चर्चा में क्यों
हाल ही में, बिहार ने राज्य में बढ़ते जमीनी विवाद से निपटने और लंबित भूमि सुधारों को लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
प्रमुख बिंदु
- बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने गाँवों के लिये एक गतिशील मानचित्र की अवधारणा को पेश किया है, जो भूमि के स्वामित्व में परिवर्तन होने पर अद्यतन हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य कानूनी विवादों को कम करना है।
- सुधारों की दिशा में ही राज्य विधानसभा ने हाल ही में ‘बिहार भूमि दाखिल खारिज (संशोधन) विधेयक 2021’ पारित किया, जिसने भूमि संबंधी मानचित्रों के दाखिल खारिज को अनिवार्य बना दिया है।
- इस संशोधन के तहत किसी भी दाखिल खारिज के फलस्वरूप तीन परिवर्तन होंगे-
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- पहला, पाठ्य अभिलेखों में परिवर्तन।
- दूसरा, भूमि पार्सल में परिवर्तन।
- तीसरा, सर्वेक्षण मानचित्र का संशोधन।
- विदित है कि पहले केवल पाठ्य अभिलेखों में ही परिवर्तन किया जाता था।
लाभ
- उपलब्ध खसरा नक्शे (जिन्हें डिजिटल किया गया है) 100 वर्ष पहले तैयार किये गए थे। हालाँकि इन खसरा नक्शों को कानूनी मान्यता प्राप्त थी, किंतु ये मौजूदा जमीनी हकीकत को नहीं दर्शाते थे।
- वर्तमान गतिशील नक़्शे से कोई भी व्यक्ति गाँव के नक्शे की अद्यतन स्थिति देख सकता है और यह पता लगा सकता है कि संबंधित भूखंड किस व्यक्ति से संबंधित है।
- गौरतलब है कि हवाई फोटोग्राफी का उपयोग कर अभी तक राज्य के 20 जिलों में विशेष सर्वेक्षण संपन्न हुआ है।
- हवाई फोटोग्राफी में छवि 10 सेमी. सटीकता के साथ होती है, जिससे छोटे भूखंडों की विशेषताओं को आसानी से पहचाना जा सकता है।