चीन के साथ वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान वालोंग के युद्ध (Battle of Walong) की 62वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारतीय सेना एक महीने तक चलने वाले स्मारक कार्यक्रमों की श्रृंखला की योजना बना रही है।
इन कार्यक्रमों में नव पुनर्निर्मित वालोंग युद्ध स्मारक, लामा स्पर में शौर्य स्थल और सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का उद्घाटन शामिल है। इन कार्यक्रमों का समापन 14 नवंबर को वालोंग दिवस पर पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक के उद्घाटन के साथ होगा।
वालोंग युद्ध के बारे में
वर्ष 1962 में भारतीय सेना ने आगे बढ़ रही चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों को 27 दिनों तक रोके रखा था जिसके कारण उन्हें तवांग सेक्टर से वालोंग में अपने रिजर्व डिवीजन को भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा। ,
इस दौरान किबिथु के साथ-साथ नामती त्रि-जंक्शन (टाइगर माउथ के रूप में प्रसिद्ध) और वालोंग क्षेत्र में भीषण युद्ध शुरू हो गया था।
अक्तूबर 1962 में जब चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी छोर पर आगे बढ़ी, तो इसकी सुरक्षा दूसरे इन्फैंट्री डिवीजन के तहत 11 इन्फैंट्री ब्रिगेड द्वारा की जा रही थी।
इस ब्रिगेड में छह कुमाऊं रेजिमेंट, चार सिख रेजिमेंट, तीन गोरखा राइफल्स की तीसरी बटालियन, आठ गोरखा राइफल्स की दूसरी बटालियन और चार डोगरा बटालियन शामिल थी।
काफ़ी कम संख्या और गोला-बारूद तथा अन्य संसाधनों के साथ भारतीय सैनिक अंतिम समय तक युद्ध करते रहे।
इस दौरान भारतीय सैनिकों के शौर्य का उल्लेख ‘टाइम मैगज़ीन’ ने भी किया था।
ये युद्ध 3,000 से 14,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था जिसका देश के बाकी हिस्सों से कोई सड़क संपर्क नहीं था