(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएं एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन) |
चर्चा मे क्यों
केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए ‘परमाणु ऊर्जा मिशन’ की शुरुआत की गई।
परमाणु ऊर्जा मिशन के बारे मे
- लक्ष्य : लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देना
- इस मिशन के तहत वर्ष 2033 तक कम-से-कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों को चालू किया जाएगा।
- बजट आवंटन : ₹20,000 करोड़
- संशोधन : मिशन के तहत परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण और संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 एवं परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन किया जाएगा।
- महत्व :
- वर्ष 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता एवं वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को पूर्ण करने के अनुरूप
- वर्तमान में भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लगभग 75% के लिए कोयले जैसे पारंपरिक स्रोतों पर निर्भर है। इसलिए यह मिशन परमाणु ऊर्जा को एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप मे स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
क्या आप जानते हैं?
वर्तमान मे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का स्वामित्व एवं संचालन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड और इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम के पास है।
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भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता
- भारत की परमाणु ऊर्जा की मौजूदा क्षमता 8 गीगावाट (7,480 मेगावाट) से भी कम है, जिसमें 23 परमाणु रिएक्टर शामिल हैं।
- सरकार का लक्ष्य वर्ष 2031-32 तक मौजूदा क्षमता को तीन गुना करके 22,800 मेगावाट करना है।
- भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता अमेरिका, चीन एवं फ्रांस जैसे अन्य प्रमुख देशों की तुलना में काफी कम है।
- इसका मुख्य कारण परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की अत्यधिक उच्च लागत है, जो भूमि अधिग्रहण की जटिलताओं, पर्यावरण लॉबिंग एवं अन्य बाधाओं के कारण अधिक बढ़ जाती है।
लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR)
- ये छोटे परमाणु रिएक्टर हैं जो आमतौर पर 300 मेगावाट से कम बिजली का उत्पादन करते हैं।
- इसके विपरीत पारंपरिक प्रेशराइज्ड हैवी वाटर परमाणु रिएक्टर (PHWR) आमतौर पर 500 मेगावाट या उससे अधिक विद्युत् उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं।
- ये अपेक्षाकृत सरल और मॉड्यूलर डिजाइन है जिसके कारण इनके घटकों को साइट पर निर्माण करने के बजाय कारखाने में ही असेम्बल किया जा सकता है। इसके अन्य लाभ निम्नलिखित हैं-
- पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में आकार में बहुत छोटे
- लागत प्रभावी
- कारखाने में निर्माण
- कम स्थान घेरना
- लचीला परिचालन
- SMR पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में विभिन्न लाभों के कारण वर्तमान में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में काफ़ी लोकप्रिय हैं। हालाँकि, यह अभी भी एक नई तकनीक है जिसे व्यावसायिक स्तर पर अपनाने के प्रयास जारी हैं।
- चीन इस क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है, जहाँ दुनिया की पहली ऑनशोर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर सुविधा ‘लिंगलोंग वन’ का अनावरण वर्ष 2026 में में किया जाएगा।
- वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 80 वाणिज्यिक एस.एम.आर. डिज़ाइन पर काम चल रहा है जिसमें भारत का अपना भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर भी शामिल है।
- वर्तमान सरकार ने अगले दशक में लगभग 40-50 ऐसे परमाणु रिएक्टर लगाने का लक्ष्य रखा है।
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