चर्चा में क्यों
हाल ही में, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरू के शोधकर्ताओं ने ब्लू स्ट्रैगलर्स के असामान्य व्यवहार पर एक अध्ययन किया।
प्रमुख बिंदु
- ब्लू स्ट्रैगलर एक विशेष प्रकार का तारा है, जो अपने असामान्य व्यवहार के साथ समूहों में या कभी-कभी अकेले भी देखा जाता है। ये सभी तारों की तुलना में अधिक चमकदार और नीला होता है।
- इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष में भारत की पहली विज्ञान वेधशाला ‘एस्ट्रोसैट’ के अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT) द्वारा किये गए अवलोकनों का भी उपयोग किया।
- सर्वप्रथम वर्ष 1952-53 में एलन सैंडेज (एक खगोलशास्त्री) ने ब्लू स्ट्रैगलर्स की खोज की थी।
ब्लू स्ट्रैगलर्स तारे अपेक्षाकृत विशाल एवं ऊर्जावान क्यों
इस संदर्भ में निम्नलिखित परिकल्पनाएँ की गईं-
- पहला, ये क्लस्टर में तारों के परिवार से संबंधित नहीं होते और इसलिये इनमें सामूहिक गुण प्रदर्शित करने की संभावना कम होती है।
- दूसरा, स्ट्रगलर समीपस्थ बड़े तारों से पदार्थ को आकर्षित कर अधिक विशाल, गर्म एवं नीले रंग में बढ़ता जाता है, तत्पश्चात् लाल जाइंट तारे में परिवर्तित होकर अंततः एक सामान्य या छोटे सफेद बौने के रूप में समाप्त हो जाता है।
- तीसरा, ब्लू स्ट्रगलर एक साथी तारे से पदार्थ को अर्जित करता है तथा अन्य तारे इस प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बना देते हैं।
- ध्यातव्य है कि शोधकर्ताओं ने उपर्युक्त परिकल्पनाओं में से दूसरी परिकल्पना के पक्ष में प्रमाण प्रस्तुत किये हैं।