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ब्लैक विडो : सबसे भारी ज्ञात न्यूट्रॉन तारा

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, खगोलविदों ने सबसे भारी एवं विशाल ज्ञात न्यूट्रॉन तारे का अवलोकन किया है, जिसे ‘ब्लैक विडो’ नाम दिया गया है। 

ब्लैक विडो 

  • यह प्रति सेकंड 707 बार घूमता है तथा इसका द्रव्यमान सूर्य की तुलना में लगभग 2.35 गुना अधिक है। यह किसी तारे के ब्लैक होल बनने से पूर्व की सबसे संभावित स्थिति है।
  • ‘ब्लैक होल’ ब्रह्मांड में उपस्थित एक ऐसा खगोलीय पिंड होता है, जिसका द्रव्यमान, घनत्व और गुरुत्वाकर्षण बल अत्यधिक होता है।
  • यह न्यूट्रॉन तारा एक अन्य तारे के साथ कक्षा, जिसे बाइनरी सिस्टम कहा जाता है, में स्थित है। 
  • इसका नाम मादा ब्लैक विडो स्पाइडर के नाम पर रखा गया है। ब्लैक विडो स्पाइडर सहवास के बाद अपने पुरुष सहचर को खा जाती है। 
  • इसका उद्भव किसी न्यूट्रॉन तारे के लगभग सामान्य द्रव्यमान (सूर्य का लगभग 1.4 गुना) की तरह ही हुआ था किंतु इसके गुरुत्वाकर्षण ने अपने सहचर तारे से पदार्थों को (उसके द्रव्यमान का लगभग 98%) खींच लिया। 
  • इस कारण इसका द्रव्यमान हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से लगभग 20 गुना हो गया है। 

ब्लैक होल के तत्त्व (Elements of the Black Hole)

  • सिंगुलरिटी (Singularity) : यह किसी ब्लैक होल का केंद्र बिंदु होता है, जहाँ उस ब्लैक होल का संपूर्ण द्रव्यमान केंद्रित होता है। जब कोई खगोलीय पिंड अत्यधिक संपीड़ित होकर एक बिंदु जैसी आकृति ग्रहण कर लेता है, तो इस संरचना का निर्माण होता है। इसका घनत्व, द्रव्यमान तथा गुरुत्वाकर्षण बल अत्यधिक होता है।
  • इवेंट होराइज़न (Event Horizon) : सिंगुलरिटी के चारों ओर उपस्थित उसके गुरुत्वाकर्षण का वह प्रभाव क्षेत्र, जिसके संपर्क में आने के पश्चात् प्रकाश भी वापस नहीं लौट सकता, ‘इवेंट होराइज़न’ कहलाता है। अर्थात् ‘इवेंट होराइज़न’ सिंगुलरिटी की गुरुत्वीय सीमा को दर्शाता है। स्पष्ट है कि इवेंट होराइज़न की बाह्यतम सीमा कोई भौतिक सतह नहीं, बल्कि आभासी सतह होती है।

न्यूट्रॉन तारा 

  • न्यूट्रॉन तारा किसी विशाल तारे का पतनावस्था (मृत होने) की ओर अग्रसर अत्यधिक संपीड़ित एवं सघन (भारी) आंतरिक भाग है, जिसका विस्फोट अपने जीवन चक्र के अंत में सुपरनोवा के रूप में हो जाता है। 
  • शोधकर्ताओं द्वारा वर्णित एक अत्यधिक चुंबकीय प्रकार का न्यूट्रॉन तारा ‘पल्सर’ अपने ध्रुवों से विद्युत चुम्बकीय विकिरण के किरणपुंज को उत्सर्जित करता है। जब यह घूमता है तो ये किरणपुंज प्रकाशस्तंभ के घूर्णन की भांति परिलक्षित होती है।   
  • न्यूट्रॉन तारा जितना भारी होगा, उसके आंतरिक भाग (Core) की सामग्री उतनी ही सघन होगी। इसीलिये इन्हें सबसे भारी न्यूट्रॉन तारे के रूप में जाना जाता है तथा यह ब्रह्मांड में सबसे सघन होता है। 

अन्य बिंदु 

  • सूर्य के द्रव्यमान से आठ गुना या इससे अधिक बड़े तारे अपने कोर में ताप नाभिकीय संलयन के माध्यम से हाइड्रोजन को भारी तत्वों में परिवर्तित कर देते हैं। 
  • हमारी मिल्की वे ‘आकाशगंगा’ में न्यूट्रॉन तारा ‘सेक्स्टन तारामंडल’ की ओर स्थित है और इसका औपचारिक नाम ‘PSR J0952-0607’ है।
  • यह पृथ्वी से लगभग 20,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश एक वर्ष में तय कीई जाती है। (5.9 ट्रिलियन मील या 9.5 ट्रिलियन किमी.)।
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