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ब्रह्मोस मिसाइल विनिर्माण स्थल: लखनऊ

प्रारंभिक परीक्षा- ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos missile)
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-

चर्चा में क्यों

भारत के रक्षामंत्री ने कहा कि लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल के विनिर्माण स्थल पर तेजी से काम हो रहा है एवं उम्मीद है कि अगले वर्ष फरवरी-मार्च 2024 के बाद यहां से मिसाइल का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

BrahMos-missile

प्रमुख बिंदु :

  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) प्रयोगशाला का कार्य भी जल्द पूरा होने की संभावना है ।
  •   उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (यूपीडीआईसी) में नट-बोल्ट से लेकर ब्रह्मोस मिसाइल तक का विनिर्माण होगा।
  •  उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारा के जरिए रक्षा विनिर्माण  केंद्र स्थापित किया जा रहा है ।
  •  यूपीडीआईसी के इस गलियारे के लिए करीब 1,700 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की योजना है, जिसमें से 95 प्रतिशत से अधिक भूमि का पहले ही अधिग्रहण किया जा चुका है।

ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos missile)

  • भारत-रूस संयुक्त उद्यम द्वारा विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है। जो खराब मौसम के बावजूद दिन और रात में काम कर सकती है।
  • रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है।
  •  यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
  • ब्रह्मोस को भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों विंगों में प्रचालित किया गया है।
  • भारत-रूस संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी. है और यह मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की उच्च गति के साथ विश्व की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है।
  • 1 मार्च  2017 को ब्रह्मोस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले संस्करण का परीक्षण किया गया था। जमीन पर 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस ने उस समय भी सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया था।
  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
  • यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है।
  • यह "फायर एंड फॉरगेट/दागो और भूल जाओ" सिद्धांत पर काम करती है यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती।

मुख्य विशेषताएं:

  • यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है।
  • इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।
  • यह मिसाइल थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकती है।
  • यह 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड़ में नहीं आती।
  • रडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है।
  • ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है।
  • आम मिसाइलों के विपरीत यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
  • यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है।
  • ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीकी में अग्रणी देश बना दिया है।

प्रश्न:  निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. ब्रह्मोस मिसाइल का विनिर्माण लखनऊ में  किया जायेगा।
  2. ब्रह्मोस मिसाइल का  नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर किया गया है।
  3. ब्रह्मोस मिसाइल भारत की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

(c) सभी तीनों  

(d) कोई भी नहीं 

उत्तर: (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: ब्रह्मोस मिसाइल के प्रमुख विशेषताओं  पर चर्चा कीजिए।

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