प्रारम्भिक परीक्षा – जैव विविधता संशोधन विधेयक मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र –3 |
चर्चा में क्यों
लोकसभा ने 25 जुलाई 2023 को जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित कर दिया।
संशोधन की आवश्यकता
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 लागू किए जाने के 20 वर्षों बाद अधिनियम का मूल्यांकन आवश्यक था।
- जनजातियों और कमजोर समुदायों को औषधीय वन उत्पादों से आय प्राप्ति हेतु।
- पारंपरिक भारतीय चिकित्सकों, बीज उद्योग और शोधकर्ताओं की शिकायतों को दूर करने के लिए ।
- संशोधन आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है ।
- दरअसल अधिनियम में भारी अनुपालन बोझ( heavy compliance burden) इन पर लगाया गया था, जिससे अनुसंधान, निवेश और पेटेंट आवेदन प्रक्रिया जटिल हो गयी थी ।
- स्थानीय समुदायों के साथ लाभ साझा करने और जैविक संसाधनों के संरक्षण के दायरे को व्यापक बनाना ।
- नागोया प्रोटोकॉल के मद्देनजर संशोधन आवश्यक था जिसमें कहा गया था कि किसी क्षेत्र में संसाधनों का लाभ उस क्षेत्र के लोगों तक पहुंचना चाहिए।
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 को संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी), 1992 को प्रभावी बनाने के लिए तैयार किया गया था, जो जैविक संसाधनों और संबंधित पारंपरिक ज्ञान के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों के टिकाऊ, निष्पक्ष और न्यायसंगत बंटवारे के लिए प्रयास करता है।
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 का कुछ राज्यों ने गलत फायदा उठाया जैसे - झारखंड ने सभी आरा मिलों को यह कहते हुए बंद कर दिया कि ये जैव-विविधता को नुकसान पंहुचा रहे हैं। छत्तीसगढ़ ने अचानक कोयले को एक जैव विविधता उत्पाद माना ।
- फार्मास्युटिकल कंपनियों को जैविक विविधता अधिनियम के तहत परेशान किया जा रहा था।
- संशोधन के तीन प्रमुख कारण हैं- जैव विविधता का संरक्षण, इसके घटकों का सतत उपयोग और लाभों का उचित और न्यायसंगत साझाकरण ।
महत्वपूर्ण बदलाव
- विधेयक जैविक विविधता अधिनियम, 2002 में संशोधन करेगा जो भारत में जैविक विविधता के संरक्षण, उनके सतत उपयोग और जैव विविधता के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों को न्यायसंगत बंटवारे का प्रावधान करता है।
- संशोधनों में पारंपरिक ज्ञान शब्द को भी शामिल किया गया है, जिसके तहत भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के चिकित्सकों सहित उपयोगकर्ताओं को लाभ प्राप्ति हेतु छूट दी गई है ।
- विधेयक में विदेशी कंपनी की परिभाषा को कंपनी अधिनियम-2013 में दी गई परिभाषा के साथ जोड़ा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनियां वाणिज्यिक उपयोग और पेटेंट प्राप्त करने के लिए एनबीए के नियामक ढांचे के तहत आती हैं ।
- विधेयक में भारत में निगमित या पंजीकृत कंपनी, जो कंपनी अधिनियम-2013 के अनुसार विदेशी कंपनी है , को भी भारतीय कंपनियों के बराबर माना जाएगा।
- इसके अतिरिक्त घरेलू कंपनियों को जैव विविधता बोर्डों की अनुमति के बिना भी जैव विविधता का उपयोग करने की अनुमति होगी ।
- संशोधनों के अनुसार, केवल विदेश नियंत्रित कंपनियों को ही अनुमति की आवश्यकता होगी।
- विधेयक में उल्लंघन को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का भी प्रस्ताव है और उल्लंघनकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की एनबीए की शक्ति को वापस ले लिया गया है।
- जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 पंजीकृत आयुष चिकित्सा चिकित्सकों को जैविक संसाधनों तक पहुंचने से पहले जैव विविधता बोर्डों को सूचित करने से छूट देता है।
- भारतीय चिकित्सा प्रणाली को निम्नलिखित छूट :
(i) औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की पहली अनुसूची में निर्धारित संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान
(ii) औषधीय पौधों और उनके उत्पादों की खेती, और
(iii) आयुष चिकित्सकों।
- संशोधनों से आयुष निर्माण कंपनियों को एनबीए (NBA) से अनुमोदन की आवश्यकता से छूट दी गयी है ।
- विधेयक के तहत कई प्रकार के अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाता है और उनके स्थान पर मौद्रिक दंड का प्रावधान करता है। यह सरकारी अधिकारियों को पूछताछ करने और दंड निर्धारित करने का अधिकार देता है।
