(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश) |
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 अप्रैल 2025 को बैंकॉक में आयोजित बिम्सटेक (BIMSTEC) के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों/सरकार प्रमुखों के छठें शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

बिम्सटेक शिखर सम्मेलन 2025 के बारे में
परिचय : बिम्सटेक के सर्वोच्च नीति निर्धारण निकाय के रूप में शिखर सम्मेलन संगठन की रणनीतिक दिशा एवं प्राथमिकताओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालिया सम्मेलन सात वर्षों में पहली व्यक्तिगत बैठक है।
- सम्मेलन का विषय : ‘बिम्सटेक: समृद्ध, लचीला एवं खुला’ (BIMSTEC: Prosperous, Resilient and Open)
- उद्देश्य : सदस्य देशों के बीच सुरक्षा एवं विकासात्मक चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए सहयोग को बढ़ावा देना
- भागीदार : सभी 7 सदस्य देश (बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका एवं थाईलैंड)
- अध्यक्षता : थाईलैंड द्वारा
- अगले सम्मेलन के लिए बिम्सटेक की अध्यक्षता बांग्लादेश को सौंपी गई।

बिम्सटेक (BIMSTEC) के बारे में

- परिचय : यह बंगाल की खाड़ी पर निर्भर दक्षिण एशियाई एवं दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
- पूरा नाम : बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग पहल (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation : BIMSTEC)
- उद्देश्य : भारतीय महासागर क्षेत्र के देशों के बीच बहुपक्षीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना
- स्थापना : 6 जून, 1997 को बैंकॉक में BIST-EC (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका एवं थाईलैंड आर्थिक सहयोग) के रूप में
- नामकरण : 31 जुलाई, 2004 को पहले शिखर सम्मेलन में समूह का नाम बिम्सटेक किया गया।
- चार्टर लागू : 20 मई, 2024 से
- स्थायी सचिवालय : ढाका, बांग्लादेश
- वर्तमान अध्यक्ष : बांग्लादेश (इसका नेतृत्व देश के नामों के वर्णानुक्रम में चक्रीय रूप से रहता है।)
- प्रभाव : इस संगठन के देश में 1.73 बिलियन लोग रहते हैं और इसका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है।
- सदस्य देश : बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका एवं थाईलैंड
- बिम्सटेक के सिद्धांत
- बिम्सटेक के भीतर सहयोग संप्रभु समानता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता, आंतरिक मामलों में अहस्तक्षेप, अहिंसा, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, पारस्परिक सम्मान एवं पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों के सम्मान पर आधारित है।
- बिम्सटेक के भीतर सहयोग सदस्य देशों से जुड़े द्विपक्षीय, उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय या बहुपक्षीय सहयोग का पूरक होगा और उसका विकल्प नहीं होगा।
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छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणाम
घोषणा पत्र
सभी नेताओं द्वारा सम्मेलन के घोषणा पत्र को अपनाया गया। यह घोषणा पत्र नेताओं के दृष्टिकोण के साथ-साथ भविष्य के सहयोग के लिए उनके निर्णयों व निर्देशों को भी प्रतिबिंबित करता है।
बिम्सटेक बैंकॉक विजन 2030
यह बिम्सटेक का पहला विजन दस्तावेज है जो समृद्ध, लचीले एवं खुले बिम्सटेक के विजन को प्राप्त करने के लिए सदस्य राज्यों के बीच भविष्य के सहयोग के लिए एक व्यापक व व्यावहारिक रोडमैप प्रदान करता है।
समुद्री परिवहन सहयोग पर समझौता
यह समुद्री संपर्क बढ़ाने, सदस्य देशों के बीच अधिक व्यापार और यात्रा को सक्षम बनाने के लिए क्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बिम्सटेक और आई.ओ.आर.ए. के बीच समझौता
यह साझा हित के प्रमुख क्षेत्रों में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) एवं बिम्सटेक के बीच भविष्य की साझेदारी को संस्थागत बनाता है।
बिम्सटेक और यू.एन.ओ.डी.सी. के मध्य समझौता
यह साझा प्राथमिकताओं के क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) और बिम्सटेक के बीच साझेदारी को औपचारिक बनाता है।
बिम्सटेक तंत्र के लिए प्रक्रिया के नियमों को अपनाना
यह नियम, बिम्सटेक चार्टर के साथ मिलकर बिम्सटेक के तहत क्षेत्रीय सहयोग के लिए संस्थागत ढाँचे की एक मजबूत नींव रखते हैं जिससे अधिक दक्षता व स्थिरता सुनिश्चित होती है।
भूकंप पर संयुक्त बयान
म्यांमार और थाईलैंड में 28 मार्च, 2025 को आए भूकंप पर बिम्सटेक नेताओं का संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें प्रभावित देशों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई और आपदा प्रबंधन में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया गया।
भारत की 21 सूत्रीय कार्य योजना
- प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में 21 सूत्रीय कार्य योजना का अनावरण किया गया।
