(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) |
चर्चा में क्यों
वैज्ञानिकों द्वारा भारत की पहली स्वचालित चमगादड़ निगरानी प्रणाली बैटइकोमोन (BatEchoMon) विकसित की गई है।

बैटइकोमोन (BatEchoMon) डिवाइस के बारे में
- पूर्ण नाम : बैट इकोलोकेशन मॉनिटरिंग (Bat Echolocation Monitoring)
- क्या है : यह भारत की पहली स्वचालित चमगादड़ निगरानी प्रणाली है, जो रीयल-टाइम में चमगादड़ों की अल्ट्रासोनिक गूंज (echolocation calls) को पहचानने, रिकॉर्ड करने और विश्लेषण करने में सक्षम है।
- यह प्रणाली वैज्ञानिकों को डाटा संग्रहण और चमगादड़ों की पारिस्थितिकी संबंधी गहन अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करती है।
- उद्देश्य
- चमगादड़ों की गतिविधियों की निगरानी को स्वचालित बनाना
- चमगादड़ की विभिन्न प्रजातियों की पहचान करना और इनके व्यवहार व पारिस्थितिकी पर वैज्ञानिक शोध को गति देना
- भारत में चमगादड़ों की अल्प-ज्ञात जैव विविधता को समझना
- विकास : इस प्रणाली को कादंबरी देशपांडे और वेदांत बारजे ने जगदीश कृष्णस्वामी के मार्गदर्शन में इंडियन इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंटस (IIHS), बेंगलुरु के लॉन्ग-टर्म अर्बन इकोलॉजिकल ऑब्जर्वेटरी (LTUEO) के अंतर्गत विकसित किया।
- लाभ : निम्न लागत, स्वदेशी तकनीक, और सौर ऊर्जा से संचालित होने के कारण दूरदराज़ क्षेत्रों में उपयोगी।
प्रमुख विशेषताएं
- स्वचालित रिकॉर्डिंग : सूर्यास्त के समय से स्वचालित रूप से सक्रिय हो होकर पूरी रात चमगादड़ों की गतिविधि रिकॉर्ड करना
- डेटा विश्लेषण : रास्पबेरी पाई (Raspberry Pi) माइक्रोप्रोसेसर और ऑडियोमोथ माइक्रोफोन की सहायता से अल्ट्रासोनिक कॉल्स को पहचानना एवं वर्गीकरण करना
- AI आधारित विश्लेषण : रिकार्ड किए गए डेटा का Convolutional Neural Network (CNN) आधारित एल्गोरिथ्म द्वारा विश्लेषित करना
- ऊर्जा कुशल : सौर ऊर्जा आधारित बैटरी उपयोग करना जो बिना धूप के भी 8 दिनों तक कार्य कर सकती है।
- वायरलेस डाटा ट्रांसमिशन : Wi-Fi यूनिट द्वारा डाटा ट्रांसफर करना
- मॉड्यूलर डिज़ाइन : स्थान विशेष के अनुसार अनुकूलन
महत्व
- BatEchoMon भारत में न केवल चमगादड़ों के अध्ययन को सुलभ और प्रभावी बनाएगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक अग्रणी नवाचार है।
- इसकी कम लागत और उच्च दक्षता इसे अन्य देशों के लिए एक मॉडल बनाती है।
- यह उपकरण जैव विविधता संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरणीय नीतियों के निर्माण में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।
- यह न केवल अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाएगा, बल्कि चमगादड़ों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा।