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पृथ्वी से 53 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर ब्लैक होल की खोज 

प्रारम्भिक परीक्षा – ब्लैक होल 
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 1 (भूगोल )

संदर्भ 

वैज्ञानिकों ने 53 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर एक विशाल ब्लैक होल की खोज की।

Black-hole

प्रमुख बिंदु 

  • इस शोध को इवेंट होरिजन टेलीस्कोप (Event Horizon Telescope : EHT) परियोजना के तहत किया गया है। 
  • इसके तहत पहली बार वर्ष 2017 में इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (EHT) द्वारा फोटो खींचा गया था।

इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (EHT) परियोजना:-

  • यह एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग है।इसे वर्ष 2012 में शुरू किया गया था। 
  • यह पृथ्वी-आधारित रेडियो दूरबीनों का एक विश्वव्यापी नेटवर्क है, जो अंतरिक्ष में एक सामान्य वस्तु का अध्ययन करने के लिए कार्य करता है।
  • यह ब्लैक होल आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि करता है।
  • इस ब्लैक होल की खोज मेसियर(M) 87 आकाशगंगा के केंद्र में की गई है। 
  • यह कन्या आकाशगंगा समूह (Virgo galaxy cluster)के पास स्थित है।
  • यह ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 6 बिलियन गुना है।
  • M87 आकाशगंगा पृथ्वी से लगभग 53 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है। 
    • एक प्रकाश वर्ष 5.9 ट्रिलियन मील या 9.5 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होता है।
  • इस ब्लैक होल का दक्षिण-पश्चिम कोना अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक चमकीला दिखाई देता है। 
  • यह ब्लैक होल चारों ओर के स्पेसटाइम को अपनी घूर्णन की दिशा में खींच रहा है और कुछ क्षेत्रों में अधिक प्रकाश प्रदान कर रहा है।

ब्लैक होल (Black Hole):-

blackhole

  • ‘ब्लैक होल’ ब्रह्मांड में उपस्थित एक ऐसा खगोलीय पिंड होता है, जिसका द्रव्यमान, घनत्व और गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि यहां से कुछ भी यहाँ तक ​​कि प्रकाश भी बच के निकल नहीं सकता है, इसलिए ब्लैक होल्स को देख पाना संभव नहीं होता है।
  • वर्ष 1916 में आइंस्टीन ने ‘सापेक्षिकता का सिद्धांत’ के माध्यम से ‘ब्लैक होल’ तथा ‘गुरुत्वीय तरंगों’ के अस्तित्व की परिकल्पना की थी। 
  • ‘ब्लैक होल’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1967 में एक अमेरिकी भौतिकविद् जॉन आर्किबैल्ड व्हीलर ने किया था।
  • ब्लैक होल की उत्पत्ति के विषय में अभी तक वैज्ञानिक समुदाय में किसी साझा निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सका है। किंतु अत्याधुनिक उपकरणों की सहायता से इसके बारे में कुछ उपयोगी जानकारी जुटाने में ज़रूर सफल रहा है। 

ब्लैक होल्स के प्रकार (Types of Black Holes):-

BlackHoles

1. द्रव्यमान के आधार पर ब्लैक होल्स 4 प्रकार के होते हैं:-

(I) प्राथमिक ब्लैक होल्स (Primordial Black Hole) : इनका द्रव्यमान ‘पृथ्वी’ के द्रव्यमान के ‘बराबर या उससे कम’ होता है।

(II) स्टेलर द्रव्यमान ब्लैक होल्स (Stellar Mass Black Holes) : इनका द्रव्यमान ‘सूर्य’ के द्रव्यमान से ‘4 से 15 गुणा’ अधिक होता है।

(III) मध्यवर्ती द्रव्यमान ब्लैक होल्स (Intermediate mass black holes) : इनका द्रव्यमान ‘सूर्य’ के द्रव्यमान से ‘कुछ हज़ार गुना’ अधिक होता है।

(IV) विशालकाय ब्लैक होल्स (Supermassive black holes) : इनका द्रव्यमान ‘सूर्य’ के द्रव्यमान से ‘कुछ मिलियन-बिलियन गुणा’ अधिक होता है।

