(प्रारंभिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 ; स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।)
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य अवसंरचना योजना ‘आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’ (Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission- ABHIM) का शुभारंभ किया है।
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन
- आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन ‘स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना’ को मज़बूत करने संबंधी देश की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक होगी। गौरतलब है कि यह योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अतिरिक्त क्रियान्वित की जाएगी।
- इस योजना का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में विशेषकर गहन चिकित्सा (Critical Care) सुविधाओं तथा प्राथमिक देखभाल संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना में मौज़ूद कमियों को दूर करना है।
- यह योजना के तहत विशेष रूप से चिह्नित 10 राज्यों के 17,788 ग्रामीण ‘स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों’ (Health and Wellness Centers) को उन्नत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- देश के 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले सभी ज़िलों में ‘एक्सक्लूसिव क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक’ के माध्यम से गहन चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध होंगी, जबकि शेष ज़िलों को ‘रेफरल सेवाओं’ के माध्यम से कवर किया जाएगा।
- देश भर में प्रयोगशालाओं के नेटवर्क द्वारा नागरिकों को सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में नैदानिक सेवाओं (Diagnostic Services) की एक पूरी शृंखलाओं की सुविधा प्राप्त होगी। साथ ही, सभी ज़िलों में ‘एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएँ’ भी स्थापित की जाएंगी।
रोगों की निगरानी एवं निदान पर ज़ोर
- आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के द्वारा ब्लॉक, ज़िला, मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों तथा राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क विकसित करके ‘आई.टी. सक्षम रोग निगरानी प्रणाली’ का निर्माण किया जाएगा।
- सभी राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को जोड़ने के लिये ‘एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल’ का विस्तार किया जाएगा।
- इस योजना के तहत नेशनल इंस्टिट्यूशन ऑफ वन हेल्थ, 4 नए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, डब्ल्यू.एच.ओ. दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिये एक क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफार्म, 9 जैव-सुरक्षा स्तर III की प्रयोगशालाएँ तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों में 5 नए ‘राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र’ स्थापित किये जाएंगे।
- कोविड-19 महामारी के आलोक में सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित आपात स्थिति एवं बीमारी का पता लगाने, जाँच करने तथा रोकथाम करने के लिये एक मज़बूत प्रणाली सुनिश्चित की जाएगी।
- इसके लिये 17 नई सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी, जबकि 33 मौज़ूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को उन्नत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित आपात स्थितियों के प्रभावी अनुक्रिया के लिये फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित भी करेगा।
महत्त्व
- भारत में लंबे समय से एक सर्वव्यापी स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता रही है। वर्ष 2019 में लोकनीति-सी.एस.डी.एस. द्वारा किये गए एक अध्ययन - दक्षिण एशिया में लोकतंत्र की स्थिति (राउंड 3) - ने इस बात को रेखांकित किया था कि हाशिये पर रहने वाले लोगों के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य तक पहुँच कैसे दुर्लभ रही है।
- उक्त अध्ययन में पाया गया कि 70 प्रतिशत स्थानों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं तथापि शहरी क्षेत्रों (87 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (65 प्रतिशत) में ये उपलब्धता कम है।
- सर्वेक्षण में शामिल 45 प्रतिशत स्थानों पर लोगों को पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचना पड़ता था, जबकि 43 प्रतिशत स्थानों में उन्हें परिवहन के साधनों के उपयोग की आवश्यकता थी।
- सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में ज़्यादातर स्वास्थ्य सेवाएँ समीप में उपलब्ध हैं। शहरी क्षेत्रों में 64 प्रतिशत लोग पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 37 प्रतिशत लोग ही ऐसा कर सकते हैं।
- प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक अन्य योजना, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) की शुरुआत की थी, जिसमें प्रत्येक नागरिक के लिये न केवल एक यूनिक स्वास्थ्य आईडी. बनाई गई है, बल्कि इसमें एक डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाओं की रजिस्ट्री भी शामिल है।
मौज़ूदा/रेफरल अस्पतालों से संबंधित नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना
- देश में मेडिकल कॉलेजों की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को संबोधित करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘मौजूदा/रेफरल अस्पतालों से संबंधित नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना’ नामक एक केंद्र प्रायोजित योजना की शुरुआत की है।
- इस योजना के तहत उन ज़िलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जाते हैं, जहाँ सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं। इस मामले में वंचित, पिछड़े एवं आकांक्षी ज़िलों को प्राथमिकता दी जाती है।
- इस योजना का उद्देश्य स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता में वृद्धि करना, मेडिकल कॉलेजों के वितरण में मौज़ूदा भौगोलिक असंतुलन में सुधार करना तथा ज़िला अस्पतालों की मौज़ूदा अवसंरचना का प्रभावी ढंग से उपयोग करना है।
- योजना के तीन चरणों के तहत 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किये गए हैं, जिनमें से 63 मेडिकल कॉलेज पहले से ही कार्य कर रहे हैं। केंद्र प्रायोजित योजना के तहत स्थापित किये जा रहे इन कॉलेजों में से 39 मेडिकल कॉलेज आकांक्षी ज़िलों में स्थापित किये जा रहे हैं।
- सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस योजना के कार्यान्वयन, निष्पादन और कमीशनिंग की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।