New
IAS Foundation Course (Pre. + Mains) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM | Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM | Call: 9555124124

नागरिकों के लिये बेहतर पुलिस सेवा

(प्रारंभिक परीक्षा :भारतीय राजव्यवस्था और शासन)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश)

संदर्भ

प्रौद्योगिकी के साथ वितरण तंत्र को सुव्यवस्थित करके पुलिस दक्षता में सुधार तथा व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है।

आपराधिक न्याय प्रणाली की विफलता

  • एक कुशल और अच्छी ‘आपराधिक न्याय प्रणाली’ किसी देश को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से उन्नत बनाती है। हालाँकि, भारत में ‘अदूरदर्शी राजनेताओं’ ने इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया है।
  • वे वर्ष 2006 के उच्चतम न्यायालय द्वारा अनिवार्य पुलिस सुधारों को लागू करने के लिये ‘एकमत से अनिच्छुक’ रहे हैं।
  • विफल आपराधिक न्याय प्रणाली की आर्थिक लागत आपराधिक, श्रम और नागरिक विवादों के त्वरित निपटान के अभाव में भारत में विनिर्माण और वाणिज्यिक उद्यम स्थापित करने के लिये विदेशी कंपनियों की अनिच्छा में परिलक्षित होती है।
  • इस प्रकार, चीन का सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जो वर्ष 1987 में भारत के लगभग बराबर था, वर्ष 2021 में लगभग पाँच गुना अधिक हो गया है।

सामाजिक निहितार्थ

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया 2019’ से सामाजिक प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं पर हमले के 25,023 मामले, 11,966 बलात्कार के मामले और 4,197 ‘दहेज हत्या’ के मामले पाँच से 10 वर्षों से लंबित हैं।
  • इसके लिये जाँच और अभियोजन में सुधार की ज़रूरत है। साथ ही, सभी आपराधिक मुकदमे एक वर्ष के भीतर पूरे किये जाने की भी आवश्यकता है। ‘प्रौद्योगिकी-संचालित सेवा’ वितरण तंत्र इसे प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

पुलिस पर बढ़ता बोझ

  • अपराध की रोकथाम तथा कानून-व्यवस्था के रखरखाव के साथ-साथ पुलिस स्टेशन कई दैनिक कार्य करते हैं, उदाहरणार्थ नागरिकों को विभिन्न प्रकार के सत्यापन और अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करना।
  • वे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ो की आपूर्ति भी करते हैं।पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो’ (BPR&D) ने वर्ष 2017 में ऐसे 45 कार्यों को चिह्नित किया  था।
  • आपराधिक और असंज्ञेय मामलों में, पुलिस स्टेशन प्राथमिकी, शिकायतों और अंतिम रिपोर्ट की प्रतियाँ प्रदान करते हैं।
  • वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिये, भोजनालयों, रेस्तरा, बार और सिनेमा हॉल के उद्घाटन/नवीनीकरण के लिये ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ जारी करते हैं।
  • पुलिस स्टेशन, केंद्र और राज्य सरकारों के घरेलू नौकरों / कर्मचारियों / सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों / अध्ययन के लिये विदेश जाने वाले छात्रों का भी सत्यापन करते हैं।
  • चूँकि हथियार रखने के लिये लाइसेंस अनिवार्य है, हथियार/गोला-बारूद/ विस्फोटक की खरीद, बिक्री, हस्तांतरण के लिये संबंधित पुलिस स्टेशन द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र आवश्यक है।
  • ्यापार की सुगमता के लिये पुलिस द्वारा विभिन्न अनुरोधों को ‘पारदर्शी और समयबद्ध’ तरीके से निपटाया जाता है। हालाँकि, एन.ओ.सी. एवं सत्यापन आसान नहीं होता है, ये प्रक्रियाएँ अपारदर्शी होती हैं तथा इनकी समय-सीमा में अक्सर ही चूक हो जाती है।
  • उक्त प्रक्रियाएँ, भ्रष्ट आचरण को प्रोत्साहित करती हैं, जैसा कि महाराष्ट्र में चल रहे मामले में देखा जा सकता है, जहाँ एक पूर्व गृह मंत्री और मुंबई के पूर्व आयुक्त सहित शीर्ष पुलिस अधिकारी ‘जबरन वसूली’ के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