2. अपने अक्ष पर घूर्णन तथा विद्युत आवेश के आधार पर ब्लैक होल्स 3 प्रकार के होते हैं:-

(I) श्वार्ज़्सचाइल्ड ब्लैक होल्स (Schwarzschild Black Holes) : ये ब्लैक होल्स ना तो अपने अक्ष पर घूर्णन करते हैं और ना ही इनके पास कोई विद्युत आवेश होता है। इन्हें ‘स्थिर ब्लैक होल्स’ (Static Black I) Holes) भी कहते हैं।

(II) केर ब्लैक होल्स (Kerr Black Holes) : ये ब्लैक होल्स अपने अक्ष पर घूर्णन तो करते हैं, लेकिन इनके पास कोई विद्युत आवेश नहीं होता है।

(III) आवेशित ब्लैक होल्स (Charged Black Holes) : ये ब्लैक होल्स पुनः 2 प्रकार के होते हैं–

(i) रेसनर-नॉर्डस्ट्रॉम ब्लैक होल्स (Reissner-Nordstrom black hole) : ये ब्लैक होल्स आवेशित होते हैं, लेकिन अपने अक्ष पर घूर्णन नहीं करते हैं।

(ii) केर-न्यूमैन ब्लैक होल्स (Kerr-Newman Black Holes) : ये ब्लैक होल्स आवेशित भी होते हैं और अपने अक्ष पर घूर्णन भी करते हैं।

ब्लैक होल के तत्त्व (Elements of the Black Hole):-

holes

(I) सिंगुलरिटी (Singularity) : 

  • यह किसी ब्लैक होल का केंद्र बिंदु होता है, जहाँ उस ब्लैक होल का संपूर्ण द्रव्यमान केंद्रित होता है। जब कोई खगोलीय पिंड अत्यधिक संपीड़ित होकर एक बिंदु जैसी आकृति ग्रहण कर लेता है, तो इस संरचना का निर्माण होता है। 
  • इसका घनत्व, द्रव्यमान तथा गुरुत्वाकर्षण बल अत्यधिक होता है।

(II) इवेंट होराइज़न (Event Horizon) :  

  • सिंगुलरिटी के चारों ओर उपस्थित उसके गुरुत्वाकर्षण का वह प्रभाव क्षेत्र, जिसके संपर्क में आने के पश्चात् प्रकाश भी वापस नहीं लौट सकता, ‘इवेंट होराइज़न’ कहलाता है। 
  • ‘इवेंट होराइज़न’ सिंगुलरिटी की गुरुत्वीय सीमा को दर्शाता है। 
  • इवेंट होराइज़न की बाह्यतम सीमा कोई भौतिक सतह नहीं, बल्कि आभासी सतह होती है।

(III) श्वार्ज़्सचाइल्ड त्रिज्या (Schwarzschild Radius) : 

  • सिंगुलरिटी से इवेंट होराइज़न के बाह्यतम बिंदु तक की सीधी दूरी ‘श्वार्ज़्सचाइल्ड त्रिज्या’ कहलाती है। 
  • ब्लैक होल के केंद्र बिंदु से बाहर की ओर वह दूरी, जहाँ से प्रकाश भी वापस नहीं लौट पाता हो, ‘श्वार्ज़्सचाइल्ड त्रिज्या’ कहलाती है।

(IV) एक्रीशन डिस्क (Accretion Disc) :  

  • इवेंट होराइज़न के चारों ओर भी सिंगुलरिटी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र उपस्थित होता है। 
  • यह श्वार्ज़्सचाइल्ड त्रिज्यीय क्षेत्र की तुलना में कम शक्तिशाली होता है। 
  • इवेंट होराइज़न के चारों तरफ विभिन्न प्रकार के पदार्थ, जैसे – गैसें, खगोलीय पिंडों के टुकड़े, धूल कण इत्यादि चक्कर लगा रहे हैं। 
  • इससे इवेंट होराइज़न के बाह्य परिधीय क्षेत्र में एक डिस्क रूपी संरचना का निर्माण हो जाता है, यही संरचना ‘एक्रीशन डिस्क’ कहलाती है। 

(V) सापेक्षिक जेट (Relativistic Jet) :  

