथा इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव)

संदर्भ 

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार  पिछले चार दशकों में वायुमंडलीय नदियां (Atmospheric Rivers) दोनों ध्रुवों की ओर लगभग 6 से 10 डिग्री तक स्थानांतरित हो गई हैं। यह स्थिति वैश्विक जलवायु के प्रतिरूप को प्रभावित कर रही है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में तेज़ी ला रही है। 

क्या हैं वायुमंडलीय नदियाँ 

  • वायुमंडलीय नदियाँ वायुमंडल में अपेक्षाकृत लंबे व संकीर्ण क्षेत्र हैं जो अधिकांश जल वाष्प का परिवहन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर करती हैं। ये आकाश में नदियों की तरह हैं। 
  • हालाँकि, वायुमंडलीय नदियाँ कई आकार की होती हैं किंतु जिन नदियों में सर्वाधिक मात्रा में जल वाष्प एवं सबसे तेज़ हवाएँ होती हैं, वे अत्यधिक वर्षा व बाढ़ ला सकती हैं
    • उदाहरण के लिए ‘पाइनएप्पल एक्सप्रेस’ एक मजबूत वायुमंडलीय नदी है जो हवाई क्षेत्र (अमेरिका) के पास उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से नमी को अमेरिका के पश्चिमी तट तक लाने में सक्षम है।
  • वायुमंडलीय नदियाँ प्राय: अत्यधिक उष्णकटिबंधीय उत्तरी प्रशांत व अटलांटिक, दक्षिण-पूर्वी प्रशांत और दक्षिण अटलांटिक महासागरों में पाई जाती हैं जो प्राय: उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तटों पर भूस्खलन का कारण बनती हैं। 
  • वायुमंडलीय नदियाँ आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में निर्मित होती हैं। ऊष्ण तापमान के कारण समुद्र का जल वाष्पित हो जाता है और वातावरण में ऊपर उठता है। तेज़ हवाएँ जलवाष्प को वायुमंडल में ले जाने में मदद करती हैं।
  • जैसे-जैसे वायुमंडलीय नदियाँ स्थल के ऊपर से गुजरती हैं, जल वाष्प वायुमंडल में दूर तक फैल जाता है। कुछ समय पश्चात् ये जल की बूंदें ठंडी हो जाती हैं, जो वर्षा के रूप में प्राप्त होती हैं।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 

  • अध्ययन के अनुसार वायुमंडलीय नदियों का ध्रुवों की ओर स्थानांतरण का एक मुख्य कारण प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह के तापमान में होने वाला परिवर्तन है। 
    • वर्ष 2000 के बाद से प्रशांत क्षेत्र में पानी के ठंडा होने की प्रवृत्ति देखी गई है। यह स्थिति ला नीना परिस्थितियों से जुड़ी है और वायुमंडलीय नदियों को ध्रुवों की ओर धकेल रही है। 
    • जब प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान कम हो जाता है तो ये उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के विभिन्न भागों में वर्षा को प्रभावित करती है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु परिवर्तन ने भारत में भी मानसूनी वर्षा को अधिक अनियमित बना दिया है। दीर्घकाल तक सूखा रहने के बाद किसी स्थान पर अचानक बहुत कम समय में मूसलाधार बारिश हो रही है। 
    • इसका कारण वैश्विक तापन के कारण आर्द्रता में अत्यधिक वृद्धि के साथ   वायुमंडलीय नदियों का प्रभावित होना हो सकता है। 

अध्ययन के प्रमुख निहितार्थ 

  • उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, जहां वायुमंडलीय नदियां कम होती जा रही हैं, इसका परिणाम लंबे समय तक सूखा एवं पानी में कमी हो सकता है। 
    • कैलिफोर्निया एवं दक्षिणी ब्राज़ील में जलाशयों के पुनर्भरण एवं खेती के उद्देश्य से वर्षा के लिए वायुमंडलीय नदियों पर निर्भरता होती है। 
    • इस आर्द्रता के बिना इन क्षेत्रों में पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे समुदायों, कृषि एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव बढ़ सकता है।
  • ध्रुवों की ओर बहने वाली वायुमंडलीय नदियाँ उच्च अक्षांशों वाले क्षेत्रों में अधिक तीव्र वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन का कारण बन सकती हैं। अमेरिकी तट पर उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र, यूरोप और यहां तक ​​कि ध्रुवीय क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है।
  • वर्तमान में होने वाले बदलाव मुख्यत: प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण होने वाले परिवर्तनों को दर्शाते हैं किंतु मानव-प्रेरित वैश्विक तापन भी इसमें भूमिका निभाती है। वैश्विक तापन के कारण भविष्य में वायुमंडलीय नदियों की समग्र आवृत्ति एवं तीव्रता में वृद्धि होने का भी अनुमान है। 
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