(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र : 2 - द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी’ (United Nations Relief and Works Agency : UNRWA) को कई बड़े दानदाता देशों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसके कुछ कर्मचारियों पर अक्तूबर 2023 में इजरायल पर हमले में कथित रूप से शामिल होने का आरोप है। हालाँकि, इन सबके बीच इस एजेंसी में भारत का योगदान स्थिर बना हुआ है।
यू.एन.आर.डब्लू.ए. के बारे में
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. एक स्व-घोषित गैर-राजनीतिक बहुपक्षीय एजेंसी है। यह वर्ष 1967 में गाजा पर इजरायल के कब्जे के बाद से ही एक मेजबान-राज्य के समकक्ष कार्य कर रहा है।
- इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गाजा में फिलिस्तीनियों को स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिकृत किया है।
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. एकमात्र ऐसी एजेंसी है जिसे लोगों के एक विशेष समूह अर्थात् फिलिस्तीनी शरणार्थियों की देखभाल के लिए गठित किया गया है।
- फिलिस्तीनी शरणार्थी भौगोलिक रूप से जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, गाजा पट्टी एवं पूर्वी यरुशलम सहित वेस्ट बैंक में फैले हुए हैं।
- इसके 99% से अधिक कर्मचारी फिलिस्तीनी शरणार्थी हैं। यह गाजा पट्टी में रोज़गार के अवसर भी सृजित करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय कार्यबल पर निर्भर रहने वाली अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के विपरीत गाजा में यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. का संचालन शरणार्थियों की सामाजिक व्यवस्था से निकटता से संबद्ध है।
- कई देशों में अपनी उपस्थिति के बावजूद यह मुख्यत: गाजा में संचालित होता है। वर्ष 2021 में इसके कार्यक्रम बजट का लगभग 41% इस क्षेत्र के लिए निर्धारित था।
यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. का वित्त पोषण
यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के लिए वित्तीय सहायता सदस्य राज्यों से दो मुख्य श्रेणियों के तहत प्रदान की जाती है :
कार्यक्रम बजट योगदान
- कार्यक्रम बजट योगदान कोर सेवाओं, जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे, शरणार्थी शिविर सुधार और राहत एवं सामाजिक सेवाओं का समर्थन करते हैं।
- ये फंड एजेंसी के फिलिस्तीनी कर्मचारियों के लिए वेतन दायित्वों को पूरा करने के साथ ही इसके मानवीय कार्यक्रमों को जारी रखते हैं।
आपातकालीन अपील में योगदान
- यह संगठन कभी-कभी मानवीय संकटों का सामना करने के लिए अतिरिक्त धन प्राप्ति के उद्देश्य से आपातकालीन अपील भी जारी करता है, जैसे- गाजा संघर्ष।
- आपातकालीन अपील की प्रकृति आवर्ती व्यय नहीं हैं और उन क्षेत्रों की ओर निर्देशित होती है जहां अचानक संकट उत्पन्न होता है।
वित्तपोषण के समक्ष चुनौतियाँ
- इस एजेंसी को लंबे समय से बजटीय घाटे के कारण पतन के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
- इसका प्रत्यक्ष प्रभाव बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी शरणार्थियों पर पड़ा है जो विभिन्न सेवाओं के लिए एजेंसी पर निर्भर हैं।
- यह एजेंसी फिलिस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र सुलह आयोग (UN Conciliation Commission on Palestine : UNCCP) के अनुभव को देखते हुए निम्न वित्त पोषण सहायता के कारण असुरक्षित है।
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. और यू.एन.सी.सी.पी. दोनों एजेंसियों की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1949 में की गई थी।
- हालाँकि, निरंतर वित्त पोषण में कमी के परिणामस्वरूप यू.एन.सी.सी.पी. का अंत हो गया।
विभिन्न देशों द्वारा वित्तपोषण
अमेरिका
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के सबसे बड़े दानकर्ता के रूप में अमेरिका की नीति महत्वपूर्ण है।
- वर्ष 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एजेंसी को प्रदान की जाने वाली वार्षिक निधि को 364 मिलियन अमेरिकी डॉलरसे घटाकर 60 मिलियन अमेरिकी डॉलर करने की घोषणा की थी।
- उसी वर्ष अगस्त में अमेरिका ने इस एजेंसी के वित्त पोषण को पूर्ण रूप से रोकने की घोषणा की।
- वर्ष 2020 में राष्ट्रपति जो बिडेन के नेतृत्व में पुन: अमेरिकी वित्तपोषण की शुरुआत की गई।
- जनवरी 2024 में बिडेन प्रशासन ने 7 अक्तूबर, 2023 को इज़राइल पर हमास के आतंकी हमलों में यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के 12 कर्मचारियों के शामिल होने की रिपोर्ट की प्रतिक्रिया में अपने वित्तपोषण को निलंबित कर दिया।
- अमेरिकी नीति यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एजेंसी का सबसे बड़ा दानकर्ता होने के साथ-साथ अन्य दानकर्ता देशों के व्यवहार को भी प्रभावित करता है।
- फंडिंग को निलंबित करने का बिडेन प्रशासन का निर्णय इस बात का संकेत देता है कि अमेरिका यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. पर प्रभाव डालने के लिए वित्तीय दंड का उपयोग एक उपकरण के रूप में कर सकता है।
- अमेरिकी कांग्रेस ने मार्च 2025 तक एजेंसी के फंड को निलंबित कर दिया है।
चीन
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के लिए चीन का वित्तपोषण दृष्टिकोण भारत की बहु-वर्षीय प्रतिबद्धताओं की तुलना में काफी हद तक असंगत है।