  • यह विशालकाय ब्लैक होल द्वारा उत्पन्न किया जाने वाला जेट होता है, जो ब्लैक होल के केंद्र से बाहर की ओर गतिमान होता है। 
  • इसकी गति की दिशा ब्लैक होल के घूर्णन अक्ष के सामानांतर होती है। 
  • इसका निर्माण ब्लैक होल्स के गुरुत्वीय क्षेत्र में उपस्थित रेडिएशन, धूल के कणों, गैसों आदि से होता है। 
  • इस जेट में उपस्थित पदार्थों की गति प्रकाश के वेग के सामान होती है। 
  • इन सापेक्षिक जेट्स को ब्रह्मांड में सबसे तेज़ी से गति करने वाली ‘कॉस्मिक किरणों’ की उत्पत्ति का स्रोत भी माना जाता है।

ब्लैक होल्स तथा गुरुत्वीय तरंगों के अध्ययन संबंधी वेधशालाएँ:-

  • ब्रह्मांड में उपस्थित ‘गुरुत्वीय तरंगें’ ब्लैक होल्स तथा ब्रह्मांड के विभिन्न रहस्यों को समझने में अत्यंत सहायक होती हैं। 
  • ब्लैक होल्स तथा गुरुत्वीय तरंगों से संबंधित विभिन्न परिघटनाओं का अध्ययन करने के लिये कुछ अत्याधुनिक वेधशालाएँ (Observatories) विश्व के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित की गई हैं।
  • इन वेधशालाओं में अत्यंत शक्तिशाली दूरदर्शी/डिटेक्टर का उपयोग किया जाता है। 
  • गुरुत्वीय तरंगों व ब्लैक होल्स के रहस्यों को समझने के उद्देश्य से विश्व के विभिन्न हिस्सों में स्थापित की गई हैं। 

ये वेधशालाएँ निम्नलिखित हैं :–

वेधशालाएँ

संबंधित देश

लीगो-यू.एस. (LIGO-US)

संयुक्त राज्य अमेरिका

वर्गो (VIRGO)

इटली

काग्रा (KAGRA)

जापान

लीगो-इंडिया (LIGO-India)

भारत (निर्माणाधीन)

लेज़र व्यतिकरणमापी गुरुत्वीय तरंग वेधशाला-इंडिया (Laser Interferometer Gravitational wave Observatory–India : LIGO–India) :-

ligo

  • ‘लीगो-इंडिया प्रोजेक्ट’ ब्लैक होल्स व गुरुत्वीय तरंगों का अध्ययन करने संबंधी वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा है। 
  • इस वैश्विक नेटवर्क के अंतर्गत कुल 3 लीगो वेधशालाएँ स्थापित की जानी हैं। 
  • इनमें से दो वेधशालाएँ तो अमेरिका के हैनफोर्ड तथा लिविंग्स्टन में स्थापित हो चुकी हैं, जबकि तीसरी वेधशाला भारत के महाराष्ट्र (हिंगोली ज़िला) में निर्मित की जा रही है।
  • भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी फरवरी, 2016 में प्रदान की थी। 
  • इसके निर्माण की ज़िम्मेदारी संयुक्त रूप से ‘परमाणु ऊर्जा विभाग’ तथा ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ को दी गई है। 
  • भारत में इस वेधशाला का निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से किया जा रहा है। 
  • इसके अलावा ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया व जर्मनी भी इस प्रोजेक्ट में सहयोगी है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित 2 लीगो वेधशालाओं द्वारा इतिहास में पहली बार 14 सितंबर, 2014 को ब्लैक होल्स के विलय की घटना को डिटेक्ट किया गया था।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- निम्नलिखित में से इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (EHT) के द्वारा किस आकाशगंगा में ब्लैक होल को खोजा गया है? 

(a) कन्या आकाशगंगा (Virgo galaxy cluster) 

(b) एंड्रोमेडा आकाशगंगा( Andromeda galaxy)

(c) मिल्की वे आकाशगंगा (Milky Way galaxy) 

(d) मेसियर(M) 87 आकाशगंगा (Messier(M) 87 Galaxy)

उत्तर - (d)

स्रोत: THE HINDU

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