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जैव-चिकित्सा अपशिष्ट

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।) 

संदर्भ

पश्चिम बंगाल में सरकारी अस्पतालों से निकलने वाले जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के निपटान से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों के पीछे एक तेजी से बढ़ता ग्रे मार्केट है। जिसमें जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का वाणिज्यिक रूप से अनधिकृत पुनरुपयोग किया जाता है।

क्या है जैव-चिकित्सा अपशिष्ट

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार चिकित्सा अपशिष्ट स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों से उत्पन्न अपशिष्ट है। 
    • इसमें उपयोग की गई सुइयों एवं सिरिंजों से लेकर गंदे ड्रेसिंग, शरीर के अंग, नैदानिक ​​नमूने, रक्त, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और रेडियोधर्मी सामग्री शामिल हैं।
  • विभिन्न अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में उत्पन्न अपशिष्ट, जिसमें उद्योगों का अपशिष्ट भी शामिल है, को बायोमेडिकल अपशिष्ट (BMW) के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है। 
    • इस प्रकार के अपशिष्ट के घटक विभिन्न संक्रामक एवं खतरनाक पदार्थ होते हैं। 

भारत में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट की स्थिति 

  • विशेषज्ञों  के अनुमान के अनुसार औसतन एक अस्पताल में प्रति बिस्तर प्रतिदिन 100 ग्राम प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है,जिसमें सर्जिकल दस्तानों से लेकर सलाइन की बोतलें, IV ट्यूब, सीरिंज आदि शामिल हैं।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2014 में पश्चिम बंगाल में अस्पतालों द्वारा उत्पन्न 47% जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का उपचार नहीं किया गया। 
  • वर्ष 2021 में CPCB द्वारा जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन पर वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों एवं समितियों ने चूककर्ताओं को 15,355 कारण बताओ नोटिस/निर्देश जारी किए।
  • भारत में लगभग 700 टीपीडी(Tons Per Day: TPD) बायोमेडिकल अपशिष्ट उत्पन्न होता है और जिसमे से लगभग 640 TPD का उपचार किया जाता है।
  • भारत की संयुक्त उपलब्ध उपचार क्षमता 1,590 TPD है।  
    • अधिशेष क्षमता होने के बावजूद,भारत के 20 राज्य ऐसे हैं, जिनके पास कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट सुविधाओं (CBWTF) का अभाव है। 
    •  इनके द्वारा अभी भी अपशिष्ट निपटान के लिए कैप्टिव उपचार उपायों एवं गहरे गड्ढों में दबाने जैसी सुविधाओं का उपयोग किया जा रहा है। 

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (BMW) प्रबंधन की आवश्यकता 

  • BMW मेडिकल स्टाफ, अस्पताल आने वाले मरीजों और आस-पास के समुदाय के लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न करता है। 
  • अनुचित तरीके से निपटान करने से अस्पताल में होने वाली गंभीर बीमारियों के साथ-साथ वायु एवं जल प्रदूषण का भी खतरा बढ़ जाता है।  
  • खुले स्थान पर कचरा निपटान प्रथाओं के कारण  जानवर एवं मैला ढोने वाले संक्रमित होंगे जिससे संक्रमण व्यापक स्तर पर फैल सकता है।    
  • व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन एवं निपटान प्रणालियों के अभाव में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या और गंभीर हो जाती है।  

समाधान/सुझाव 

  • भारत के बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन बाजार में 7-8 % की चक्रवृद्धि वृद्धि दर से वार्षिक वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में इसके तत्काल समुचित प्रबंधन की आवश्यकता है। 
  • सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपशिष्ट के रिसाव एवं वास्तविक प्रबंधन का अनुमान लगाने की आवश्यकता है।  
  • वास्तविक बनाम रिपोर्ट की गई क्षमताओं एवं अनिवार्य नियमों के साथ अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली  के अनुपालन के लिए विस्तृत जाँच की आवश्यकता है। 
  • अपशिष्ट प्रबंधन शृंखला के सभी हितधारकों पर नज़र रखने की आवश्यकता है ताकि किसी भी पूर्व नियोजित रिसाव से बचा जा सके। 
  • मौजूदा व्यवस्था में कचरे के अवैध हस्तांतरण, अनुचित भस्मीकरण और निपटान के तरीकों  से संबंधित सभी समस्याओं का निवारण करना अनिवार्य है।
  • भारत में प्रत्येक जिले के लिए एक तरह की सुविधा बनाना व्यावहारिक और वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं है। ऐसे में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की स्थापना की जानी चाहिए। 
  • बारकोडिंग का दायरा बायोमेडिकल कचरे के पुनर्चक्रणकर्ताओं तक बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि पुनर्चक्रित उत्पादों के निर्माण, वितरण एवं खपत का विनियमन हो सके। 

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2018

  • इसके तहत अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिकों, डिस्पेंसरियों, पशु चिकित्सा संस्थानों, पशु घरों, रोग प्रयोगशालाओं, रक्त बैंकों, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं एवं नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों सहित जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पादकों को क्लोरीनयुक्त प्लास्टिक बैग (रक्त बैग को छोड़कर) व दस्ताने का उपयोग बंद करने के निर्देश दिए गये ।
  • सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार एवं निपटान सुविधाओं के संचालकों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए बार कोडिंग और ग्लोबल पोजिशनिंग प्रणाली स्थापित करनी होगी।
  • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियों को प्राप्त सूचनाओं का  संकलन, समीक्षा एवं विश्लेषण करना है तथा एक नए प्रपत्र (प्रपत्र IV ए) में यह सूचना केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजनी है। 
    • जिसमें जिलावार जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पादन, कैप्टिव उपचार सुविधाओं वाले स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार एवं निपटान सुविधाओं की जानकारी होगी। 
  • BMW को सामान्य, रोगात्मक, रेडियोधर्मी, रासायनिक, संक्रामक, फार्मास्यूटिकल्स या दबावयुक्त अपशिष्टों में भी वर्गीकृत किया गया है।
    • उपर्युक्त सभी प्रकार के कचरे को अलग-अलग रंग के डिब्बों में संगृहीत कर उपचार के लिए भेजा जाता है। 
      • पीले रंग के डिब्बे में : शारीरिक अपशिष्ट, संक्रामक अपशिष्ट, रासायनिक अपशिष्ट, प्रयोगशाला अपशिष्ट और दवा अपशिष्ट एकत्र किए जाते हैं। 
      • लाल रंग के डिब्बे में :  पुनर्चक्रण योग्य दूषित अपशिष्ट एकत्र किए जाते हैं। इसमें BMW संग्रह के लिए गैर-क्लोरीनयुक्त प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है। 
      • नीले रंग के डिब्बे में :  अस्पताल के कांच के बने पदार्थ जैसे शीशियों और ampoules का अपशिष्ट एकत्र किया जाता है। 
      • पारदर्शी सफेद डिब्बे में: दूषित नुकीले सामानों का निपटान किया जाता है।
  • प्रत्येक जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले संस्थान और परिसर पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाला व्यक्ति प्रयोगशाला अपशिष्ट, सूक्ष्मजीवी अपशिष्ट, रक्त के नमूनों और रक्त थैलियों को, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित तरीके से अपशिष्ट का पूर्व-उपचार करेगा और फिर अंतिम निपटान के लिए सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा को भेजेगा।
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