New
The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस

(प्रारंभिक परीक्षा- सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी)

संदर्भ

न्यूरालिंक स्टार्ट-अप द्वारा 29 वर्षीय व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रत्यारोपित ‘ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस’ (BCI) परीक्षण के दौरान कुछ खराबी आई है। न्यूरालिंक एलॉन मस्क का एक टेक स्टार्टअप है जिसने ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस का निर्माण किया है।

क्या है न्यूरालिंक

  • न्यूरालिंक एक ऐसी कंपनी है जो खोपड़ी (सिर) में एक छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को शल्य चिकित्सा के माध्यम से प्रत्यारोपित करने पर केंद्रित है। 
    • इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को अत्यधिक पतले तारों का उपयोग करके मस्तिष्क से जोड़ा जाता है।
  • इसके बाद यह डिवाइस ब्लूटूथ या किसी अन्य वायरलेस कनेक्टिंग तकनीक का उपयोग करके एक बाहरी डिजिटल डिवाइस से कनेक्ट किया जाता है।
  • न्यूरालिंक अलग-अलग न्यूरॉन्स से भारी मात्रा में डाटा रिकॉर्ड कर सकता है और इसे कंप्यूटर में संचारित कर सकता है। 
    • कंप्यूटर के माध्यम से किसी निश्चित कार्य को निष्पादित करने के लिए उस डाटा को कोड (Code) किया जा सकता है।

BCI

न्यूरालिंक का उद्देश्य

  • न्यूरालिंक कंपनी अग्रणी किंतु विवादास्पद ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) प्रौद्योगिकियों में सबसे आगे हैं। इसकी स्थापना वर्ष 2016 में एलॉन मस्क एवं इंजीनियरों के एक समूह ने की थी।
  • इन तकनीकों में दिमाग एवं हमारे परिवेश व उपकरणों के बीच अंतर्क्रिया के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है।
    • सभी इंटरफेस के लिए मस्तिष्क में स्थायी रूप से प्रत्यारोपित की जाने वाली एक भौतिक चिप की आवश्यकता होती है।
  • न्यूरालिंक एक ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस का निर्माण कर रहा है जिसे खोपड़ी के भीतर प्रत्यारोपित किया जा सकता है। 
    • इसकी मदद से विकलांग रोगियों को फिर से चलने एवं संवाद में सक्षम बनाया जा सकता है और उनकी दृष्टि भी ठीक की जा सकती है।

BCIM

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस की उपयोगिता 

  • चिकित्सा संबंधी प्रगति : BCI के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में पार्किंसंस रोग, अल्जाइमर एवं यहां तक कि पक्षाघात जैसे तंत्रिका संबंधी विकारों के उपचार में मदद मिलने में चिकित्सा के प्रगति की संभावना है।
    • तंत्रिका तंत्र के साथ प्रत्यक्ष संपर्क करके प्रत्यारोपित चिप संभावित रूप से मोटर फ़ंक्शन को बहाल कर सकती है, दुर्बल स्थितियों के लक्षणों के प्रबंधन में सहायक हो सकती है और बेहतर मोटर नियंत्रण के लिए कृत्रिम अंगों से संबद्ध होने में मदद कर सकती है।
  • बेहतर मानव-कंप्यूटर अंतर्क्रिया : डिजिटल डिवाइस से कनेक्ट होने लिए दिमाग का उपयोग करके कंप्यूटर या टचस्क्रीन पर टाइप करने के लिए अपनी उंगलियों को नियंत्रित करते हैं।
    • BCI से मनुष्य केवल शब्दों के बारे में सोचकर कंप्यूटर पर पाठ (Text) लिखने में सक्षम हो सकता है। हालाँकि, यह तकनीक उन रोगियों के लिए विकसित की गई है जो बोलने में असमर्थ हैं। 
    • यह तकनीक मनुष्यों एवं कंप्यूटरों के बीच निर्बाध एकीकरण को सक्षम बना सकती है, जिससे संचार करने, उपकरणों को नियंत्रित करने और विचार के माध्यम से सीधे जानकारी तक पहुंचने की हमारी क्षमता बढ़ जाएगी।
  • मस्तिष्क की उन्नत कार्यक्षमता : भविष्य में BCI का एक संभावित अनुप्रयोग मस्तिष्क को स्मरण शक्ति एवं मस्तिष्क की सीखने की गति में सुधार करने में मदद करना है। 
    • भविष्य में ऐसा हो सकता है जहां मानवीय संज्ञानात्मक क्षमताओं की सीमाओं को पार करते हुए कौशल एवं जानकारी सीधे अपने मस्तिष्क में डाउनलोड किया जा सकें।

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस की चिंताएं 

  • प्रत्यारोपण जोखिम : किसी भी बाह्य वस्तु को मानव मस्तिष्क में प्रत्यारोपित करना स्पष्ट रूप से एक जोखिम हो सकता है।
    • प्रत्यारोपण स्थल पर संक्रमण, सर्जरी के दौरान मस्तिष्क या खोपड़ी की क्षति और प्रत्यारोपण से लेकर शरीर द्वारा प्रत्यारोपण को अस्वीकार करने तक कोई भी चरण दीर्घकालिक नकारात्मक दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है।
  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ : अधिकांश BCI ब्लूटूथ कनेक्शन का उपयोग करके कनेक्ट होते हैं जो वास्तव में निजी वाई-फाई कनेक्शन की तुलना में कम सुरक्षित है। 
    • यह व्यक्तिगत गोपनीयता के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करता है और डाटा तक पहुंच के साथ-साथ विचार या तंत्रिका पैटर्न जैसी चीजों की भी चोरी हो सकती है।
    • डाटा का स्वामित्व एक प्राथमिक नैतिक चिंता है। इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि रिकॉर्ड किया गया डाटा किसका है, जिसे डिजिटल डिवाइस को नियंत्रित करने के लिए किसी व्यक्ति के ‘इच्छाओं या संकेतों’ की व्याख्या करने के लिए डिकोड किया जा सकता है।
  • नैतिक एवं सामाजिक निहितार्थ : मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाने या बदलने की संभावना नैतिक प्रश्न उठाती है और संभावित रूप से डिजिटल विभाजन को बढ़ा सकती है। 
    • यह जोखिम भी है कि मैलवेयर मस्तिष्क इनपुट या आउटपुट में हेरफेर कर सकता है। 
    • कंप्यूटर के समान ही मनुष्य के मस्तिष्क को हैक करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष 

न्यूरालिंक या अन्य BCI जैसे शोध यद्यपि अपने प्रारंभिक चरण में हैं फिर भी उन लोगों के जीवन के लिए वरदान साबित हो सकते हैं जिन्हें चिकित्सकीय रूप से इसकी आवश्यकता है। हालाँकि, प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक दबाव के साथ-साथ गहन निगरानी एवं विनियमन की आवश्यकता है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X