जीन और संबंधित अवधारणाएं (Genes and Related Concepts)
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जीन (Gene)
- जीन, डिओक्सीराइबोन्यूक्लिक ऐसिड (DNA) के खंड होते हैं।
- DNA एक महत्वपूर्ण न्यूक्लिक ऐसिड है, जो राइबोन्यूक्लिक ऐसिड (RNA) के साथ मानव कोशिकाओं में पाया जाता है।
- क्रोमोसोम, प्रोटीन और DNA के एक ही अणु से बने धागे जैसी संरचनाएं होती हैं।
- जीनोम किसी कोशिका में पाए जाने वाले DNA का संपूर्ण सेट होता है।
DNA और RNA के बीच तुलना
मानक
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DNA
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RNA
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संरचना
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डबल-स्ट्रेंडेड हेलिक्स
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सिंगल-स्ट्रेंडेड
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नाइट्रोजनस बेस
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एडेनिन (A), थाइमिन(T), साइटोसिन (C), गुआनिन(G)
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एडेनिन (A), यूरेसिल (U), साइटोसिन (C), गुआनिन (G)
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कार्य
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वंशानुक्रम के लिए अनुवांशिक जानकारी का भंडारण
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जीन एक्सप्रेशन को विनियमित करना और प्रोटीन संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना
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जीनोम एडिटिंग (Genome Editing)
- DNA को एडिट करने से शारीरिक लक्षणों (जैसे- आंखों का रंग) में बदलाव किया जा सकता है और कुछ बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है।
- इसके तहत बदलाव करने के लिए साइट डायरेक्टेड न्यूक्लियस (SDNs) का उपयोग किया जाता है। इसमें:
- न्यूक्लियोटाइड्स को जोड़ा, हटाया या प्रतिस्थापित किया जाता है।
- DNA तंतुओं को द्विखंडित करके अनुवर्ती जीनोम एडिटिंग को प्रभावित किया जाता है।
जीनोम एडिटिंग की प्रमुख प्रौद्योगिकियां
- CRISPR/Cas9 (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats)
- जिंक फिंगर न्यूक्लिअस (ZFN - Zinc Finger Nucleases)
- ट्रांसक्रिप्शन एक्टिवेटर-लाइक इफ़ेक्टर न्यूक्लिअस (TALEN - Transcription Activator-Like Effector Nucleases)
- अनुवांशिक रूप से संशोधित सजीवों (Genetically Modified Organisms: GMOs) के विपरीत, जीन एडिटिंग के तहत मौजूदा अनुवांशिक सामग्री में संशोधन किया जाता है, जबकि GMOs में ट्रांसजीन (विदेशी जीन) जोड़ा जाता है।
CRISPR/Cas9 तकनीक
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कार्यप्रणाली:-
- अनुवांशिक कोड में बदलाव किया जाता है या DNA के विशेष स्थानों को एडिट किया जाता है।
- यह "कट और पेस्ट" तंत्र पर कार्य करता है:
- जिस अनुवांशिक कोड को बदलना है, उसका निर्धारण किया जाता है।
- Cas9 प्रोटीन आणविक कैंची की तरह कार्य करता है और DNA के लक्षित खंड को काटता है।
- इसके माध्यम से जीनोम में आवश्यक परिवर्तन किए जाते हैं।
जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing)
- DNA के स्ट्रेंड में क्षार (Bases) युग्मों के सटीक क्रम का पता लगाना ही अनुक्रमण या सिक्वेंसिंग कहलाता है।
- पूर्वानुमानित निदान और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अनुवांशिक रोगों का उपचार किया जा सकता है।
जीनोम अनुक्रमण के अनुप्रयोग
- पूर्वानुमानित निदान और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा इससे अनुवांशिक रोगों का उपचार किया जा सकता है।