- इस योजना में क्षेत्रीय सम्पर्क, आर्थिक सहयोग एवं तकनीकी एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इस कार्य योजना में ‘मानव संसाधन अवसंरचना के संगठित विकास के लिए बिम्सटेक’ (BIMSTEC for Organised Development of Human resource Infrastructure : BODHI) भी शामिल है।
- यू.पी.आई. को बिम्सटेक भुगतान प्रणालियों से जोड़ना और चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना।
- बिम्सटेक की 30वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में वर्ष 2027 में बिम्सटेक खेलों का आयोजन।
- बिम्सटेक सदस्य देशों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में नैनो-सैटेलाइट बनाने एवं ग्राउंड स्टेशन स्थापित करने और रिमोट सेंसिंग डाटा के उपयोग को बढ़ावा देने की पेशकश।
- क्षमता निर्माण, अनुसंधान, नवाचार और समुद्री नीतियों में समन्वय बढ़ाने के लिए भारत में एक सतत समुद्री परिवहन केंद्र की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा गया।
- सदस्य देशों के गृह मंत्रियों के तंत्र की पहली बैठक भारत में आयोजित करने का प्रस्ताव।
- योजना के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहल के तहत, बिम्सटेक देशों के युवा राजनयिकों के लिए हर साल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए भारतीय वन अनुसंधान संस्थान और नालंदा विश्वविद्यालय में बिम्सटेक छात्रों को छात्रवृत्ति का प्रस्ताव।
- टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा बिम्सटेक देशों में कैंसर देखभाल में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
- पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान और प्रसार के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र और किसानों के लाभ के लिए ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं, अनुसंधान और क्षमता निर्माण के आदान-प्रदान के लिए भारत में एक उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव।
- इस वर्ष भारत में बिम्सटेक पारंपरिक संगीत समारोह का आयोजन।
- कनेक्टिविटी के लिए इलेक्ट्रिक ग्रिड इंटरकनेक्शन पर काम करने का प्रस्ताव।
- युवाओं की भागीदारी के लिए, बिम्सटेक युवा नेताओं के शिखर सम्मेलन का आयोजन।
- बिम्सटेक हैकाथॉन और युवा पेशेवर आगंतुक कार्यक्रम का प्रारंभ।
बिम्सटेक समूह के समक्ष प्रमुख चुनौतियां
राजनीतिक मतभेद
बिम्सटेक देशों के बीच राजनीतिक मतभेद आपसी सहयोग में रुकावट बन सकते हैं। विभिन्न देशों की आंतरिक और बाहरी नीतियों के कारण सामूहिक निर्णयों को लागू करना कठिन हो सकता है।
आर्थिक विषमताएँ
बिम्सटेक देशों के बीच आर्थिक असमानता भी एक बड़ी चुनौती है। कुछ सदस्य देश जैसे भारत और थाईलैंड आर्थिक दृष्टि से मजबूत हैं, जबकि अन्य देशों जैसे नेपाल और भूटान में विकास की गति धीमी है। इससे क्षेत्रीय सहयोग में असमानता उत्पन्न हो सकती है।
सुरक्षा मुद्दे
बिम्सटेक देशों के बीच सीमा विवाद और अन्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं। इन मुद्दों पर सहमति बनाने में समय लग सकता है।
जलवायु परिवर्तन
भारतीय महासागर क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। समुद्र स्तर में वृद्धि, तूफान, और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटना बिम्सटेक देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
समाधान
राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देना
सदस्य देशों के बीच राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देना और उनके मतभेदों को सुलझाने के लिए एक साझा मंच बनाना जरूरी है। इससे संगठन की स्थिरता बढ़ेगी।
आर्थिक सहयोग बढ़ाना
समृद्ध देशों को अपनी तकनीकी और वित्तीय सहायता के जरिए अन्य सदस्य देशों को समर्थन देना चाहिए। इससे आर्थिक विकास में समानता आएगी और क्षेत्रीय सहयोग मजबूत होगा।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त प्रयास
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक साझा रणनीति तैयार की जानी चाहिए, जिसमें हर सदस्य देश की भूमिका स्पष्ट हो और सभी मिलकर काम करें।
सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना
सुरक्षा मामलों में सहयोग बढ़ाने के लिए बिम्सटेक देशों को संयुक्त सुरक्षा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि सीमा पार आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, और अन्य अपराधों का सामना किया जा सके।
निष्कर्ष
बिम्सटेक छठे सम्मेलन ने इस संगठन के लिए एक नई दिशा तय की है। इसके द्वारा उठाए गए कदम और समझौते क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करेंगे और बिम्सटेक देशों के बीच समृद्धि और लचीलापन लाने में मदद करेंगे। भविष्य में संगठन को राजनीतिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करना होगा, लेकिन यदि सदस्य देश एकजुट होकर काम करते हैं, तो बिम्सटेक का भविष्य उज्जवल हो सकता है।