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हट्टी जनजाति का बोडा त्योहार

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में हट्टी जनजातियों ने अपना सबसे बड़ा वार्षिक उत्सव, बोडा त्यौहार मनाया।

बोडा त्योहार 

  • शुरुआत: पौष द्वादशी की पूर्व संध्या पर।
  • समयावधि: पूरे माघ महीने तक।
  • तीन चरण:
    1. बोधतो: पारंपरिक व्यंजन बनाकर देवताओं को अर्पित करना।
    2. सांझा आंगन: सामूहिक भोज, गायन-नृत्य।
    3. बोईदूत: महीने के अंत तक सामूहिक भोज और परंपरागत गतिविधियां।

संस्कृति और परंपराएं:

  • देवताओं (शिरगुल महाराज, बिजट महाराज आदि) को समर्पित पूजा।
  • विवाहित बहनों को साजे का दूना (उपहार) देना।
  • हट्टी महिलाओं का नृत्य और संगीत में योगदान।
  • सामूहिक भोज का आयोजन।
  • यह त्योहार हट्टी समुदाय की समृद्ध संस्कृति और सामुदायिक भावना का प्रतीक है।

हट्टी समुदाय

  • कस्बों में हाट नाम के छोटे बाजारों में घरेलु फल, सब्जी, मांस, ऊन बेचने का पारंपरिक कार्य करने के कारण इन्हें हट्टी कहा जाता है।
  • ये मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में निवास करते है,तथा उत्तराखंड के गिरी और टोंस नदियों के बीच के क्षेत्र में भी पाए जाते है।
  • उत्तराखंड के जौनसारी समुदाय के साथ ये सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक समानता रखते है, जिन्हें 1967 में ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल चुका है।
  • हट्टी समुदाय में खुंबली नाम की पारंपरिक परिषद् होती है, जो इनसे जुड़े मामलो को देखती है।

प्रश्न  - हट्टी समुदाय किस राज्य से संबंधित है ?

(a) जम्मू कश्मीर 

(b) लद्दाख 

(c) हिमाचल प्रदेश

(d) उत्तराखंड 

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