संदर्भ:
15 मार्च, 2024 को केंद्र सरकार ने डी-ऑयल चावल की भूसी के निर्यात पर प्रतिबंध को चार महीने बढ़ाकर 31 जुलाई 2024 तक कर दिया है।
मुख्य बिंदु:
- इसकी आधिकारिक अधिसूचना विदेश व्यापार महानिदेशालय ने जारी कर दी है।
- सरकार ने जुलाई 2023 में इसके निर्यात पर चार महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे बाद में मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया था।
उद्देश्य:
- प्रतिबंध लगाने का मुख्य उद्देश्य दूध की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि को कम करना है।
- चावल की भूसी से निकाले गए तेल रहित चावल की भूसी का सर्वाधिक उपयोग मवेशियों को खिलाने के लिए किया जाता है।
नकरातमक प्रभाव:
- डी-ऑयल चावल की भूसी (De-oiled rice bran- DORB) का कुल निर्यात इसके उत्पादन का केवल 6% है।
- इस पर लगे प्रतिबंध से धान किसानों के साथ-साथ प्रोसेसर और निर्यातकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है;
- प्रतिबंध के कारण उन्हें अपनी उपज पर बेहतर रिटर्न नहीं मिल पा रहा है।
तेल रहित चावल की भूसी (DORB):
- चावल की भूसी से कच्चा तेल निकालने के बाद DORB प्राप्त होता है।
- यह चावल की मिलिंग प्रक्रिया (अर्थात धान से चावल बनाने की प्रक्रिया) का एक उपोत्पाद है।
- यह मिलिंग प्रक्रिया से उत्पन्न कचरे की मात्रा को भी कम करता है।
- यह प्रोटीन का एक उच्च गुणवत्ता वाला स्रोत है, जो पशु आहार में प्रोटीन सामग्री को बढ़ाने में मदद करता है।
- इसमें पाचन योग्य प्रोटीन अधिक होता है;
- मवेशी इससे अधिक पोषक तत्व अवशोषित करने में सक्षम होते हैं।
- इससे मवेशियों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- यह चारा का अपेक्षाकृत सस्ता घटक है।