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बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage System - BESS)

BATTERY_ENERGY_STORAGE_SYSTEM

  • बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) एक प्रकार की इलेक्ट्रोरासायनिक ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Electrochemical Energy Storage System - ESS) होती है, जो रासायनिक प्रतिक्रियाओं (electrochemical reactions) के ज़रिए बिजली को संग्रहित (store electrical energy) करती है ताकि उसे बाद में उपयोग किया जा सके।
  • यह प्रणाली विशेष रूप से तब अहम हो जाती है जब सौर (solar) और पवन ऊर्जा (wind energy) जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (renewable energy sources) को ग्रिड में शामिल किया जाता है, क्योंकि ये स्रोत समय के अनुसार बदलते रहते हैं।

मुख्य विशेषताएँ (Key Features):

  • इलेक्ट्रोरासायनिक अभिक्रियाएं (Electrochemical Reactions):BESS में ऊर्जा को बैटरियों के अंदर रासायनिक अभिक्रियाओं (chemical reactions inside batteries) द्वारा संग्रहित किया जाता है।जब ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो यह रासायनिक ऊर्जा फिर से बिजली (electrical energy) में परिवर्तित की जाती है।
  • BESS में प्रयुक्त बैटरियों के प्रकार (Types of Batteries Used in BESS):
    • Lead-Acid Battery – PbA: यह पुरानी लेकिन सस्ती तकनीक है, जो सीमित जीवनकाल और भार के बावजूद व्यापक रूप से इस्तेमाल होती है।
    • निकेल-कैडमियम बैटरी (Nickel-Cadmium Battery – Ni-Cd): यह बैटरियां ज्यादा टिकाऊ होती हैं और अत्यधिक तापमान (high temperature) को सहन कर सकती हैं, लेकिन इनसे विषैले अपशिष्ट (toxic waste) भी उत्पन्न होते हैं।
    • लिथियम-आयन बैटरी (Lithium-Ion Battery – Li-Ion): ये हल्की, ऊर्जा घनत्व में उच्च (high energy density) वाली बैटरियां हैं, जो आजकल मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन और BESS में सबसे अधिक प्रयोग की जाती हैं।
    • सोडियम-सल्फर बैटरी (Sodium-Sulphur Battery – Na-S): ये बैटरियां उन्नत तकनीक पर आधारित होती हैं, जो लंबी अवधि के भंडारण (long-duration storage) और उच्च तापमान संचालन (high-temperature operation) के लिए उपयुक्त होती हैं।

बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) को बढ़ावा देने की प्रमुख पहलें

(Major Initiatives to Promote BESS)

फीज़िबिलिटी गैप फंडिंग (Feasibility Gap Funding – VGF) योजना

  • यह योजना 2030-31 तक 4,000 मेगावाट-घंटे (MWh) की बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं (BESS projects) के विकास का लक्ष्य रखती है।
  • इसका उद्देश्य उन परियोजनाओं को वित्तीय सहायता (financial support) प्रदान करना है जो आर्थिक रूप से व्यवहार्य (financially viable) नहीं होतीं लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण (strategically important) होती हैं।
  • इससे ऊर्जा भंडारण अवसंरचना (energy storage infrastructure) के निर्माण में तेजी आएगी।

राष्ट्रीय उन्नत रासायनिक कोशिका बैटरी भंडारण कार्यक्रम(National Programme for Advanced Chemical Cell Battery Storage)

  • यह योजना भारत में उन्नत बैटरी तकनीकों (advanced battery technologies) को विकसित करने के लिए शुरू की गई है।
  • इसमें उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (Production Linked Incentives – PLI) दिए जाते हैं, जिससे कंपनियों को भारत में बैटरी निर्माण (battery manufacturing) के लिए प्रेरित किया जा सके।
  • इसका उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत (self-reliant India) की दिशा में योगदान देना भी है।

राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण प्रणाली ढांचा(National Framework for Energy Storage Systems)इस ढांचे को ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) द्वारा तैयार किया गया है।इसका उद्देश्य पूरे देश में ऊर्जा भंडारण तकनीकों (energy storage technologies) को तेजी से अपनाने (accelerate adoption) को प्रोत्साहित करना है।यह ढांचा ग्रिड स्थिरता (grid stability), नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण (integration of renewable energy) और ऊर्जा आपूर्ति की विश्वसनीयता (reliability of energy supply) को मजबूत बनाता है।

विद्युत ऊर्जा भंडारण के प्रकार (Types of Electrical Energy Storage – EES)

यांत्रिक भंडारण (Mechanical Storage):

