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बिंदेश्वर पाठक (1943-2023)

प्रारंभिक परीक्षा - समसामयिकी, कार्य एवं पुरस्कार
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 

चर्चा में क्यों-

  • प्रसिद्ध समाज सुधारक और सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का 15 अगस्त 2023 को निधन हो गया।

मुख्य बिंदु-

  • पाठक भारत स्थित सामाजिक सेवा संगठन सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक थे, जो शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
  • वर्ष 1968 में उन्होंने डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय बनाया, जिसे कम खर्च में घर के आसपास मिलने वाली सामग्री से बनाया जा सकता था।
  • उन्होंने 1970 में सुलभ आंदोलन शुरू किया और अपना जीवन मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित कर दिया। 
  • श्री पाठक ने भारत में सार्वजनिक शौचालय प्रणाली शुरू करने के लिए 1970 में ‘सुलभ अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सेवा संगठन’ की स्थापना की थी
  • उन्हें सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यापक रूप से निर्मित कम लागत वाले ट्विन-पिट फ्लश शौचालयों को डिजाइन करने और लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया गया था।
  • श्री पाठक ने देश भर में 10,000 से अधिक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करके स्वच्छता का समर्थन किया था।
  • उन्होंने पहला सार्वजनिक शौचालय बिहार के आरा में एक नगर पालिका अधिकारी की मदद से बनाया, जिसने उन्हें 1973 में नगर पालिका परिसर में दो शौचालय बनाने के लिए 500 रुपये दिए थे। 
  • 1974 में पहला सुलभ सार्वजनिक शौचालय - 48 सीटों, 20 बाथरूम, मूत्रालय और वॉशबेसिन के साथ - पटना में जनता के लिए खोल दिया गया था।
  • 1974 में, बिहार सरकार ने बाल्टी शौचालयों को दो-गड्ढे वाले फ्लश शौचालयों में बदलने के लिए सुलभ की मदद लेने के लिए सभी स्थानीय निकायों को एक परिपत्र भेजा और 1980 तक अकेले पटना में 25,000 लोग सुलभ सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग कर रहे थे।

व्यक्तिगत जीवन-

Bindeshwar-Pathak

  • वर्ष 1943 में जन्मे डॉ. बिंदेश्वर पाठक बिहार के वैशाली जिले के गांव रामपुर बघेल के निवासी थे।
  • अपने गाँव में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पाठक ने बीएन कॉलेज, पटना से समाजशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 
  • वह मध्य प्रदेश के सागर विश्वविद्यालय से अपराधशास्त्र की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन इससे पहले वह एक स्वयंसेवक के रूप में पटना में ‘गांधी शताब्दी समिति’ में शामिल हो गए।
  •  समिति ने उन्हें बिहार के बेतिया में दलित समुदाय के लोगों के मानवाधिकारों और सम्मान की बहाली के लिए काम करने के लिए भेजा। 
  • वहां से, उन्होंने हाथ से मैला ढोने की प्रथा और खुले में शौच को खत्म करने के लिए एक मिशन शुरू करने का संकल्प लिया, जो उस समय एक सामान्य घटना थी।

पुरस्कार-

  • 1991 में श्री पाठक को पद्म भूषण तथा 1992 में  पर्यावरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सेंट फ्रांसिस पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • 2009 में उन्हें रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा स्टॉकहोम वॉटर पुरस्कार मिला।
  • 2012 में, उन्होंने वृन्दावन की विधवाओं के कल्याण की दिशा में काम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक परोपकारी मिशन शुरू किया। उन्होंने प्रत्येक विधवा को 2,000 रुपये का मासिक वजीफा देकर शुरुआत की।
  • 2016 में सुलभ शौचालय को सरकार के प्रमुख स्वच्छ भारत मिशन में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • डॉ. बिंदेश्वर पाठक के प्रयासों के चलते ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 19 नवंबर 2013 को वर्ल्ड टॉयलेट डे के रूप में मान्यता दी।

स्वच्छता की दिशा में प्रयास-

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में लालकिले से स्वच्छ भारत अभियान का एलान किया था और हर घर शौचालय बनाने का संकल्प लिया था, ताकि खुले में शौच को रोका जा सके।
  •  हालांकि, स्वतंत्र भारत में खुले में शौच और शौचालय को लेकर चिंतित होने वाले प्रधानमंत्री मोदी पहले व्यक्ति नहीं थे। 
  • सुलभ शौचालय के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वर्ष 1970 में ही इस बात को महसूस किया था कि शुष्क शौचालयों और सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा को समाप्त किया जाए। 
  • उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर सुलभ शौचालय बनाने की शुरुआत की।
  • वर्तमान में डॉ. बिंदेश्वर पाठक की सुलभ संस्था देश में 10,123 से अधिक सार्वजनिक शौचालय, 15.91 लाख से अधिक घरों में शौचालय, 32,541 से अधिक स्कूलों में शौचालय, 2454 मलिन बस्तियों में शौचालय, 200 से अधिक बॉयोगैस प्लांट, 12 से अधिक आदर्श गांव बना चुकी है। 
  • वो 10 हजार से अधिक लोगों को मैला ढोने की कुप्रथा से बाहर ला चुके हैं।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अनुसार, पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक "क्रांतिकारी" पहल की है। “
  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि,“ हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और स्वच्छता को आगे बढ़ाने के प्रति उनके अथक समर्पण ने अनगिनत जिंदगियों का उत्थान किया है।”
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, ''वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन प्रदान किया। हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखता रहा।”

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- बिंदेश्वर पाठक के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. उन्होंने 1970 में ‘सुलभ अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सेवा संगठन’ की स्थापना की थी
  2. डॉ. बिंदेश्वर पाठक के प्रयासों के चलते ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 19 नवंबर 2013 को वर्ल्ड टॉयलेट डे के रूप में मान्यता दी।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- बिंदेश्वर पाठक का संक्षिप्त परिचय देते हुए स्वच्छता के क्षेत्र में उनके योगदान का मूल्यांकन कीजिए।

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