प्रारम्भिक परीक्षा – काली गर्दन वाला सारस मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 (जैव-विविधता, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) |
संदर्भ
भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग द्वारा काली गर्दन वाले सारसों का सर्वेक्षण किया जा रहा है।
काली गर्दन वाले सारस :-
- यह सारस परिवार का एक लंबी गर्दन वाला पक्षी है।
- इसका वैज्ञानिक नाम एफिप्पियोरिन्चस एशियाटिकस (Ephippiorhynchus asiaticus) है।
- यह भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया की प्रजाति है।
- यह भारत के केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का राज्य पक्षी है।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा वर्ष 2016-2017 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, काली गर्दन वाले सारस की संख्या लद्दाख में 66 से 69 के बीच तथा अरुणाचल प्रदेश में लगभग 11 थी।
विशेषता :-
- शिकारियों से खुद को बचाने के लिए, काली गर्दन वाले सारस दलदल में घोंसला बना कर रहते हैं।
- ये मध्यम आकार के होते हैं। इनका वजन लगभग 4 से 5 किलोग्राम एवं ऊंचाई लगभग 115 सेमी होती है।
- इसके शरीर के पंख हल्के भूरे/सफ़ेद रंग के होते हैं और गर्दन विशेष रूप से काली होती है।
महत्व
- इस पक्षी को अरुणाचल प्रदेश के मोनपा समूह के 1 लाख लोगों द्वारा छठे दलाई लामा (त्सांगयांग ग्यात्सो) के अवतार के रूप में पूजा जाता है।
- मोनपा :- यह अरुणाचल प्रदेश का प्रमुख बौद्ध जातीय समूह है।
- मोनपा पश्चिम कामेंग और तवांग जिलों में निवास करते हैं।
- यह बौद्ध जातीय समूह महायान संप्रदाय से संबंधित हैं।
निवास स्थान:-
- यह लगभग 3,000 से 5,000 मीटर की ऊंचाई वाली आर्द्रभूमियों एवं दलदलीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- यह भारत, भूटान, तिब्बत, वियतनाम एवं ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में पाए जाते हैं।
- यह भारत में लद्दाख,अरुणाचल प्रदेश एवं गुजरात आदि राज्यों में पाए जाते हैं।
- खिजड़िया पक्षी अभयारण्य ,जामनगर (गुजरात)
- समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, कच्छ की खाड़ी (गुजरात)
- चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य (लद्दाख)
- त्सो कार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स(लद्दाख)
भोजन :-
- ये वनस्पतियों के जड़, कीड़े, घोंघे, मछली, मेंढक, छोटे पक्षियों एवं कृंतकों को खा सकते हैं।
खतरा :-
- अवैध शिकार।
- जंगली कुत्ते।
- आवास की क्षति।
- जलवायु परिवतन।
काली गर्दन वाले सारस के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास
- वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर -इंडिया (WWF -इंडिया) वन्यजीव संरक्षण विभाग, जम्मू और कश्मीर के सहयोग से उच्च ऊंचाई वाले आर्द्रभूमि के संरक्षण की दिशा में काम कर रहा है।
राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2017-2031):-
- वन्यजीव संरक्षण के विभिन्न पहलुओं को शामिल करती है जैसे:-
- लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण
- मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना
- अंतर्देशीय एवं तटीय तथा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण
- परिदृश्य स्तर पर संरक्षण आदि।
- केंद्र सरकार वन्यजीवों और उनके आवासों के प्रबंधन के लिए 'वन्यजीव आवासों का विकास' योजना चला रही है।
- इसके तहत केंद्र सरकार राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
संरक्षण की स्थिति :-
- IUCN लाल सूची –खतरे के करीब (Near Threatened)
- CITE - परिशिष्ट I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 - अनुसूची I
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- निम्नलिखित में से किस पक्षी को अरुणाचल प्रदेश के मोनपा समूह के लोगों द्वारा छठे दलाई लामा (त्सांगयांग ग्यात्सो) के अवतार के रूप में पूजा जाता है?
(a) हिम तितर
(b) हिमालयन मोनाल
(c) हिमालयन रामकोचर
(d) काली गर्दन वाला सारस
उत्तर - (d)
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स्रोत:PIB