- पितृत्व परीक्षण: जैविक संबंधों की पुष्टि की जा सकती है।
- कृषि:
- उच्च उपज के लक्षणों की पहचान।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए फसलों में सुधार।
- जलवायु लचीलापन बढ़ाने के लिए अनुवांशिक सुधार।
माइक्रो RNA (miRNA) और जीन रेगुलेशन
माइक्रो RNA (miRNA)
माइक्रो RNA लघु आकार के नॉन-कोडिंग RNA होते हैं, जो कोशिकाओं में जीन एक्सप्रेशन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ये mRNA के साथ जुड़कर:
- mRNA के ट्रांसलेशन को रोकते हैं, जिससे प्रोटीन नहीं बनता।
- mRNA को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं, जिससे जीन एक्सप्रेशन समाप्त हो जाता है।
जीन रेगुलेशन: तंत्र और महत्व
- जीन रेगुलेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोशिकाएँ जीन की अभिव्यक्ति को नियंत्रित करती हैं, जिससे उचित कार्य, विकास और पर्यावरणीय अनुकूलन संभव होता है।
- यह ट्रांसक्रिप्शनल, पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल, ट्रांसलेशनल और एपिजेनेटिक स्तरों पर कार्य करता है।
प्रोकैरियोट्स में जीन रेगुलेशन
- प्रोकैरियोट्स में यह मुख्य रूप से ऑपेरॉन मॉडल के माध्यम से होता है।
- लैक ऑपेरॉन (प्रेरक प्रणाली): लैक्टोज की उपस्थिति में सक्रिय होता है।
- ट्रिप ऑपेरॉन (दमनकारी प्रणाली): ट्रिप्टोफैन की उच्च मात्रा में निष्क्रिय हो जाता है।
यूकेरियोट्स में जीन रेगुलेशन
- यह अधिक जटिल होता है और विभिन्न स्तरों पर कार्य करता है:
- ट्रांसक्रिप्शनल: ट्रांसक्रिप्शन कारक और एपिजेनेटिक संशोधन (डीएनए मिथाइलेशन, हिस्टोन एसिटिलेशन)।
- पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल: वैकल्पिक स्प्लिसिंग और आरएनए हस्तक्षेप (miRNA, siRNA)।
- ट्रांसलेशनल: mRNA स्थिरता और राइबोसोम नियंत्रण।
- पोस्ट-ट्रांसलेशनल: प्रोटीन संशोधन (फॉस्फोराइलेशन, यूबिक्विटिनेशन)।
महत्व
- कोशिका विभेदन और विकास में सहायक।
- पर्यावरणीय अनुकूलन को बढ़ावा देता है।
- रोगों की रोकथाम में मदद करता है।
- जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा में उपयोगी।
- जीन एक्सप्रेशन:
- मानव शरीर की कोशिकाओं में गुणसूत्र होते हैं, जिनमें समान जीन सेट मौजूद होते हैं।
- जीन रेगुलेशन यह निर्धारित करता है कि कौन-सी कोशिका कौन-से प्रोटीन को एक्सप्रेस करेगी।
- उदाहरण: मांसपेशी कोशिकाएं, तंत्रिका कोशिकाएं आदि, विशिष्ट प्रोटीन का निर्माण करती हैं जिससे वे अपने कार्य कर पाती हैं।
माइक्रो RNA का महत्त्व और उपयोग
- कोशिकीय विकास को समझने में – यह स्टेम सेल्स के Self-renewal और Differentiation को प्रभावित करता है।
- प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में – जन्मजात और अनुकूली प्रतिरक्षा प्रणाली में संतुलन बनाए रखता है।
- ऑन्कोजेनेसिस (Oncogenesis) में – स्वस्थ कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित होने से रोकता है।
- रोग निदान में – विशेष रूप से कैंसर की पहचान और उपचार में सहायक होता है।
रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (Reverse Transcriptase)
रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज RNA पर निर्भर DNA पोलीमरेज़ होते हैं, जो RNA से DNA का निर्माण करते हैं।
- यह एंजाइम "रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन" नामक अभिक्रिया को संचालित करता है।
- उदाहरण: कुछ वायरस (जैसे HIV) RNA से DNA बनाने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज का उपयोग करते हैं।
- शोधों में पाया गया है कि बैक्टीरिया (Klebsiella pneumoniae) वायरस संक्रमण के दौरान रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज के लिए RNA का उपयोग करता है।