New
UPSC Foundation Course, Delhi & Prayagraj Centre | Call: 9555124124

बोंडा जनजाति

हाल ही में ओडिशा के मलकानगिरी का छात्र मंगला मुदुली NEET परीक्षा पास करने वाला बोंडा जनजातीय समुदाय का पहला सदस्य है।

 

बोंडा जनजाति के बारे में

  • बोंडा जनजाति 13 विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूहों (PVTGs) में से एक है इन्हें रेमो भी कहा जाता है। यह समुदाय अपने उग्र स्वभाव के लिए जाना जाता है।
  • नृजातीयता : मुंडा नृजातीय समूह 
  • भाषा : रेमो या रेमसम भाषा
  • मूल स्थान : भारत के दक्षिण-पश्चिमी ओडिशा के मलकानगिरी जिले में मचकुंड नदी के उत्तर-पश्चिम में स्थित जंगली और सुदूर एकांत पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। 
  • जनसँख्या एवं साक्षरता  : 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी आबादी लगभग 12000 है एवं साक्षरता दर मात्र 36.61% है।
  • पहनावा :  बोंडा पुरुष कमरबंद (गोसी) की एक पतली पट्टी पहनते हैं। महिलाओं पारंपरिक रूप से कमर से ऊपर पीतल और मोतियों की माला को वस्त्रों की तरह पहनती हैं।
  • आवास : ये लोग छोटी-छोटी घास-फूस की झोपड़ियों में रहते हैं, जिसकी दीवारें बांस के ढांचे से बनी होती हैं तथा उन पर मिट्टी और गोबर का लेप लगा होता है। 
    • छत पर 'पीरी' नामक जंगली घास की छप्पर होती है। हालाँकि अब 'पीरी' की कमी के कारण कुछ लोग टाइल, टिन या एस्बेस्टस शीट का उपयोग कर रहे हैं।
  • आजीविका : अपने निवास स्थान के आस-पास के ऊबड़-खाबड़ इलाकों में बोंडा अपनी आजीविका चलाने के लिए मुख्य रूप से कृषि संबंधी कार्य करते हैं। 
    • वे बड़े पैमाने पर स्थानांतरित कृषि (क्लुंडा चास) करते हैं। इनके द्वारा अनाज, दालें और तिलहन आदि उगाया जाता है। 
    • बोंडा क्षेत्र में स्थानांतरित एवं स्थायी कृषि, बुवाई एवं रोपाई कृषि, एकल एवं बहु-फसली कृषि का समन्वय देखा जा सकता है। 
  • धार्मिक जीवन :  बोंडा लोग बहुदेववादी होते हैं तथा ज़्यादातर प्रकृति के देवताओं की पूजा करते हैं। 
    • बोंडा जाति के लोग सामान्यत: अंध विश्वासी होते हैं, वे आलौकिक शक्तियों पर विश्वास रखते हैं। 
    • पृथ्वी को सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसके अलावा वे सूर्य, चंद्रमा और तारों की भी पूजा करते हैं। 
  • सामाजिक व्यवस्था :  इनकी सामाजिक व्यवस्था पारंपरिक पदाधिकारियों के एक समूह द्वारा चलायी जाती है जिसमें नाइक (गांव का मुखिया), चल्लन (गांव की बैठकों का आयोजक) और बारिक (गांव का संदेशवाहक) आदि शामिल होते हैं।
    • नाइक गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति होता है, वह ग्राम परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है और गांव से संबंधित मामलों का फैसला करता है। 

इसे भी जानिए

ओडिशा के अन्य विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह (PVGTs): बिरहोर, पोराजा,चुक्तिया भुंजिया,दिदाई,डोंगरिया कंधा,पहाड़ी खारिया,जुआंग,कुटिया कंधा,लांजिया साओरा,लोढ़ा,मनकीर्दिया,पौडी भुइयां,साओरा

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR