(मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, प्रश्न पत्र : 3, बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, रेलवे आदि।) |
संदर्भ
हाल ही में पटना के निकट बिहटा में बिहार के पहले ड्राई पोर्ट का उद्घाटन किया गया।
क्या है ड्राई पोर्ट
- शुष्क बंदरगाह या अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICD), कार्गो हैंडलिंग, भंडारण और परिवहन के लिए बंदरगाह या हवाई अड्डे से दूर एक रसद (LOGISTICS) सुविधा प्रदान करता है।
- यह समुद्री/हवाई बंदरगाहों और अंतर्देशीय क्षेत्रों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है जिससे माल की कुशल आवाजाही में सुविधा होती है।
- वर्तमान में भारत में लगभग 330 से अधिक ड्राई पोर्ट कार्यशील हैं।
ड्राई पोर्ट के मुख्य लाभ
- लॉजिस्टिक्स दक्षता - ड्राई पोर्ट लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाओं के अनुकूलन की अनुमति देते हैं, जिससे बंदरगाहों में प्रतीक्षा करने और कार्गो हैंडलिंग में लगने वाला समय कम हो जाता है।
- इससे प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होता है।
- लाभप्रदता - ड्राई पोर्ट रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर आवश्यक वस्तुओं की सटीक संख्या की गणना एवं निर्माण तथा परिवहन क्षेत्र में समग्र रूप से लागत को कम करके पूरे देश की लाभप्रदता को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
- कार्गो प्रवाह में वृद्धि- ड्राई पोर्ट की उपस्थिति नए कार्गो प्रवाह को आकर्षित कर आर्थिक प्रभाव में वृद्धि करने के साथ ही पुनः लोडिंग के लिए प्रतीक्षा कर रहे कंटेनर के टर्नअराउंड समय को भी कम करता है।
- आर्थिक लाभ - ड्राई पोर्ट रोजगार और आय सृजन में सहायता करने के साथ ही जनसंख्या के लिए विश्वसनीय वस्तु आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
- बंदरगाह विस्तार- ड्राई पोर्ट बंदरगाह के प्रभाव को आस-पास के क्षेत्रों तक विस्तारित करने की अनुमति देते हैं, भले ही वे समुद्र तट से दूर हों। यह परिवहन लिंक के व्यापक नेटवर्क के विकास में योगदान देता है।
- समय की बचत - ड्राई पोर्ट से ट्रांसशिपमेंट का समय कम हो जाता है और अंतिम उपभोक्ता तक माल की डिलीवरी तेजी से हो जाती है।
ड्राई पोर्ट के समक्ष चुनौतियाँ
- अत्यधिक निवेश लागत - ड्राई पोर्ट की स्थापना के लिए सड़क, रेलवे, गोदाम और उपकरण जैसे बुनियादी ढाँचे के लिए अत्यधिक निवेश की आवश्यकता होती है।
- माल प्राप्तकर्ता को क्षति : माल को बंदरगाह के बजाय टर्मिनल से ले जाने पर माल प्राप्तकर्ता (Consignee) को भी नुकसान होता है, क्योंकि उसे परिवहन की लागत को कवर करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह कुछ क्षेत्रों में ड्राई पोर्ट के कार्यान्वयन में बाधा बन सकता है।
- कार्गो संबंधी बाधाएँ- ड्राई पोर्ट पर कार्गो अर्थात वस्तुओं के सीमित प्रकारों का ही भण्डारण किया जा सकता है। ऐसे में विशेष उपकरण या वस्तु भंडारण की स्थिति में कार्गो की सीमाएँ हो सकती हैं।
- संगठन की जटिलता- ड्राई पोर्ट के प्रबंधन के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों, सीमा शुल्क सेवाओं और अन्य संरचनाओं के बीच अत्यधिक समन्वय की आवश्यकता होती है। कुशल संचालन सुनिश्चित करने के लिए इसके लिए अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता हो सकती है।
- पर्यावरण संबंधी मुद्दे- लंबी दूरी के परिवहन से अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन और ईंधन की खपत बढ़ सकती है, जिसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बिहटा ड्राई पोर्ट के बारे में
- बिहटा ड्राई पोर्ट सात एकड़ में फैला हुआ है। इसे प्रिस्टीन मगध इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और राज्य उद्योग विभाग द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड पर स्थापित किया गया है।
- इसे वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा अंतर्देशीय कंटेनर डिपो के रूप में मंजूरी दी गई है।
बिहार के लिए ड्राई पोर्ट का महत्व
- यह बिहार जैसे भू-आबद्ध राज्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण पहल है, क्योंकि यहाँ निर्यात की वस्तुएँ मुख्य रूप से कृषि-आधारित, वस्त्र और चमड़े के उत्पाद भिन्न -भिन्न स्थानों पर निर्मित होते हैं।
- ड्राई पोर्ट का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष यह है कि यह कस्टम क्लीयरेंस प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, जिससे बंदरगाहों/हवाई अड्डों पर भीड़भाड़ कम होगी।
- यह बिहार की दीर्घकालिक औद्योगिक आकांक्षाओं को पूरा करने के साथ ही राज्य के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को स्थिरता एवं मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
- यह कोलकाता बंदरगाह, हल्दिया, विशाखापत्तनम, मुंद्रा और अन्य प्रमुख बंदरगाहों से रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। साथ ही यह आधुनिक भंडारण सुविधा प्रदान करके राज्य के आयातकों और निर्यातकों के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करेगा।
- बिहार सरकार के आंकड़ों के अनुसार राज्य ने 2022-23 में 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया। बिहटा ड्राई पोर्ट की स्थापना से राज्य के निर्यात क्षमता में और वृद्धि होगी।