- चीन का अब तक का सबसे अधिक वार्षिक वित्तपोषण (वर्ष 2018 में) भारत के वर्तमान वार्षिक योगदान का केवल आधा है।
- वर्ष 2023 में चीन ने इसको आधिकारिक रूप से समर्थन की पुष्टि की।
- हालाँकि यह समर्थन वितपोषण के बजाए अन्य वैश्विक मंचों के माध्यम से किया गया था, जैसे- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में।
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के दृष्टिकोण से चीन एक प्रमुख अप्रयुक्त दाता राष्ट्र है जो एजेंसी को पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने की क्षमता रखता है।
भारत
- भारत यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. का मुख्य वित्तपोषक नहीं है। यह वार्षिक कार्यक्रम बजट के लिए वित्तपोषण प्रदान करता है किंतु एजेंसी की आपातकालीन अपीलों में योगदान नहीं देता है।
- भारत सरकार एजेंसी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता कई वर्षों के आधार पर निर्धारित करती है।
- भारत ने वर्ष 2017 तक यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. में सालाना लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया।
- वर्ष 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिलिस्तीन यात्रा के बाद भारत ने अपना वित्त पोषण बढ़ाकर 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया। दिसंबर 2020 में भारत इसके सलाहकार आयोग (एडकॉम) में शामिल हो गया।
भारत के लिए सलाहकार आयोग की सदस्यता का महत्त्व
- सलाहकार आयोग में इसकी उपस्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि भारत अब संगठन में एक प्रमुख हितधारक है।
- सलाहकार आयोग के प्रति अपनी प्राथमिक जवाबदेही के कारण यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. सीधे भारत के प्रति जवाबदेह है।
- यद्यपि यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के प्रमुख दाताओं के रूप में पश्चिमी देश आयोग की कार्यवाही पर हावी हैं किंतु सलाहकार आयोग के सदस्य के रूप में भारत की चीन और रूस की तुलना में संगठन में अधिक हिस्सेदारी है।
गाजा संघर्ष में भारत का पक्ष
- अक्तूबर 2023 से गाजा में फैली हिंसा के कारण लगभग 35,091 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मृत्यु हो चुकी है।
- संघर्ष के दौरान भारत की शुरुआती प्रतिक्रिया को इजरायल के पक्ष में बताया गया। भारत ने अक्तूबर 2023 में गाजा में मानवीय संघर्ष विराम का प्रस्ताव करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से खुद को दूर रखा।
- हालांकि, संघर्ष में भारत की भागीदारी के अधिक सूक्ष्म आकलन के लिए अन्य बहुपक्षीय संगठनों, जैसे- फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी की जाँच की आवश्यकता है।
वर्तमान संघर्ष के दौरान भारत द्वारा यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. का समर्थन
- भारत का मानना है कि फिलिस्तीनी प्रतिरोध हमास के नेतृत्व वाले उग्रवादी संघर्ष से अलग है इसलिए वह अक्तूबर 2023 के हमले का विरोध करता है और फिलिस्तीन के लिए समर्थन की पुष्टि करता है।
- आतंकवाद के प्रति भारत के कठोर रुख ने इसे अक्तूबर 2023 के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से दूर रहने के फैसले को निर्देशित किया जिसमें युद्धविराम का आह्वान किया गया था लेकिन हमास या आतंकवादी हमले का कोई उल्लेख नहीं था।
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. भारत को गाजा में फिलिस्तीनियों की सहायता करते हुए वैश्विक स्तर पर आतंकवादी गतिविधियों का विरोध करने की अपनी नीति को जारी रखने के लिए एक व्यवहार्य मंच प्रदान करता है।
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. एक घोषित तटस्थ संगठन है, जो संयुक्त राष्ट्र के एक निकाय के रूप में इसके दिशानिर्देशों द्वारा शासित होता है।
- यह सिद्धांत भारत के गुटनिरपेक्षता के दावे का मार्गदर्शन करता है, जिससे उसे फिलिस्तीनी लोगों के कल्याण लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है।
आगे की राह
- गाजा में संघर्ष की अवधि लंबी होते जाने के साथ ही भारत का यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के प्रति दृष्टिकोण और फिलिस्तीनी शरणार्थियों के कल्याण का समर्थन करते हुए इजरायल के साथ संबंधों पर उसका रुख तेजी से अनिश्चित होता जा रहा है।
- मार्च 2025 तक अमेरिका द्वारा यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. को दिए जाने वाले फंड को निलंबित कर दिया गया है। ऐसे में यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के भविष्य के बारे में अनिश्चितता है।
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के कार्यात्मक रहने की स्थिति में भारत सलाहकार आयोग के माध्यम से इसे सहायता प्रदान कर सकता है।
- सलाहकारी आयोग अपने सदस्यों के बीच आम सहमति की कमी के कारण मुद्दों को सामने नहीं लाने के लिए भी जाना जाता है।
- भारत वैश्विक दक्षिण से एक तटस्थ शक्ति के रूप में अपनी छवि का लाभ उठा सकता है और आयोग में स्वतंत्र कार्य समूह की सिफारिशों को लागू करने की दिशा में काम कर सकता है।
- यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए. के शासन ढाँचे में भारत की स्थिर फंडिंग व हिस्सेदारी भी गाजा से परे एक भूमिका निभाएगी क्योंकि यह एजेंसी दुनिया भर में फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।