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बिम्सटेक : 27 वर्षों बाद चार्टर प्रभावी रूप से लागू

संदर्भ

बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (The Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectorial Technical and Economic Cooperation : BIMSTEC) का चार्टर आधिकारिक रूप से 20 मई 2024 को लागू हो गया। इससे क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के भारत के प्रयासों को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।

BIMSTEK

पृष्ठभूमि 

  • मार्च 2022 में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में बिम्सटेक समूह के पांचवें शिखर सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए और इसे अपनाया गया था।
    • हालाँकि, सभी सदस्य देशों द्वारा चार्टर के आधिकारिक अनुसमर्थन के बाद ही इसे लागू किया जाना था। 
  • अतः नेपाल की संसद द्वारा अप्रैल 2024 में चार्टर का अनुसमर्थन करने के बाद यह दस्तावेज़ 20 मई 2024 को प्रभावी रूप से लागू हो गया।

बिम्सटेक के बारे में 

  • बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 06 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
  • बिम्सटेक सदस्यों में सात देश शामिल हैं : बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड।
  • इसका मुख्यालय ढाका (बांग्लादेश) में है। 
  • बिम्सटेक के सातों सदस्य विश्व की लगभग 22% जनसंख्या का निवास स्थान हैं। 
  • इन सभी देशों का सम्मिलित सकल घरेलू उत्पाद 3.6 ट्रिलियन डॉलर है।

बिम्सटेक के सिद्धांत 

  • बिम्सटेक के भीतर सहयोग संप्रभु समानता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, अहिंसा, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों के सम्मान पर आधारित है।
  • बिम्सटेक के भीतर सहयोग सदस्य देशों से जुड़े द्विपक्षीय, उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय या बहुपक्षीय सहयोग का पूरक होगा और उसका विकल्प नहीं होगा।

बिम्सटेक का विकास क्रम 

  • 06 जून 1997 को बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड की सरकारों के प्रतिनिधि बैंकॉक में एक साथ आए और 'बांग्लादेश-भारत-श्रीलंका-थाईलैंड आर्थिक सहयोग (BIST-EC) की स्थापना पर घोषणा' पर हस्ताक्षर किए।
  • इसमें 22 दिसंबर 1997 को म्यांमार और फरवरी 2004 में भूटान और नेपाल के शामिल होने के साथ सात सदस्य देश शामिल हैं। 
    • 22 दिसंबर 1997 को म्यांमार के शामिल होने के साथ, समूह का नाम बदलकर BIMST-EC (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड आर्थिक सहयोग) कर दिया गया।  
    • 31 जुलाई 2004 को बैंकॉक में पहले शिखर सम्मेलन के दौरान समूह का नाम बदलकर बिम्सटेक कर दिया गया।
  • 2014 में तीसरे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के बाद बांग्लादेश के ढाका में बिम्सटेक सचिवालय की स्थापना की गई।  
    • जिससे सहयोग को गहरा करने और बढ़ाने के लिए एक संस्थागत ढांचा प्रदान किया गया।

बिम्सटेक में सहयोग के क्षेत्र 

  • क्षेत्र-संचालित समूह होने के नाते, शुरू में 1997 में बिम्सटेक के भीतर सहयोग के छह क्षेत्रों (व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन और मत्स्य पालन) पर ध्यान केंद्रित किया था।  
  • 2008 में कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद-निरोध, पर्यावरण, संस्कृति, लोगों से लोगों के बीच संपर्क और जलवायु परिवर्तन को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया। 
  • इसके बाद, क्षेत्रों और उप-क्षेत्रों को युक्तिसंगत बनाने और पुनर्गठित करने के लिए कदम उठाए गए। 

BIMS2

बिम्सटेक चार्टर के महत्वपूर्ण पहलू 

  • चार्टर के मुख्य पहलुओं में से एक यह है कि यह सदस्य देशों के दीर्घकालिक दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालता है।
  • यह चार्टर बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच सहयोग के लिए एक कानूनी और संस्थागत ढांचा स्थापित करता है।
    • यह चार्टर संगठन को एक "कानूनी व्यक्तित्व" के रूप में स्थापित करता है।  
  • यह चार्टर नए सदस्यों और पर्यवेक्षकों को शामिल करने के लिए एक तंत्र स्थापित करता है, तथा देशों एवं अन्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समूहों के साथ बातचीत और समझौते को सक्षम बनाता है।
  • चार्टर यह स्पष्ट करता है कि सभी निर्णय वर्तमान सदस्यों के बीच सर्वसम्मति से लिए जाएंगे। 
  • चार्टर बिम्सटेक को नए सदस्यों के प्रवेश के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया देता है, जिसमें व्यापार और परिवहन उद्देश्यों के लिए भौगोलिक निकटता या बंगाल की खाड़ी पर "प्राथमिक" निर्भरता के मानदंड जोड़ना शामिल है। 
    • यह बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक को आवश्यकतानुसार कोई अन्य मानदंड स्थापित करने का अधिकार भी देता है।
  • चार्टर इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि नेताओं का शिखर सम्मेलन प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किया जाएगा और अध्यक्षता चक्रीय क्रम में सदस्य देशों द्वारा की जाएगी।

भारत का पक्ष 

  • भारत के विदेश मंत्री के अनुसार, "बिम्सटेक चार्टर का लागू होना एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और टिकाऊ पड़ोस के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। यह हमारे साझा इतिहास, संस्कृति, दृष्टि और एक-दूसरे के प्रति आपसी सम्मान के आधार पर हासिल किया गया है। बिम्सटेक हमारी ‘पड़ोस पहले (Neighborhood First)’ और ‘एक्ट ईस्ट (Act East)’ नीतियों के संश्लेषण को दर्शाता है। "
  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, चार्टर को अपनाने से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में "सार्थक सहयोग और गहन एकीकरण" की अनुमति मिलती है।
  • भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के कारण दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के तहत सहयोग रुकने के बाद, भारत ने बिम्सटेक और BBIN के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की मांग की है।  
    • BBIN में बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल शामिल हैं।

निष्कर्ष 

बिम्सटेक का चार्टर दस्तावेज लागू होना संस्था के विकास क्रम में एक "महत्वपूर्ण मील का पत्थर" है और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के सार्थक सहयोग और गहन एकीकरण के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। 2014 से सार्क की निष्क्रियता के बाद से बिम्सटेक इस क्षेत्र के मुद्दों एवं समस्याओं को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साथ ही पकिस्तान के इस समूह में नहीं होने से, भारत बिना किसी विवाद के अपने अनुकूल नीतियों को इस क्षेत्र के विकास में प्रतिबिंबित कर सकता है।

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