चर्चा में क्यों
लद्दाख में काले गर्दन वाले सारस नृत्य करते हुए देखे जा रहे हैं, जो पर्यटन के लिये विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- वर्ष 1876 में रूसी सैन्य कमांडर/ खोजकर्ता निकोले प्रेज़ेवाल्स्की ने इस प्रजाति के बारे में वर्णन कर इसे वैज्ञानिक मान्यता प्रदान किया।
- पहाड़ों में रहने वाले यह एकमात्र सारस हैं, जो प्रायः दलदल, झीलों और नदियों के समीप देखे जाते हैं।
- ये मुख्य रूप से तिब्बत पठार के दूरदराज इलाकों में निवास करते हैं।
- यह प्रजाति मार्च के अंत में लद्दाख की नदियों और झीलों से सटे दलदलों में प्रजनन करती है।
- चुशुल (लद्दाख) के लोगों के अनुसार, यह प्रजाति एक वर्ष में बार-हेडेड गीज़ और अगले वर्ष में सारस को जन्म देती है।
- हिमालय के शीत और ग्रीष्म मैदानों के बीच प्रवास करने वाली यह एकमात्र सारस प्रजाति है।
- प्रति वर्ष अपने प्रवास के दौरान ये एक ही स्थान पर घोंसला बनाते हैं, इसलिये लद्दाख में इनके मात्र 18 आवास स्थल हैं।
- अक्तूबर तक कुछ युवा सारस अपने माता-पिता के साथ अपने पूर्वी सर्द सीमा में अरुणाचल प्रदेश की संगती और जेमिथांग घाटियों में चले जाते हैं।
साथ में नृत्य
- विशाल भूरे और काले पंखों को फड़फड़ाते हुए तथा अपने लाल-मुकुट वाले काले सिरों को उछालते तथा आकाश में तूर्यनाद करते हुए ये नर और मादा एक साथ नृत्य करते हैं। कभी-कभी प्रजनन के मौसम में भी नृत्य और तूर्यनाद जारी रखते हैं।
- पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के चंगपा चरवाहों का मानना है कि इन पक्षियों को देखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हिंसक प्रवृत्ति
- असुरक्षा की स्थिति में ब्रूडिंग (अंडे सेने वाली) सारस खतरनाक हो सकती हैं। यहाँ तक कि ऐसी स्थिति में ये याक या पश्मीना बकरियों के झुंड का भी पीछा करती हैं।
- सारस के आहार में सेज कंद से लेकर छोटे जानवरों, जैसे- पीका इत्यादि शामिल है।