चर्चा में क्यों
मलेशिया के सब्बा राज्य के तट के आसपास ‘अवैध प्रवासियों पर बेदखली अभियान’ के दौरान 500 से अधिक खानाबदोश बजाऊ जनजाति के लोगों को जबरन उनके घरों से बेदखल कर दिया गया।
बजाऊ जनजाति के बारे में
- बजाऊ (Bajau) लोगों को समा-बाजाऊ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक स्थानीय नृजातीय समूह (Indigenous ethnic group) है।
- यह जनजाति मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड के तटीय क्षेत्रों में समुद्र में पानी के ऊपर रहते हैं।
- आवास और रहन-सहन : इनके घर अक्सर पानी के ऊपर, खंभों पर बने होते हैं। नावें इनकी जीवनशैली का एक बड़ा हिस्सा हैं।
- इपनी अर्ध-खानाबदोश जीवनशैली के लिए यह सबसे सुविधाजनक विकल्प है।
- ये बड़े पैमाने पर हाउसबोट का भी इस्तेमाल करते हैं।
(दक्षिण पूर्वी एशिया के मानचित्र में बजाऊ जनजाति का वितरण)
विशिष्ट क्षमता
- यह जातीय समूह अपनी असाधारण तैराकी और गोता लगाने की क्षमताओं के लिए जाना जाता है।
- बजाऊ लोगों के प्लीहा/तिल्ली (Spleen) का आकार निरंतर तैराकी और गोता लगाने के कारण अधिक विकसित हो जाता है जो उन्हें अधिक समय तक पानी के नीचे रहने में सक्षम बनाता है।
- इनकी तिल्ली अन्य होमो सेपियंस की तुलना में 50% तक बड़ी होती है।
- तिल्ली का प्राथमिक उद्देश्य रक्त फ़िल्टर के रूप में कार्य करना है। सामान्य परिस्थितियों में, यह अंग ऑक्सीजन युक्त लाल रक्त कोशिकाओं का भंडारण करता है। फिर भी, जब कोई व्यक्ति सांस लेना बंद कर देता है तो तिल्ली सिकुड़ जाती है और शरीर में ऑक्सीजन को बढ़ाने के लिए कोशिकाओं को बाहर निकाल देती है।
- असामान्य रूप से बड़ी तिल्ली वाले लोग ऑक्सीजन रहित वातावरण में, जैसे पानी के नीचे या ऊंचे पर्वत शिखर पर, लंबे समय तक जीवित रहने की अधिक संभावना रखते हैं।
- बजाऊ लोग 200 फीट की गहराई पर, 10 मिनट तक पानी में रहने सक्षम होते हैं और समुद्र के पैटर्न को बहुत अच्छी तरह से समझने में सक्षम होते हैं।
विलुप्ति की कगार पर क्यों?
- राज्यविहीन स्थिति : 1959 के मलेशियाई आव्रजन अधिनियम से शरणार्थियों, अनियमित प्रवासियों और राज्यविहीन व्यक्तियों के बीच अंतर करने में विफल होने के कारण बजाऊ जनजाति की मुक्त समुद्री यात्रा को बाधित कर, इस जनजाति को राज्यविहीन घोषित कर दिया गया।
- राज्यविहीन व्यक्ति एक ऐसा व्यक्ति है जिसे किसी भी राज्य द्वारा अपने कानून के तहत नागरिक नहीं माना जाता है।
- इनकी राज्यविहीन स्थिति इन्हें सरकारी विशेषाधिकारों से वंचित करती है। बच्चे सार्वजनिक स्कूलों तक नहीं पहुँच सकते और वयस्कों को औपचारिक रोज़गार पाने से प्रतिबंधित किया जाता है।
- जलवायु परिवर्तन का खतरा : समुद्र जल स्तर में वृद्धि एवं तीव्र मौसमी परिवर्तनों जैसे; सुनामी, चक्रवात से उनके तटीय आवासों पर खतरें की स्थिति बनी हुई है।
- समुद्री प्रदूषण : बजाऊ लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली, झींगा मछली और समुद्री खीरे जैसे अधिशेष एवं समुद्री भोजन का व्यापार है, जो बढ़ते समुद्री प्रदूषण के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- वैश्वीकरण : समुद्री यात्रा करने वाले बजाऊ वैश्वीकरण की चुनौती का सामना कर रहे हैं, जो उनकी पारंपरिक जीवन शैली के प्रतिकूल है।
- हालांकि उनकी मितव्ययी जीवन शैली पहले की तरह ही जीवंत है, फिर भी वे शहरी बाज़ार के करीब आते जा रहे हैं, जहाँ उन्हें अब सभ्यता के कठोर नियमों का सामना करना पड़ रहा है।
- बढ़ता शहरीकरण : बोर्नियो द्वीप के वर्षावनों में तेज़ी से शहरीकरण ने इन जनजातियों को उनके घर खोने पर मजबूर कर दिया है। अब वे धीरे-धीरे विलुप्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
आगे की राह
- बजाऊ जनजातियों को उनके संबंधित देशों के नागरिक के रूप में पहचानने की ज़रूरत है, न कि उनके निष्कासन की सुविधा प्रदान करने की।
- सरकारों द्वारा एक विशेष अभियान के माध्यम से बजाऊ जनजाति के लोगों को विशेष संरक्षित समूह का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें रोजगार, पुरातन परंपराओं एवं विरासत संरक्षण के अधिकार मिल सके।
- वर्तमान गोताखोर विशेषज्ञ इस जनजाति का अध्ययन कर नई तकनीकों का विकास कर सकते हैं, इसलिए बजाऊ लोगों की संस्कृति एवं जीवन शैली के संरक्षण की आवश्यकता है।