चर्चा में क्यों
हालिया अध्ययनों से पता चला है कि कैल्शियम, आलू के पौधों को बैक्टीरियल विल्ट नामक रोग से लड़ने में मदद करता है। बैक्टीरियल विल्ट रोग के कारण दुनिया भर के आलू किसानों को हर साल लगभग 158,640 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है।

बैक्टीरियल विल्ट रोग के बारे में
- यह रोग ‘राल्स्टोनिया सोलानेसीरम स्पीशीज कॉम्प्लेक्स’ नामक, फाइटोपैथोजेनिक बैक्टीरिया के एक समूह के कारण होता है।
- यह बैक्टीरिया आलू सहित बैंगन, टमाटर जैसी अन्य फसलों में भी बैक्टीरियल विल्ट नामक रोग का कारण बनता है।
- यह ऐसा रोग है जो बेहद कम समय में पौधे को संक्रमित कर सूखने की कगार पर पहुंचा देता है।
- फाइटोपैथोजेनिक बैक्टीरिया प्रकृति में भीतर जीवित चीजों के विशेष समूहों की तरह हैं।
- ये बैक्टीरिया एक परजीवी की तरह व्यवहार करते हैं जो अपने भोजन और आश्रय के लिए अपने मेजबान पर निर्भर रहता है।
- इस मामले में परजीवी, राल्स्टोनिया सोलानेसीरम है जो अपने भोजन और आश्रय के लिए आलू के पौधे पर निर्भर होता है।