सेवाओं की डिलीवरी

  • यद्यपि उच्चतम न्यायालय द्वारा पुलिस सुधारों का प्रयास  किया गया है। पुलिस सुधार के कार्यान्वयन से नागरिकों को उक्त सेवाओं की समयबद्ध डिलीवरी को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • टाटा ट्रस्ट्स द्वारा समर्थित ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ (IJR), 2020 ने विभिन्न राज्य पुलिस संगठनों के ई-पोर्टल का अध्ययन किया है, जो नागरिक केंद्रित सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे कि विभिन्न एनओसी जारी करने/नवीकरण के लिये अनुरोध आदि।
  • पंजाब, हिमाचल, महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश विभिन्न मानकों पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ‘डिजिटलीकरण पर ज़ोर देने के बावजूद, किसी भी राज्य ने सेवाओं का पूरा ‘पैकेज’ प्रस्तुत नहीं किया है।
  • उपयोगकर्ताओं को उक्त सेवाओं तक पहुँच के लिये कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई पोर्टल तीन महीने में बार-बार प्रयास करने के बावजूद कार्य नहीं कर रहे थे।

प्रौद्योगिकी का प्रयोग

  • स्पष्टतः पुलिस नेतृत्व द्वारा नागरिकों को सेवा प्रदान करने की तकनीक को प्राथमिकता नहीं दी गई है।
  • आई.जे.आर., 2020 का ऑडिट पुष्टि करता है कि राज्यों को नागरिकों को 45 चिह्नित गई बुनियादी सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से अपने ई-पोर्टल को अपग्रेड करने के लिये अधिक संसाधनों का निवेश करने की आवश्यकता है।
  • यह एक ऐसा कार्य है जिसे पुलिस नेतृत्व बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के संपादित कर सकता है। पुलिस अनुसंधान ब्यूरो ने प्रत्येक सेवा और इसमें शामिल पदानुक्रम/स्तरों के लिये समय-सीमा तय की है।
  • गृह मंत्रालय ने ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेसिंग नेटवर्क एंड सिस्टम’ (CCTNS) के तहत पुलिस वायरलेस और ई-जेल जैसी योजनाओं के द्वारा पुलिस आधुनिकीकरण (2017-2020) के लिये लगभग 20,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
  • राज्य इस महत्त्वपूर्ण सेवा वितरण तंत्र को अपना सकते हैं। देश में बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी सक्षम पुलिस अधिकारी हैं, जो ‘लागत-प्रभावी’ पहल का नेतृत्व कर सकते हैं।
  • पुणे पुलिस आयुक्त, जो ‘बिट्स पिलानी’ के एक इंजीनियर थे, ने प्रभावी ढंग से ‘नागरिकों के लिये प्रौद्योगिकी’ की शुरुआत तथा निगरानी की थी।

ई-शासन का अनुप्रयोग

  • ई-शासन अत्यधिक बोझ से दबे पुलिस अधिकारियों तथा परेशान नागरिकों की मदद करने का एक प्रभावी तरीका है।
  • पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिये उपयोगकर्ता-अनुकूल नागरिक पोर्टल, ‘गेम-चेंजर’ साबित हो सकता है।
  • पुलिस ने कई अच्छे कार्य करता है लेकिन फिर भी आम जनता का पुलिस पर विश्वास कम होता जा रहा है, जिसके दो कारण हो सकते हैं-

◆ पहला, पुलिस नेतृत्व उन कठिनाइयों को नहीं समझते हैं, जिनका थाना-स्तर पर नागरिकों को सामना करना पड़ता है।
◆ दूसरा, नागरिक प्रौद्योगिकी के गैर-उपयोग के लिये उन्हें जवाबदेह ठहराने में विफल रहते हैं।

निष्कर्ष

भारतीयों का जीवन बेहतर हो सकता है, यदि पुलिस सहित अन्य सरकारी विभाग परिभाषित ‘प्रक्रियाओं और समय-सीमा’ का सम्मान करते हुए अपने पोर्टल के माध्यम से अधिकतम सूचनाएँ तथा सेवाएँ प्रदान करें।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR