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भार्गवास्त्र

चर्चा में क्यों 

  • हाल ही में भारत ने अपने पहले स्वदेशी माइक्रो-मिसाइल सिस्टम भार्गवास्त्र का सफल परीक्षण किया 
  • इसका परीक्षण गोपालपुर सीवर्ड फायरिंग रेंज (ओडिशा) में किया गया।

भार्गवास्त्र

  • इसे ड्रोन के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसे सोलर ग्रुप की सहायक कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) द्वारा विकसित किया गया है |

प्रमुख विशेषताएं

  • ड्रोन(Unmanned aerial vehicles (UAVs)) का पता लगाने की क्षमता:
    • 6 किमी दूर तक छोटे ड्रोन का पता लगाने में सक्षम।
    • दुश्मन के ड्रोनों के झुंड को रोकने के लिए तैयार।
  • मल्टी-लेयर सुरक्षा:
    • एकसाथ 64 से ज्यादा सूक्ष्म मिसाइलें दागने की क्षमता।
    • माइक्रो-म्यूनिशन का उपयोग, जो लक्ष्यों को सटीकता से निर्देशित कर सकते हैं।
  • मोबाइल प्लेटफॉर्म:
    • इस सिस्टम को एक मोबाइल प्लेटफॉर्म पर लगाया जा सकता है।
    • इसे हर प्रकार के इलाके (जैसे ऊंचे पहाड़, रेगिस्तान आदि) में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • आर्थिक और प्रभावी:
    • छोटे ड्रोनों से निपटने का सस्ता और किफायती समाधान।
    • महंगे एयर डिफेंस सिस्टम को बड़े खतरों के लिए बचाया जा सकेगा।

महत्व

  • छोटे और सस्ते ड्रोनों से निपटने के लिए एक अनूठी पहल।
  • दुश्मन के ड्रोन हमलों से महत्वपूर्ण सैन्य संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • यह प्रणाली सेना की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगी।
  • भार्गवास्त्र के स्वदेशी होने के कारण आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा मिलेगा।

भविष्य की संभावनाएं

  • वायु सेना के लिए इस प्रणाली का विस्तार।
  • व्यापक स्तर पर उत्पादन और सेना में तैनाती।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात की संभावना।

प्रश्न  - भार्गवास्त्र क्या है ?

(a) मिसाइल 

(b) ड्रोन 

(c) तोप

(d) माइक्रो-मिसाइल सिस्टम

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