प्रारंभिक परीक्षा – सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, काला बाघ मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - पर्यावरण संरक्षण
सन्दर्भ
हाल ही में, सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में एक दुर्लभ ब्लैक टाइगर(काला बाघ)मृत पाया गया।
ब्लैक टाइगर
ब्लैक टाइगर, बाघ की कोई विशिष्ट प्रजाति या भौगोलिक उप-प्रजाति नहीं है, बल्कि यह एक दुर्लभ रंग रूप वाला बाघ है।
इनकी त्वचा, बाल और फ़र आदि में गहरे वर्णक मेलेनिन की मात्रा बढ़ जाती है , जिससे उनका रंग काला हो जाता है।
मेलेनिज़्म एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन है जो स्तनधारियों, सरीसृपों और कीड़ों सहित कई अलग-अलग प्रकार के जानवरों में होता है।
पहली बार वर्ष 1975-76 में सिमलीपाल में पहली बार ब्लैक टाइगरकी उपस्थिति को आधिकारिक तौर पर दर्ज किया गया था।
भारत में सिमलीपाल के अतिरिक्त अन्य ब्लैक टाइगर,भुवनेश्वर के नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क, रांची चिड़ियाघर और चेन्नई के अरिगनार अन्ना जूलॉजिकल पार्क में मौजूद हैं।
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, ओडिशा के मयूरभंज ज़िले में अवस्थित है।
सिमलीपाल का नाम 'सिमुल' (रेशम कपास) के पेड़ से लिया गया है।
इसे वर्ष1956 में 'टाइगर रिजर्व'घोषित किया गया और 1973में राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम 'प्रोजेक्ट टाइगर'के तहत शामिल किया गया।
सिमलीपाल को वर्ष1994 में बायोस्फीयर रिज़र्व क्षेत्र घोषित किया गया तथा वर्ष 2009 में इसे यूनेस्को द्वारा बायोस्फीयर रिजर्व के विश्व नेटवर्क में शामिल किया गया है।
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व के आसपास का क्षेत्र कोल्हा, संथाला, भूमिजा, भटुडी, गोंडा , खड़िया, मनकडिया सहित कई जनजातियों का घर है।
सिमलीपाल में ऑर्किड की 94 व अन्य पौधों की लगभग 1,000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
उभयचरों की लगभग 12 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 29 प्रजातियाँ, पक्षियों की 264 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 42 प्रजातियाँ भी इस क्षेत्र में पाई जाती हैं जो सिमलीपाल की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाता है।
तेंदुआ, गौर, हाथी, लंगूर, भौंकने और चित्तीदार हिरण, भालू, नेवला, साही, कछुआ, मॉनिटर छिपकली, अजगर, सांभर, पैंगोलिन आदि यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जानवर हैं।