संदर्भ
भारत में बायोमास या कृषि अपशिष्ट से बायो-बिटुमेन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। यह सड़कों के डामरीकरण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री के आयात को कम करने में मदद करेगा, साथ ही पराली जलाने की लगातार समस्या का भी समाधान करेगा।
क्या है बिटुमेन
- बिटुमेन एक चिपचिपा पदार्थ है जो तरल से लेकर अर्ध-ठोस अवस्था में पाया जाता है। सामान्यत: इसका रंग काला-भूरा होता है।
- यह आमतौर पर एस्फाल्टीन राल और अन्य पेट्रोलियम यौगिकों से बना होता है। बिटुमेन में इनकी प्रकृति के अनुसार राख की मात्रा अलग-अलग होती है।
- उत्पादन : बिटुमेन पहाड़ियों और तेल झीलों में पाया जाता है। अधिकांश बिटुमेन संसाधन कनाडा, वेनेजुएला और ओमान में हैं।
- ईरान के पश्चिम में प्राकृतिक बिटुमेन खदानें भी हैं।
- उपयोग : बिटुमेन एक लाभदायक सामग्री है जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है।
- दुनिया के 85% से अधिक बिटुमेन उत्पादन का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया जाता है, 10% का उपयोग अन्य निर्माणों में किया जाता है और 5% का उपयोग इन्सुलेशन सहित कई अन्य उद्योगों में किया जाता है।
- वर्तमान में भारत अपनी वार्षिक बिटुमेन आवश्यकता का लगभग आधा हिस्सा आयात करता है, लेकिन अगले दशक के भीतर इस आयात को पूरी तरह से बायो-बिटुमेन से बदलने का लक्ष्य रखा गया है।
क्या है बायो-बिटुमेन
- बायो -बिटुमेन पारंपरिक जीवाश्म ईंधन आधारित बिटुमेन का एक स्थायी विकल्प है। यह पेट्रोलियम से मुक्त होता है।
- इसे बायो-डामर के नाम से भी जाना जाता है।
- उत्पादन : यह जैव-चार, जैव-तेल और इसी तरह के पदार्थों जैसे कार्बनिक पदार्थों से निर्मित है।
- उपयोगिता :
- कम कार्बन पदचिह्न: स्रोत सामग्री और उत्पादन विधियों के आधार पर, पारंपरिक बिटुमेन की तुलना में जैव-बिटुमेन का पर्यावरणीय प्रभाव कम हो सकता है।
- जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम: जैव-बिटुमेन उत्पादन नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करता है, जिससे सड़क निर्माण के लिए अधिक नवीकरणय संसाधनों को बढ़ावा मिलता है।