बांग्लादेश ने अस्थाई उपाय के रूप में रोहिंग्या शरणार्थियों को कॉक्स बाज़ार से भासन चार द्वीप पर स्थानंतरित करना शुरू कर दिया है। द्वीप पर स्थानांतरित होने वाले शरणार्थी म्यांमार वापस जाने तक बांग्लादेश की मुख्य भूमि में वापस नहीं आ सकते। इस फैसले से अंतर्राष्ट्रीय चिंता उत्पन्न हो गई है।
भासन चार वर्ष 2006 में हिमालयी अवसादों के निक्षेपण से निर्मित बांग्लादेश की मुख्य भूमि से 60 किमी. दूर स्थित एक द्वीप है जो बंगाल की खाड़ी में मेघना नदी के मुहाने के समीप स्थित है। बांग्ला भाषा में अवसाद को चार के नाम से जाना जाता है।
40 वर्ग किमी. में फैले इस द्वीप का एक बड़ा हिस्सा अभी भी समुद्र के अंदर है तथा मानसून के दौरान इसका अधिकांश भाग जलमग्न हो जाता है, जिससे यहाँ बाढ़ और चक्रवात का खतरा बना रहता है।
बांग्लादेश की योजना 1 लाख शरणार्थियों को नोआखाली की मुख्य भूमि से 39 कि.मी.दूर तट के करीब एक द्वीप पर स्थानांतरित करने की है।
ध्यातव्य है कि म्यांमार की अधिकांश जनसंख्या बौद्ध है तथा म्यांमार की सरकार हमेशा से इन रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता देने से इंकार करती रही है। कई वर्षों से जारी साम्प्रदायिक हिंसा के कारण रखाइन प्रांत से कई लाख रोहिंग्या विस्थापित हुए हैं।