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बिप्लब सरमा समिति की रिपोर्ट

(प्रारम्भिक परिक्षा, सामान्य अध्ययन 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।)

संदर्भ 

हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असम समझौते के खंड 6 के संबंध में न्यायमूर्ति बिप्लब सरमा समिति की 52 सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

क्या है असम समझौता

  • वर्ष 1985 में केंद्र सरकार और असम आंदोलन के नेतृत्वकर्ता, मुख्य रूप से अखिल असम छात्र संघ (AASU) के बीच असम समझौता (Assam Accord) किया गया था।
    • इस समझौते का मुख्य उद्देश्य राज्य में बांग्लादेशी प्रवासियों के प्रवेश के खिलाफ असम में चल रहे आंदोलन को समाप्त करना था।
  • समझौते के खंड 6 में कहा गया है कि “असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए, यथा उपयुक्त, संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा उपाय प्रदान किए जाएंगे।”
  • असम समझौते के खंड 6 को लागू करने के तरीके सुझाने के लिए जुलाई 2019 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बिप्लब कुमार सरमा की अध्यक्षता में एक 14-सदस्यीय समिति का गठन किया।

बिप्लब सरमा समिति की रिपोर्ट 

  • समिति द्वारा फरवरी 2020 में अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया था, जिसमें कुल  67 सिफारिशें हैं। इस रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित है: 
  • असम समझौते के खंड 6 के संदर्भ में : सिफारिशों में कहा गया है कि “असमिया लोगों” की परिभाषा में “स्वदेशी आदिवासी”, “असम के अन्य स्वदेशी समुदाय”, “1 जनवरी, 1951 को या उससे पहले असम के क्षेत्र में रहने वाले भारतीय नागरिक” और उनके वंशज और “स्वदेशी असमिया” लोग शामिल होने चाहिए।
    • इसके आधार पर, समिति ने संसद, राज्य विधानसभा, स्थानीय निकायों और नौकरियों सहित “असमिया लोगों” के लिए आरक्षण के लिए कई सिफारिशें भी कीं।
  • भूमि : राजस्व सर्किलों का निर्माण करना जहां केवल असमिया लोग ही भूमि के मालिक हो सकते हैं और इन क्षेत्रों में ऐसी भूमि का हस्तांतरण केवल उन्हीं तक सीमित होगा;
    • असमिया लोगों को भूमि का स्वामित्व आवंटित करने के लिए एक समयबद्ध, तीन साल का कार्यक्रम शुरू करना, जिन्होंने दशकों से जमीन के एक निश्चित टुकड़े पर कब्जा कर रखा है, लेकिन उनके पास भूमि के दस्तावेज नहीं हैं;
    • चार/चपारी क्षेत्रों (ब्रह्मपुत्र के किनारे नदी क्षेत्र) का विशेष सर्वेक्षण करना, तथा नव निर्मित चार को सरकारी भूमि माना जाना, जिसमें नदी कटाव प्रभावित लोगों को आवंटन में प्राथमिकता मिलनी चाहिए;
  • भाषा : वर्ष 1960 के असम राजभाषा अधिनियम के अनुसार बराक घाटी, पहाड़ी जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक स्वायत्त जिले में “स्थानीय भाषाओं के उपयोग के प्रावधानों के साथ” असमिया को पूरे राज्य में आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करना;
    • राज्य सरकार के सभी अधिनियमों, नियमों, आदेशों आदि को अंग्रेजी के साथ-साथ असमिया में भी जारी करना अनिवार्य बनाना;
    • असम की सभी स्वदेशी भाषाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए एक स्वायत्त भाषा और साहित्य अकादमी/परिषद का गठन करना;
  • सांस्कृतिक विरासत : सत्र (नव-वैष्णव मठ) के विकास के लिए एक स्वायत्त प्राधिकरण की स्थापना करना, जो अन्य बातों के अलावा उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा;
    • सभी जातीय समूहों की सांस्कृतिक विरासत को “उन्नत” करने के लिए प्रत्येक जिले में बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसरों का निर्माण करना।
  • छठी अनुसूची में शामिल असम के क्षेत्र : बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद और कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को यह निर्णय करने का अधिकार होगा कि उनके क्षेत्र में ये सिफारिशें लागू किया जाए अथवा नहीं।
    • इसके अलावा, मुख्य रूप से बंगाली भाषी बराक घाटी को भी इन सिफारिशों के कार्यान्वयन से छूट दी जाएगी।

असम सरकार द्वारा सिफारिशें को लागू करना

  • रिपोर्ट में प्रस्तुत 67 व्यापक सिफारिशों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: 
    • 40 सिफारिशें जो राज्य सरकार के विशेष अधिकार क्षेत्र में आती हैं।
    • 12 जिनके लिए केंद्र की सहमति की आवश्यकता होगी। 
    • 15 जो केंद्र के विशेष अधिकार क्षेत्र में हैं।
  • पहली दो श्रेणियों की 52 सिफारिशों को अप्रैल 2025 तक लागू किया जाना है, जो मुख्य रूप से भाषा, भूमि और सांस्कृतिक विरासत पर सुरक्षा उपायों से संबंधित हैं।
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