New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम एवं सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, बायो-टैक्नोलॉजी)

संदर्भ 

व्यक्ति की वास्तविक आयु का पता लगाने के लिए बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट (Bone Ossification Test) किया जाता है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने से लेकर खेल प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए किसी संदेह की स्थिति में वास्तविक आयु का परीक्षण किया जाता है। इसको ‘अस्थिकरण परीक्षण’ भी कहते हैं। 

ऑसिफिकेशन (Ossification) की प्रक्रिया 

  • ऑसिफिकेशन अस्थियों के निर्माण की प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया भ्रूण के प्रारंभिक विकासात्मक चरण से शुरू होकर किशोरावस्था के अंतिम चरण तक जारी रहती है। हालाँकि, प्रत्येक व्यक्ति में यह प्रक्रिया थोड़ा भिन्न होती है।
    • अस्थियों के विकास के चरण के आधार पर व्यक्ति की अनुमानित आयु को निर्धारित किया जा सकता हैं।
  • ऑसिफिकेशन के दौरान शरीर की विभिन्न अस्थियाँ कैल्सीफिकेशन या कठोर होने की प्रक्रिया से गुजरती हैं क्योंकि कैल्शियम एवं फास्फोरस जैसे खनिज अस्थियों के मैट्रिक्स में जमा हो जाते हैं।
  • व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ-साथ अस्थियों के निर्माण की दर धीमी हो जाती है और अंततः अस्थियाँ अधिक नाजुक (Brittle) हो जाती हैं और फ्रैक्चर (अस्थिभंग) होने का खतरा रहता है। 
  • इस प्रक्रिया की पूर्वानुमानित प्रकृति के कारण विशिष्ट अस्थियों में ऑसिफिकेशन के स्तर (डिग्री) के आधार पर किसी व्यक्ति की आयु का अनुमान लगाया जाता है।

क्या है बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट 

  • बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट नामक चिकित्सकीय प्रक्रिया को प्राय: ‘एपिफिसियल फ्यूजन टेस्ट’ (Epiphyseal Fusion Test) के नाम से भी जाना जाता है।  
  • इस परीक्षण का उपयोग अस्थि के संलयन के स्तर (डिग्री) का विश्लेषण करके किसी व्यक्ति की आयु का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।  
  • इसमें हाथों एवं कलाई जैसी कुछ अस्थियों का एक्स-रे लिया जाता है ताकि कंकाल व जैविक विकास का पता लगाया जा सके। इन छवियों की तुलना मानक विकास के एक्स-रे से की जा सकती है, जो आयु निर्धारित करने में सहायता कर सकती है।
  • इसके लिए शरीर की कुछ विशिष्ट अस्थियों, जैसे- क्लेविकल (Clavicle), उरोस्थि (Sternum) एवं श्रोणि (Pelvis) का एक्स-रे जांच किया जाती है। इन अस्थियों का चुनाव इसलिए किया जाता है क्योंकि आयु बढ़ने के साथ इनकी संरचना में सबसे अधिक परिवर्तन आते हैं।  
    • उदाहरण के लिए, क्लेविकल (Clavicle) एक लंबी अस्थि है जो कंधे की अस्थि को उरोस्थि (Sternum) से जोड़ती है। यह ऑसिफिकेशन की एक जटिल प्रक्रिया से गुजरती है, जिसमें समय के साथ अनेक एपीफिसिस (Epiphyses) या ग्रोथ प्लेट्स (Growth Plates) का संयोजन होता है। विशेषज्ञ इस आधार पर व्यक्ति की आयु का अनुमान लगा सकते हैं कि कौन सी ग्रोथ प्लेट्स जुड़ी हुई हैं और कौन सी नहीं।
      • ग्रोथ प्लेट्स बच्चों एवं किशोरों में लंबी अस्थियों के सिरों पर उपास्थि के क्षेत्र होते हैं जो अस्थि के पूर्ण विकसित होने पर उसके आकार एवं लंबाई को निर्धारित करते हैं। 

बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट की सीमाएँ 

  • इसके आधार पर एक निश्चित सीमा के भीतर व्यक्ति की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। साथ ही, यह परीक्षण पूर्णतया विश्वसनीय भी नहीं है और ऑसिफिकेशन (अस्थिकरण या अस्थिजनन) की दर व पैटर्न में व्यक्तिगत भिन्नता हो सकती है। 
  • इसके अलावा बीमारी, चोट एवं कुपोषण जैसे कारक अस्थि निर्माण की डिग्री को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे आयु का सटीक अनुमान कठिन हो सकता है।
  • इन सीमाओं के बावजूद यह परीक्षण फोरेंसिक मानवविज्ञानियों के लिए एक उपयोगी उपकरण बना हुआ है, विशेषकर उन मामलों में जहां आयु का अनुमान लगाने के डी.एन.ए. परीक्षण जैसे सटीक अन्य तरीके उपलब्ध नहीं है।  
  • इसका उपयोग विकास संबंधी विकारों वाले बच्चों में कंकाल की परिपक्वता का आकलन करने जैसे कुछ चिकित्सा स्थितियों में भी किया जाता है। 

आपराधिक न्याय प्रणाली में आयु निर्धारण का महत्व 

  • भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को नाबालिग माना जाता है। इस संदर्भ में प्रक्रिया (Procedure), सुधार (Correction), पुनर्वास (Rehabilitation) तथा सजा (Punishment) के मामले में आपराधिक कानून किशोर एवं वयस्क के बीच अंतर करता है। 
  • 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी किशोर पर किशोर न्याय (बाल देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 लागू होता है। 
    • यदि कोई किशोर कानून का उल्लंघन करता है, तो उसे कारागार के स्थान पर पर्यवेक्षण गृह में भेजा जाता है।
    • इसके अलावा न्यायालय की बजाए बच्चे को किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। 

इसे भी जानिए!

  • दांतों के माध्यम से भी सही आयु का निर्धारण किया जा सकता है। यदि मुंह में दूध का एक भी दांत है तो उसकी आयु 14 वर्ष से कम है। जिसके मुंह में दाढ़ आ गई है, वह लगभग 18 वर्ष का है। 
  • डी.एन.ए. जांच से किसी की आयु पता लगाने को डी.एन.ए. मेथिलेशन प्रोसेस (DNA Methylation Process) कहते हैं। आयु में वृद्धि के साथ डी.एन.ए. से मिथाइल समूह टैग चिपक जाते हैं। 
    • इनके पैटर्न के अनुसार किसी की अनुमानित आयु का पता लगाया जा सकता है। पुलिस कंकाल हो चुके शरीर के अधिकांश मामलों में आयु की जांच के लिए यही परीक्षण कराती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR