New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

सृजनम

नई प्रणाली के बारे में 

  • क्या है : यह अपनी तरह का पहला स्वचालित जैव-चिकित्सा अपशिष्ट रूपांतरण रिग (Rig) है जो रक्त, मूत्र, थूक एवं प्रयोगशाला डिस्पोजेबल जैसे रोगजनक जैव-चिकित्सा अपशिष्टों को कीटाणुरहित कर सकता है।
    • इस रिग को ही ‘सृजनम’ Sṛjanam) नाम दिया गया है। किसी निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए लगाए गए उपकरण, यंत्र या मशीनरी को रिग कहते हैं।
  • विकास : वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय अंतःविषयक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (Council of Scientific and Industrial Research and National Institute for Interdisciplinary Science and Technology : CSIR-NIIST) द्वारा 
  • क्षमता : 400 किलोग्राम की दैनिक क्षमता 
  • प्रमुख विशेषताएँ : यह उपकरण 30 मिनट में 10 किलो जैव-कचरे को जैव-खाद में बदल सकता है जिससे पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।
    • इस तकनीक के संदर्भ में किए गए अध्ययनों के अनुसार उपचारित सामग्री वर्मीकम्पोस्ट जैसे जैविक उर्वरकों की तुलना में अधिक सुरक्षित है।

भारत में बायोमेडिकल अपशिष्ट की स्थिति 

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वर्ष 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिदिन 743 टन जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न होता है जो इसके सुरक्षित एवं उचित निपटान के संदर्भ में एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, देश के अस्पतालों में प्रतिदिन रोगजनक जैव-चिकित्सा अपशिष्ट की मात्रा प्रति बिस्तर 0.5-0.75 किलोग्राम है। इससे सर्वाधिक खतरा नर्सिंग स्टाफ को होता है।
  • बायोमेडिकल कचरे को अनुचित तरीके से अलग करना, खुले में फेंकना एवं जलाना गंभीर स्वास्थ्य खतरों को जन्म देता है जिसमें कैंसरकारी तत्व और पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन शामिल है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR