चर्चा में क्यों
‘बाल्कनाटोलिया’ (Balkanatolia) को एक काल्पनिक एवं संभावित तीसरा यूरेशियाई महाद्वीप माना जाता है, जो यूरोप, अफ्रीका और एशिया के मध्य में स्थित था।
महाद्वीप का विकास-क्रम
- ऐसा माना जाता है कि बाल्कनाटोलिया महाद्वीप लगभग 5 करोड़ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया और संभवतः 3.4 करोड़ वर्ष पूर्व एक वृहद् हिमाच्छादन की घटना (Glaciation Event) के कारण इसकी स्वतंत्र पहचान समाप्त हो गई। हिमाच्छादन के कारण अंटार्कटिक बर्फ की चादर का निर्माण हुआ तथा समुद्र का स्तर कम हो गया, जिससे बाल्कनाटोलिया पश्चिमी यूरोप से जुड़ गया।
- इओसीन युग (55 से 34 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान पश्चिमी यूरोप और पूर्वी एशिया के रूप में भिन्न-भिन्न स्तनधारी जीवों से युक्त दो अलग-अलग भू-खण्डों का निर्माण हुआ।
पाए जाने वाले जीव समूह
- यूरोपीय वन क्षेत्र में ‘पैलियोथेरेस’ जैसे स्थानिक जीव पाए जाते थे। उल्लेखनीय है कि पैलियोथेरेस एक विलुप्त समूह है, जो वर्तमान में पाए जाने वाले घोड़ों से कुछ संबंधित थे किंतु वर्तमान में पाए जाने वाले एक बड़े एवं शाकाहारी स्तनपायी ‘तापिर’ (Tapir) से मिलते जुलते थे।
- यूरोप के विपरीत एशिया में पाए जाने वाले जीवों में अधिक विविधता थी। इनमें वर्तमान में दोनों महाद्वीपों पर पाए जाने वाले स्तनपायी परिवार (Family) भी शामिल थे।
- ऐसा माना जाता है कि लगभग 34 मिलियन वर्ष पहले पश्चिमी यूरोप में एशियाई प्रजातियों का प्रभुत्त्व स्थापित हो गया, जिससे वहाँ नए प्रकार के कशेरुक जीवों का उद्भव और स्थानिक स्तनधारियों का विलोपन होने लगा। इस आकस्मिक घटना को 'ग्रांड कूप्योर' (Grande Coupure) कहते हैं।
- बाल्कन में पाए गए जीवाश्म ग्रांड कूप्योर से बहुत पहले दक्षिणी यूरोप में एशियाई स्तनधारियों की उपस्थिति की ओर संकेत करते हैं। इसकी सबसे सटीक व्याख्या यह है कि यह इओसीन से पूर्व एक स्वतंत्र एवं असंबद्ध भू-खंड का अस्तित्व था, जो स्वयं में एक महाद्वीप था।