  • पम्प्ड हाइड्रो (Pumped Hydro):इसमें ऊर्जा को गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (gravitational potential energy) के रूप में संग्रहित किया जाता है।पानी को एक ऊँचाई पर पम्प करके रखा जाता है और आवश्यकता पड़ने पर उसे नीचे गिराकर बिजली उत्पन्न (generate electricity) की जाती है।
  • फ्लाईव्हील (Flywheel):इसमें ऊर्जा को घूर्णन गतिज ऊर्जा (rotational kinetic energy) के रूप में संग्रहित किया जाता है।यह उच्च गति से घूमने वाले भारी चक्कों के माध्यम से कार्य करता है।
  • संपीड़ित वायु ऊर्जा भंडारण (Compressed Air Energy Storage – CAES):इसमें ऊर्जा को भूमिगत गुफाओं (underground caverns) में वायु को संपीड़ित (compressed air) करके संग्रहित किया जाता है।जब ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तब इस हवा को छोड़ कर टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जाती है।

विद्युरासायनिक भंडारण (Electrochemical Storage):

  • सेकेंडरी बैटरियाँ (Secondary Batteries – Rechargeable):

इन बैटरियों को बार-बार चार्ज किया जा सकता है।

  • लीड-एसिड बैटरी (Lead-Acid – Pb-Ac)
  • निकेल-कैडमियम बैटरी (Nickel-Cadmium – Ni-Cd)
  • निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरी (Nickel-Metal Hydride – Ni-MH)
  • सोडियम-सल्फर बैटरी (Sodium-Sulphur – Na-S)
  • फ्लो बैटरियाँ (Flow Batteries):ये बैटरियाँ दो रासायनिक घोलों (chemical liquids) का उपयोग करती हैं जो एक-दूसरे से संपर्क करके ऊर्जा संग्रहित या उत्सर्जित करते हैं।ये बड़े पैमाने पर भंडारण (large-scale storage) के लिए उपयुक्त होती हैं।

विद्युत भंडारण (Electrical Storage):

  • सुपरकंडक्टिंग मैग्नेटिक एनर्जी स्टोरेज (Superconducting Magnetic Energy Storage – SMES):इसमें ऊर्जा को एक चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) के रूप में संग्रहित किया जाता है, जो सुपरकंडक्टिंग चुंबकों (superconducting magnets) की सहायता से उत्पन्न होता है।यह प्रणाली ऊर्जा को बहुत तेज़ी से संग्रहित और वितरित कर सकती है।
  • तापीय भंडारण (Thermal Storage):इसमें ऊर्जा को ऊष्मा (heat) के रूप में संग्रहित किया जाता है।बाद में इस ऊष्मा को बिजली उत्पादन या सीधे उपयोग (electricity generation or direct usage) में परिवर्तित किया जा सकता है।

हाइड्रोजन भंडारण (Hydrogen Storage):इसमें ऊर्जा को हाइड्रोजन गैस (hydrogen gas) के रूप में संग्रहित किया जाता है।जब जरूरत होती है, तब ईंधन कोशिकाएँ (fuel cells) हाइड्रोजन का उपयोग करके बिजली उत्पन्न (generate electricity) करती हैं।

बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) का महत्त्व और लाभ(Importance and Benefits of BESS)

ग्रिड स्थिरता (Grid Stability)

  • BESS बिजली की आपूर्ति और मांग (supply and demand) के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है।
  • यह कम मांग के समय में अधिशेष ऊर्जा (excess energy) को संग्रहित करता है और अधिक मांग के समय इसे वितरित (discharge) करता है।
  • इससे बिजली ग्रिड की स्थिरता (grid stability) बनी रहती है।

नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण (Renewable Integration)

  • BESS सौर (solar) और पवन (wind) जैसे अनियमित स्रोतों (intermittent sources) से प्राप्त ऊर्जा को संग्रहित करता है।
  • इससे इन स्रोतों से मिली ऊर्जा को लगातार उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) पर निर्भरता कम होती है।

ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security)

  • जब बिजली ग्रिड विफल (grid outage) हो जाए या नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन कम हो, तब BESS बैकअप पावर (backup power) प्रदान कर सकता है।
  • इससे ऊर्जा आपूर्ति की विश्वसनीयता (reliability of power supply) बढ़ती है।

लागत प्रभावशीलता (Cost-Effective)

  • यह महंगे पीकिंग पावर प्लांट्स (peaking power plants) की आवश्यकता को कम कर सकता है।
  • साथ ही यह नवीकरणीय ऊर्जा के अपव्यय (curtailment of renewable energy) को रोक कर, कुल बिजली लागत (electricity cost) को घटाता है।

पर्यावरणीय लाभ (Environmental Benefits)

  • BESS, स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) के उपयोग को बढ़ावा देता है।
  • इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (greenhouse gas emissions) में कमी आती है और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
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