बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक हाथी की आंत के संक्रमण से संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई। पिछले कुछ दिनों में टाइगर रिजर्व में 11 हाथियों की मौत हो चुकी है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बारे में
- अवस्थिति : भारत के मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में विंध्य एवं सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच स्थित
- राष्ट्रीय उद्यान : वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित
- टाइगर रिजर्व : वर्ष 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित
- स्थलाकृति : रिजर्व का परिदृश्य घाटियों, पहाड़ियों एवं मैदानों से निर्मित
- वनस्पति : मुख्यतः उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन
- इस क्षेत्र में साल वन, मिश्रित वन एवं घास के विस्तृत मैदानों का मिश्रण है। इस क्षेत्र की निचली ढलानों पर बांस के जंगल पाए जाते हैं।
- कुछ प्रमुख वनस्पतियों में शामिल हैं : साज (Terminaliatomentosa), धौरा (Anogeissuslatifolia), तेंदू, अर्जुन (Terminalia arjuna), आंवला (Emblicaofficinalis), पलास (Buteamonosperma)
- जीव-जंतु : बांधवगढ़ बाघों के उच्च घनत्व के लिए प्रसिद्ध
- अन्य स्तनधारी : तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया, सियार, चीतल (चित्तीदार हिरण), सांभर (भारतीय हिरण), बार्किंग डियर, नीलगाय (नीला बैल), चिंकारा (भारतीय गजल), जंगली सुअर, चौसिंघा (चार सींग वाला मृग)
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- बघेल राजवंश : बांधवगढ़ पर ऐतिहासिक रूप से रीवा के बघेल शासकों का नियंत्रण था। इन्होंने इसे अपना निजी खेल रिजर्व घोषित किया था जिसे ‘शिकारगाह’ (शिकार भूमि) के रूप में जाना जाता था।
- भारत की स्वतंत्रता और रियासतों के उन्मूलन के बाद उचित प्रबंधन एवं नियंत्रण के अभाव में वन क्षेत्र का क्षरण होने लगा।
- संरक्षण पहल :
- वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ और जल्द ही बांधवगढ़ के पारिस्थितिक महत्त्व को मान्यता दी गई ।
- रीवा के महाराजा मार्तण्ड सिंह के प्रस्ताव के फलस्वरूप वर्ष 1968 में 105 वर्ग किमी. क्षेत्र को बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया।
- क्षेत्र विस्तार :
- वर्ष 1982 में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र 448.842 वर्ग किमी तक विस्तारित किया गया।
- वर्ष 1983 में 245.847 वर्ग किमी. क्षेत्र में निर्मित पनपथा वन्यजीव अभयारण्य को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में मिला दिया गया।
- बांधवगढ़ किला : बांधवगढ़ किला रिजर्व के भीतर एक महत्वपूर्ण स्थल है। किंवदंती के अनुसार, यह किला लक्ष्मण (भगवान राम के भाई) को लंका पर नज़र रखने के लिए दिया गया था, जिसके कारण इसका नाम ‘बांधवगढ़’ (संस्कृत: भाई का किला) पड़ा।
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