चर्चा में क्यों
केंद्र सरकार द्वारा भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के सदस्यों के चयन के लिये नए मानदंड अपनाए जाने के निर्णय को विपक्षी दलों से आलोचना का सामना करना पड़ा है। गौरतलब है कि नए नियमों के तहत बोर्ड से पंजाब एवं हरियाणा की स्थायी सदस्यता समाप्त कर दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड नियम, 1974 के अनुसार, बी.बी.एम.बी. में विद्युत विभाग के सदस्य पंजाब से तथा सिंचाई विभाग के सदस्य हरियाणा से थे। वर्ष 2022 के संशोधित नियमों में इसे समाप्त कर दिया गया।
- संशोधित नियमों में सदस्यों के चयन का मापदंड भी इस तरह से परिभाषित किया गया है कि हरियाणा एवं पंजाब के विद्युत विभाग भी मानकों पर खरे नहीं उतर सकते हैं। विपक्षी दलों का तर्क है कि वर्तमान केंद्र का यह कदम संघीय ढाँचे और राज्यों के अधिकारों का हनन करता है।
- वर्ष 1960 की सिंधु जल संधि के अनुसार रावी, ब्यास और सतलुज का जल भारत को आवंटित किया गया है, जो देश के भीतर सिंचाई उद्देश्यों के लिये उपलब्ध है। ब्यास और सतलुज पर भाखड़ा, देहर और ब्यास बिजली परियोजनाओं का निर्माण किया गया। बी.बी.एम.बी. इन परियोजनाओं को नियंत्रित करता है तथा इन पर होने वाला व्यय भागीदार राज्यों द्वारा उनके शेयरों के अनुपात में साझा किया जाता है।
- पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत बी.बी.एम.बी. के शेयर को पंजाब और हरियाणा के बीच 58:42 के अनुपात में विभाजित किया गया था। इसमें बाद में कुछ शेयर राजस्थान और हिमाचल प्रदेश का भी जोड़ा गया। मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा दो प्रमुख लाभार्थी हैं, जिसमें पंजाब का बड़ा हिस्सा है।
- बोर्ड भाखड़ा नांगल और ब्यास परियोजनाओं से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ राज्यों को जल व विद्युत आपूर्ति के नियमन में लगा हुआ है।