- यह एक त्रि-स्तरीय संरचना तैयार करता है जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए), राज्य स्तर पर राज्य जैव विविधता बोर्ड (एसबीबी) और स्थानीय निकाय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियां (बीएमसी) शामिल हैं।
- बीएमसी की प्राथमिक जिम्मेदारी पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर के रूप में स्थानीय जैव विविधता और संबंधित ज्ञान का दस्तावेजीकरण करना है।
- इस विधेयक में जुर्माना ₹1 लाख से ₹50 लाख के बीच है, और लगातार उल्लंघन के मामले में एक करोड़ रुपये तक हो सकता है।
- विधेयक में विदेशी कंपनी की परिभाषा को कंपनी अधिनियम-2013 में दी गई परिभाषा के साथ जोड़ा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनियां वाणिज्यिक उपयोग और पेटेंट प्राप्त करने के लिए संरक्षण कानून के नियामक ढांचे के तहत आती हैं ।
- जैविक संसाधन की निगरानी पर जोर देते हुए एक नई धारा 36(ए) जोड़ी गई है ।
- इसके अलावा 36 (बी) विकसित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई नई धारा राज्य सरकार को जैविक विविधता के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग के लिए रणनीतियों तथा योजनाओं को विकसित करने में सक्षम बनाती है।
- संशोधन प्रक्रिया में जैव विविधता प्रबंधन समितियों के कार्यों पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डालते हुए एक नई धारा 41(1ए) भी जोड़ी गई है।
- इसके अलावा धारा 41(18) जोड़कर और इसके सदस्यों की न्यूनतम और अधिकतम संख्या निर्धारित करके जैव विविधता प्रबंधन समितियों को मजबूत बनाया गया है।
आलोचना
- आलोचकों का तर्क है कि विधेयक के संशोधित प्रावधानों से अनियंत्रित व्यावसायीकरण हो सकता है और पारंपरिक ज्ञान रखने वाले स्थानीय समुदायों को लाभ से वंचित किया जा सकता है।
- पर्यावरण संगठनों ने जैव चोरी (bio piracy) की संभावना के बारे में चिंता जताई है, उनका कहना है कि संशोधन उद्योग के पक्ष में हैं और स्थानीय समुदायों के साथ लाभ साझा करने पर स्पष्टता का अभाव है।
- संशोधन आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है इससे जैव चोरी का मार्ग प्रशस्त होगा।
- संशोधनों से आयुष निर्माण कंपनियों को एनबीए से अनुमोदन की आवश्यकता से छूट मिल जाएगी ।
- विधेयक में पारंपरिक ज्ञान को परिभाषित नहीं किया गया है ।
- महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं, लेकिन पंचायतों को कोई लाभ नहीं दिया जाता। ओडिशा का भी यही आरोप है
- लाभ की परिभाषा में पारंपरिक ज्ञान को बाहर करना किसानों, वनवासियों और संरक्षकों के हित के लिए हानिकारक है।
प्रभाव
- इससे आयुष औषधि उद्योग में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और उपचार की भारतीय प्रणालियों में उपयोग की जाने वाली दवाएं लोकप्रिय होंगी, जिससे अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी । देश में बेहतर रोजगार अवसर बढ़ेंगे ।
- इसके अलावा, यह राष्ट्रीय हित से समझौता किए बिना अनुसंधान, पेटेंट और वाणिज्यिक उपयोग सहित जैविक संसाधनों की श्रृंखला में अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा।
- भारतीय कंपनियां अब केवल खुद को पंजीकृत करके उत्पादों का निर्माण कर सकती हैं।
- विधेयक निवेश के लिए अनुकूल माहौल को प्रोत्साहित करता है जैसे -व्यवसाय करने में आसानी तथा पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाता है ।
- जंगल और खेती वाले औषधीय पौधों के बीच अंतर किया गया है।
- इससे जंगली औषधीय पौधों पर दबाव कम होगा, जिससे संकटग्रस्त औषधीय पौधों की पर्याप्त संख्या और उपलब्धता में सुधार होगा।
- पेटेंट कानून लागू होने से कोई भी विदेशी कंपनी अनुचित लाभ नहीं ले पाएगी। इससे जंगलों से औषधीय पौधों की चोरी भी रुकेगी।
प्रश्न : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 को संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी), 1992 को प्रभावी बनाने के लिए लाया गया है 2. जैविक विविधता अधिनियम, 2000 में लागू हुआ था । 3. संशोधनों से आयुष निर्माण कंपनियों को एनबीए (NBA) से अनुमोदन की आवश्यकता होगी ।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल कथन -1 (b) केवल कथन -2 (c) सभी तीनों (d) कोई भी नहीं
उत्तर: (a)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 भारतीय जैव विविधता को किस प्रकार संवर्धित और संरक्षित करेगा । टिप्पणी कीजिए ।
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स्रोत - The Hindu